फिंगर प्रिंट की क्लोनिंग कर खातों में लगा रहे थे सेंध, लखनऊ साइबर क्राइम सेल ने दो को दबोचा

आरोपित आधार कार्ड से लिंक किसी भी बैंक खाते से रुपये पार कर देते थे। संयुक्त पुलिस आयुक्त नीलाब्जा चौधरी के मुताबिक आरोपितों ने सैकड़ों लोगों के खातों से लाखों रुपये निकाले हैं। पुलिस आरोपितों से पूछताछ कर रही है।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Thu, 25 Feb 2021 09:20 PM (IST) Updated:Fri, 26 Feb 2021 07:09 AM (IST)
फिंगर प्रिंट की क्लोनिंग कर खातों में लगा रहे थे सेंध, लखनऊ साइबर क्राइम सेल ने दो को दबोचा
भारत सरकार की भूलेख वेबसाइट से आधार कार्ड व अंगूठे का निशान करते थे चोरी।

लखनऊ, जेएनएन। बायोमीट्रिक फिंगर प्रिंट की क्लोनिंग कर खाते में सेंध लगाने का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। भारत सरकार की भूलेख वेबसाइट से आधार कार्ड व अंगूठे का निशान चोरी कर खातों से रुपये निकालने वाले दो युवकों को साइबर क्राइम सेल की टीम ने गिरफ्तार किया है। आरोपित आधार कार्ड से लिंक किसी भी बैंक खाते से रुपये पार कर देते थे। संयुक्त पुलिस आयुक्त नीलाब्जा चौधरी के मुताबिक आरोपितों ने सैकड़ों लोगों के खातों से लाखों रुपये निकाले हैं। पुलिस आरोपितों से पूछताछ कर रही है। आरोपितों ने कृष्णानगर निवासी एक व्यक्ति के खाते से 50 हजार रुपये निकाले थे। पीडि़त के पास न तो कोई वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) आया था और न ही उसने खाते की जानकारी किसी से साझा की थी। पीडि़त ने साइबर सेल में इसकी शिकायत की। इसके बाद मामले की जांच आरक्षी सुनील कुमार को दी गई। सुनील ने जब छानबीन की तो सबसे सुरक्षित माने जाने वाले बायोमीट्रिक डाटा की क्लोनिंग का मामला उजागर हुआ। इसके बाद पुलिस टीम ने वाराणसी से मूलरूप से आजमगढ़ के ताहिरपुर, सरूपहां देवगांव निवासी देवेंद्र कुमार मौर्या और अमरौना चंडवक जौनपुर निवासी रमेश कुमार को गिरफ्तार किया।

आधार से संबंधित कंपनी में करता था काम

पूछताछ में देवेंद्र ने बताया कि वह पेइनर कंपनी में काम करता है। यह कंपनी एईपीएस (आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम) सर्विस देती है। आरोपित के पास कंपनी का डिस्ट्रीब्यूटर आइडी पासवर्ड है। इसके माध्यम से वह किसी को भी आधार से रुपये निकालने वाली सेवा के लिए पासवर्ड उपलब्ध करा देता है। आरोपित किसी के भी आधार कार्ड व उसके फिंगर प्रिंट के माध्यम से रुपये निकाल सकता है।

रुपये निकालने का तरीका जानने के बाद शुरू किया खेल

छानबीन में सामने आया कि देवेंद्र ने आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम के तहत रकम निकासी की प्रक्रिया जानने के बाद अपने साथी रमेश के साथ फर्जीवाड़ा शुरू कर दिया। आरोपितों को पता चला कि आधार कार्ड और फिंगर प्रिंट से वह किसी के भी खाते से रुपये निकाल सकते हैं। इसके लिए संबंधित का खाता आधार से लिंक होना चाहिए। आरोपितों ने भूलेख वेबसाइट पर अपलोड बैनामा धारकों का आधार कार्ड व फिंगर प्रिंट डाउनलोड कर थर्मल स्कैनर, बटर पेपर, इमेज बूस्टर व थिनर लिक्विड की मदद से भूलेख पर उपलब्ध फिंगर प्रिंट की क्लोनिंग कर लेते थे। इसका इस्तेमाल बायोमीट्रिक मशीन पर लगाकर आधार कार्ड नंबर डालते थे और लोगों के खातों से रकम पार कर देते थे।

सुरक्षा में सेंध से खलबली

सबसे सुरक्षित माने जाने वाले बायोमीट्रिक सिस्टम में सेंधमारी उजागर होने के बाद सुरक्षा एजेंसियों में खलबली मची है। पुलिस आयुक्त से लेकर कई अधिकारियों ने दोनों आरोपितों से लंबी पूछताछ की है। विभिन्न वेबसाइट पर उपलब्ध बायोमीट्रिक डाटा की क्लोनिंग की जानकारी उच्चाधिकारियों ने राज्य व केंद्र सरकार को दे दी है। यही नहीं, वेबसाइट की देखरेख करने वाली कंपनियों को भी इससे अवगत कराया गया है। पुलिस संबंधित विभाग को खामियां दूर करने के लिए पत्र लिखेगी। आरोपितों के पास से क्लोन किए गए फिंगर प्रिंट के सैंपल भी बरामद किए गए हैं।

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