किशोरों को नशा मुक्त जीवन जीने के लिए कर रहीं प्रेरित

अब तीन हजार लोग पूरी तरह छोड़ चुके हैं नशा। काउंसिलिंग व दृढ़ संकल्प के जरिए नशा छोडऩे की देती हैं प्रेरणा।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Thu, 18 Oct 2018 10:44 AM (IST) Updated:Thu, 18 Oct 2018 10:44 AM (IST)
किशोरों को नशा मुक्त जीवन जीने के लिए कर रहीं प्रेरित
किशोरों को नशा मुक्त जीवन जीने के लिए कर रहीं प्रेरित

लखनऊ, (कुसुम भारती)। किशोरों को नशा करते देख बड़ा दुख होता था। उन्हें समझने की कोशिश की तो पता चला कि दोष उनका नहीं, बल्कि परवरिश का है। धीरे-धीरे जब और भीतर तक झांकने की कोशिश की तो बहुत सी बातें सामने आईं। तय किया कि अब समाज से नशे के इस दानव को किसी भी तरह से दूर करना है। बस, तय कर लिया और पिछले बीस वर्षों से नशा बंदी व नशा मुक्ति के खिलाफ कार्य कर रही हूं। यह कहना है, समाधान संस्था की फाउंडर व मैनेजिंग डायरेक्टर व क्लिनिकल साइकोलॉजिस्टडॉ. मधु पाठक का। वह कहती हैं, अब तक बहुत ऐसे बच्चे, किशोर, महिला व पुरुष को नशा छुड़वा चुकी हूं। वह कहती हैं, 'नारी तू नारायणी' वाक्य महिलाओं पर सटीक बैठता है। परिवार के लिए नारी ही नारायणी का रूप है। पति या बच्चों को नशे की लत को एक नारी ही छुड़वाने में मददगार साबित होती है।

डब्ल्यूएचओ की ट्रेनिंग के लिए लखनऊ से हुआ चयन

वह कहती हैं, वर्ष 2001 में डब्ल्यूएचओ व भारत सरकार के सहयोग से प्रशिक्षण के लिए यूरोप गई थी। देश के कई शहरों से लोगों का चयन हुआ था उनमें लखनऊ से मुझे चयनित किया गया। 12 वर्षों तक केजीएमयू व शहर के दूसरे हॉस्पिटल के साथ जुड़कर काम किया। हालांकि, 1990 में मैंने समाधान संस्था की शुरुआत कर इस क्षेत्र में काम करने लगी थी।

काउंसिलिंग के जरिए कर रहीं जागरूक

वह कहती हैं, स्कूल-कॉलेजों, पार्कों में समय-समय पर कैंप लगाकर लोगों को नशा व इससे होने वाले हानि के प्रति लोगों को जागरूक करती हूं। मेरे साथ करीब 20-25 लोग इस काम में सहयोग करते हैं। इसमें डॉक्टर, फिजीशियन, साइकियाट्रिस्ट, क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट आदि शामिल हैं।

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