Century से Tejas तक रेलवे का इतिहास, अतीत के झरोखे से Lucknow News

देश की पहली कॉरपोरेट ट्रेन तेजस का सफर शुक्रवार से शुरू हो गया है। अतीत के झरोखे से देखिए लखनऊ रेलवे का एक सफर।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Fri, 04 Oct 2019 12:11 PM (IST) Updated:Fri, 04 Oct 2019 12:11 PM (IST)
Century  से Tejas तक रेलवे का इतिहास, अतीत के झरोखे से Lucknow News
Century से Tejas तक रेलवे का इतिहास, अतीत के झरोखे से Lucknow News

लखनऊ, जेएनएन। सन 1857 : अवध रुहेलखंड रेलवे (ओआरआर) का गठन ’ 28 अप्रैल 1867 : ओआरआर की लखनऊ-कानपुर 47 मील लंबी रेल लाइन शुरू ’ 1872 : ओआरआर का विस्तार बहराम घाट और फैजाबाद तक ’ एक जनवरी 1872 : लखनऊ-फैजाबाद रेल लाइन शुरू, लखनऊ छावनी के उत्तर दिशा से बिबियापुर, जुग्गौर होकर फैजाबाद के रास्ते मुगलसराय तक पड़ी रेल लाइन ’ 1873 से 1875 : ओआरआर का नेटवर्क लखनऊ से शाहजहांपुर और जौनपुर तक बढ़ा ’ 1873 से 1875 : भारतीय यात्रियों के लिए प्रथम श्रेणी बोगियों की शुरुआत ’ 1879 : ओरआरआर का प्रायोगिक किराया वृद्धि का सरकार ने अनुमोदन किया ’ 1879 : ओआरआर का सरकार ने राष्ट्रीयकरण किया, ओआरआर एक राजकीय उद्यम बना ’ 1880 : निम्न श्रेणी का किराया दो आना से ढाई आना बढ़ाया गया ’ 1882 : निम्न श्रेणी के किराए के राजस्व में गिरावट ’ 1887 : ओआरआर का नेटवर्क 690 मील तक पहुंचा। जो उस समय कुल रेल नेटवर्क का 4.93 प्रतिशत था ’ 24 नवंबर 1896 : चौकाघाट-बुढ़वल-बाराबंकी-मल्हौर होकर डालीगंज तक आयी रेल ’ 25 अप्रैल 1897 : ऐशबाग से कानपुर तक एक और रेल लाइन बिछी

ऐसे बिछा लखनऊ में रेल नेटवर्क

50 साल पुरानी कुछ ट्रेनें

पंजाब मेल, हावड़ा अमृतसर एक्सप्रेस, गंगा गोमती एक्सप्रेस, जनता एक्सप्रेस, दून एक्सप्रेस, झांसी मेल (अब ग्वालियर मेल) लखनऊ से गुजरने वाली सबसे पुरानी ट्रेनें हैं।

भारतीयों से हुआ मालामाल

अवध एवं रूहेलखंड रेलवे की सन 1875-76 की रिपोर्ट के मुताबिक 543 मील तक चलने वाली ट्रेनों से उसे 12 लाख 65 हजार 508 रुपये की आय निम्न श्रेणी के भारतीय यात्रियों के किराए से हुई थी। जबकि उच्च श्रेणी के यात्रियों से केवल 70 हजार 166 रुपये ही मिले थे।

हुआ था कारावास

मई 1878 में भारतीय ड्राइवर की लापरवाही से मालगाड़ी की टक्कर कोयला गाड़ी से हो गई थी। इसमें 40 हजार रुपये का नुकसान हुआ था। इसमें ड्राइवर को पांच और गार्ड को चार साल की सजा हुई थी।

कमरे में बंद होते थे यात्री

ब्रिटिशकालीन रेलवे के फरमान के मुताबिक भारतीय यात्रियों को चारबाग स्टेशन के एक कमरे में बंद कर दिया जाता था। जब सभी अंग्रेज बोगी में बैठ जाते थे तब ही भारतीयों को बोगियों में बैठाते थे।

लखनऊ की कुछ खास ट्रेनें 

लखनऊ मेल : यह वीआइपी ट्रेन आजादी के ठीक बाद शुरू हुई। यह ट्रेन चारबाग स्टेशन पर लगे एक घंटा को बजाने पर चलती थी। 

नैनीताल एक्सप्रेस : छोटीलाइन की राजधानी एक्सप्रेस कही जाने वाली नैनीताल एक्सप्रेस कई दशकों के बाद 2016 से लाइन बदलने के कारण बंद चल रही है। 

स्वर्ण शताब्दी : यह देश की दूसरी शताब्दी एक्सप्रेस थी। जबकि पहली बार जर्मनी तकनीक की एलएचबी बोगी देश में इसी ट्रेन में लगी। यह देश की पहले स्वर्ण शताब्दी ट्रेन थी। 

सेंचुरी एक्सप्रेस : लखनऊ से सीतापुर के दैनिक यात्रियों की रीढ़ कही जाने वाली यह ट्रेन अभी बंद चल रही है। करीब 130 साल का सफर इस ट्रेन ने तय किया है। 

गोमती एक्सप्रेस : सन 1972 में जब गोमती एक्सप्रेस नई दिल्ली के लिए शुरू हुई तब यह इस रूट की राजधानी कही जाती थी। अब यह ट्रेन कई महीने से बंद चल रही है। 

एसी डबल डेकर : लखनऊ जंक्शन से 

chat bot
आपका साथी