लखनऊ-अयोध्या के बीच बनेगा अंतरराष्ट्रीय रामायण संग्रहालय, एक ही स्थान पर होंगे प्रभु श्रीराम के जीवनकाल के प्रसंगों के दर्शन

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अयोध्या के विकास के प्रति बेहद गंभीर हैं। इसके साथ ही प्रदेश में धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। इसी के तहत रामायण संग्रहालय और सांस्कृतिक केंद्र बनाने का निर्णय लिया गया है।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Mon, 05 Apr 2021 11:47 AM (IST) Updated:Mon, 05 Apr 2021 11:51 AM (IST)
लखनऊ-अयोध्या के बीच बनेगा अंतरराष्ट्रीय रामायण संग्रहालय, एक ही स्थान पर होंगे प्रभु श्रीराम के जीवनकाल के प्रसंगों के दर्शन
लखनऊ और अयोध्या के बीच अंतरराष्ट्रीय रामायण संग्रहालय बनेगा।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। अयोध्या के चहुंमुखी विकास के साथ ही योगी आदित्यनाथ सरकार धार्मिक पर्यटन और आध्यात्मिक आकर्षण का नया केंद्र बनाने जा रही है। अयोध्या और लखनऊ के बीच अंतरराष्ट्रीय स्तर का रामायण संग्रहालय और सांस्कृतिक केंद्र बनाने की रूपरेखा तय की गई है। इसके लिए रामसनेही घाट पर संस्कृति विभाग ने दस एकड़ जमीन चिह्नित कर ली है। इसके माध्यम से सरकार एक ही स्थान पर प्रभु श्रीराम के जीवनकाल के विभन्न प्रसंगों का दर्शन श्रद्धालुओं को कराना चाहती है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अयोध्या के विकास के प्रति बेहद गंभीर हैं। इसके साथ ही प्रदेश में धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। इसी के तहत रामायण संग्रहालय और सांस्कृतिक केंद्र बनाने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए लखनऊ-अयोध्या राजमार्ग पर लखनऊ से 54 किलोमीटर और अयोध्या से 64 किलोमीटर दूरी पर करीब 10 एकड़ जमीन चिह्नित की गई है। परिसर में कला, संस्कृति, हस्तशिल्प, लोक व्यंजन, रामायण विश्व यात्रा वीथिकाएं, राम वनगमन मार्ग, रामायण आधारित कला वीथिका, पुस्तकालय, शोध और प्रकाशन केंद्र, रामलीला प्रशिक्षण केंद्र आदि का निर्माण कराया जाना प्रस्तावित है। परिसर में देश-विदेश के श्रद्धालु और पर्यटकों के ठहरने की व्यवस्था होगी। यात्रियों के अल्प विश्राम के दौरान सुबह और शाम सामूहिक भजन की व्यवस्था होगी। करीब सौ वर्ष की आवश्यकता को देखते हुए यहां सारे प्रबंध किए जाएंगे।

कई देशों की कठपुतलियां देंगी रामायण की प्रस्तुति : एक लघुमंच पर नियमित अंतराल पर कठपुतली के जरिए रामायण की प्रस्तुति की जाएगी। इनमें भारत की सभी शैलियों सहित रूस, जापान, इंडोनेशिया, मलेशिया, थाइलैंड आदि देशों के कठपुतली कलाकार भी कैलेंडर के अनुसार आमंत्रित किए जाएंगे। इसके अलावा अयोध्या की पारंपरिक रामलीला की प्रस्तुति रोजाना शाम छह से आठ बजे के बीच होगी।

आइआइटी खड़गपुर तैयार कर रहा डीपीआर : उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग के निदेशक शिशिर ने बताया कि रामायण संग्रहालय एवं सांस्कृतिक केंद्र की स्थापना के लिए बाराबंकी के ग्राम भवनियापुर खेवली में जमीन मिल गई है। डीपीआर आइआइटी खड़गपुर तैयार कर रहा है। इसके बाद ही परियोजना की लागत का पता चलेगा। हालांकि, उम्मीद है कि करीब डेढ़ सौ करोड़ की परियोजना हो सकती है, जो चरणों में पूरी होगी। मंच बनवाकर पहले रामलीला का मंचन और कुछ लोक व्यंजन की शुरुआत करेंगे। इसका संचालन अयोध्या शोध संस्थान करेगा।

ये भी होंगे आकर्षण रामचरितमानस के सात कांडों के आधार पर अनवरत गायन और वीडियो दिखाए जाएंगे। श्रीराम वनगमन मार्ग, राम-जानकी वनगमन मार्ग के रूप में 280 स्थलों का वीडियो दिखाया जाएगा। राम वनगमन और राम-जानकी वनगमन मार्ग क्षेत्र के प्रमुख व्यंजनों मधुबनी, अवध, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, श्रीलंका आदि के व्यंजनों वाली रसोई संचालित होगी। पंचवटी वन क्षेत्र में रामायणकालीन वृक्षों का आयताकार रूप में पौधरोपण होगा।

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