लखनऊ: पुरानी धरोहर को सहजकर आगे बढ़ रहा है शहर

लखनऊ में ट्रांसपोर्ट नगर से चारबाग तक मेट्रो दौड़ रही है। अगले साल मुंशी पुलिया तक विस्तार के बाद मेट्रो दौडऩे लगेगी।

By Krishan KumarEdited By: Publish:Wed, 04 Jul 2018 06:00 AM (IST) Updated:Tue, 03 Jul 2018 07:24 PM (IST)
लखनऊ: पुरानी धरोहर को सहजकर आगे बढ़ रहा है शहर
lucknow growing infrastructure sector

पौराणिक काल की लक्ष्मणनगरी और नवाबी काल का लखनऊ फिर नई अंगड़ाई भर रहा है। शहर बढ़ रहा है लेकिन सुकून है कि नई धरोहरों के चित्र भी आकार ले रहे हैं। शहर युवा आबादी के जोश से मेट्रोपॉलिटन कल्चर में रम रहा है। वहीं कॉस्मोपॉलिटन बनने के सपने संजोकर फिर मुस्करा रहा है।

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सीवर, सफाई, बिजली, पानी जैसी बुनियादी नागरिक सुविधाओं सहित शहरी यातायात को सुगम बनाने के लिए सड़कों का जाल बनाया जा रहा है। वहीं मेट्रो के शुरू होने से लोगों के लिए सुविधा बढ़ी है। वीकेंड मस्‍ती के लिए गोमती तट सुंदर होने से यह लोगों के लिए आर्कषण का नया केंद्र बना है। खास यह है कि मास्टर प्लान 2031 के मुताबिक 65 लाख तक आबादी पहुंचने के अनुमान को सामने रख बुनियादी सुविधाओं का खाका खींचा जा चुका है। 

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लखनऊ में आउटर रिंग रोड से बदलेगी सड़कों की तस्‍वीर 

सड़क सुधार के लिए 105 किमी. आउटर रिंग रोड बन रही है। नगर निगम, पीडब्ल्यूडी, एलडीए जैसी संस्थाएं भी सड़कों का निर्माण कर रही है और कुछ सालों में रास्तों की शक्ल बदली है। नगर निगम सीमा में सड़कों का जाल कुछ समय में बिछा है और अब यह प्रयास हो रहे हैं कि पहले कच्चे रास्तों को ही पक्का किया जाए। शहर में फ्लाईओवरों का जाल बिछ रहा है। 

गोमती का जल पीने योग्‍य बनाने की जरूरत 

लखनऊ में जलापूर्ति पर भी फोकस है। अभी तीन जलकल, 613 नलकूप और 130  मिनी नलकूपों के साथ शहर की प्यास बुझाने का काम हो रहा है। इसके बाद भी गोमती का जल पीने योग्‍य बनाने बनाने की जरूरत है। इसके इतर भूजल स्रोतों के रिचार्ज रहने के लिए प्रयास करने की है।

60 फीसदी इलाकों में सीवर लाइन डालने की जरूरत

बड़े महानगरों की बड़ी समस्या है नालों में बहने वाली गंदगी जो जरा सी बारिश में उफनाकर या तो सड़कों पर आ जाती है या फिर नदी में मिलकर जल को प्रदूषित करती है। जवाहर लाल नेहरू अर्बन रीन्यूवल मिशन के तहत पुराने शहर के अलावा ट्रांसगोमती में बिछाई गई सीवर लाइन देर से ही सही अब सीवेज निस्तारण को तैयार है, लेकिन शहर के अन्य क्षेत्रों को भी ऐसी सुविधा के दायरे में लाने और ट्रीटमेंट प्लांट का काम ईमानदारी से करने की जरूरत है। अभी 60 फीसद इलाकों में सीवर लाइन डालने की जरूरत है। कानपुर रोड से जुड़े इलाकों आलमबाग, कृष्णानगर, एयरपोर्ट और सरोजनीनगर में अब सीवर लाइन नहीं है। 

शौचालयों ने राहत दी 

स्वच्छता सर्वेक्षण में किए गए प्रयास से शहर की तस्वीर काफी हद तक बदली नजर आ रही है, लेकिन इंदौर जैसे नगरों से मुकाबले को अब भी काफी कुछ करना है। मिशन ओडीएफ के तहत करीब 11 हजार घरों में शौचालय बनाए गए हैं। 40 सार्वजनिक और 46 सामुदायिक शौचालय बनाए गए। फिर भी चार हजार घरों में आज भी शौचालय नहीं है। 

कूड़ा उठान की समस्या

हरदोई रोड के शिवरी में लगे प्लांट में कूड़े से खाद और बाइ प्रोडक्ट जा रहे हैं। हालांकि कूड़ा प्रबंधन परियोजना को अभी और गति देने की जरूरत है। घर-घर से कूड़ा उठान भी चालीस प्रतिशत इलाकों में ही आधा अधूरा हो पा रहा है। 

125 उपकेंद्रों से मिल रही है बिजली 

लेसा के 125 उपकेंद्रों से 9.50 लाख उपभोक्ताओं को बिजली दी जा रही है। हजरतगंज सहित कई इलाकों में भूमिगत केबल डाला जा चुका है, आपूर्ति में भी सुधार हुआ है, लेकिन अब भी शहर की सीमा से जुड़े इलाकों में बिजली लोगों को रुला रही है।

लखनऊ मेट्रो से हो जाएगा जाम कम 

लखनऊ में ट्रांसपोर्ट नगर से चारबाग तक नॉर्थ साउथ कॉरिडोर में 8.5 किमी. रूट पर मेट्रो दौड़ रही है। जिससे रोजाना आठ हजार यात्री मेट्रो का उपयोग कर रहे हैं। अगले साल मुंशी पुलिया तक विस्तार के बाद मेट्रो दौडऩे लगेगी। करीब 23 किमी.का यह रूट है। यह सेक्शन 1 अप्रैल 2019 में चालू होना है। 

अभी चाहिए 30 हजार आवास 

हर साल एलडीए और आवास विकास परिषद लगभग पांच हजार भवनों की व्यवस्था करते हैं मगर यहां जरूरत कम से कम 30  हजार आवासों की है। 

गोमती बनेगी जीवन धारा 

नदी और उसके तट को फिर से संवारने का बीड़ा योगी सरकार ने उठाया है। मुख्यमंत्री ने गोमती सफाई अभियान शुरू कर यह अहसास करा दिया है कि जल्द ही गोमती की तस्वीर बदली नजर आएगी। ऐसे में गोमती नदी को शारदा नदी से जोडऩे की जरुरत है और नदी में गिर रहे 33 में से सात नालों को रोकने की जरूरत है, तभी वह निर्मल होगी।

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