हृदयाघात के मामले में यमराज बना कोरोना, जांच कराने व रिपोर्ट आने में ही लग जाते हैं कई घंटे

विशेषज्ञों के अनुसार मरीज को हृदयाघात होने की स्थिति में उसकी जिंदगी बचाने के लिए शुरुआत के आधे से एक घंटे तक का वक्त सबसे अहम होता है। अगर इस दौरान हृदयाघात के मरीज का त्वरित उपचार नहीं हो सका तो ऐसे में उसकी जान बचाना मुश्किल हो जाता है।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Sat, 21 Nov 2020 04:58 PM (IST) Updated:Sat, 21 Nov 2020 08:04 PM (IST)
हृदयाघात के मामले में यमराज बना कोरोना, जांच कराने व रिपोर्ट आने में ही लग जाते हैं कई घंटे
हार्टअटैक होने पर शुरुआत के आधे से एक घंटे तक का वक्त होता है अहम।

लखनऊ, (धर्मेंद्र मिश्रा)। केस एक : सुल्तानपुर निवासी शिवशंकर त्रिपाठी बताते हैं कि संस्थानों की कथनी और करनी में फर्क है। मेरी एक रिश्तेदार को हृदयाघात आ गया था। केजीएमयू के लारी में लाया गया। मरीज को होल्‍ड‍िंंग एरिया में रख दिया गया। कोरोना जांच रिपोर्ट आने में ही कई घंटे लग गए। मरीज का ऑपरेशन होना था। सीटी स्कैन की रिपोर्ट देने में संस्थान ने चार दिन लगा दिए। जब तक रिपोर्ट आई मरीज की मौत हो गई।

केस दो : अमेठी निवासी राजेश पांडेय कहते हैं कि वह अपनी मां को हार्ट पेन होने पर केजीएमयू के लारी में ले गए थे। जहां उन्हें होल्‍ड‍िंंग एरिया में छोड़ दिया गया। उनका पेट भी फूलने लगा था। 24 घंटे तक कोई देखने नहीं आया। कोरोना रिपोर्ट आने के बाद भी एक दिन होल्‍ड‍िंंग एरिया में मां पड़ी रही। अगले दिन डाक्टर ने देखा। 

हृदयाघात जैसे मामलों में कोरोना जांच किए बगैर त्वरित ऑपरेशन व इलाज शुरू न कर पाने की बाध्यता के चलते मरीजों की जान जा रही है। बात चाहे केजीएमयू के लारी केंद्र की हो, लोहिया संस्थान की हो या फिर एसजीपीजीआइ की। सभी संस्थानों में हृदयाघात के मरीजों को कोरोना जांच कराने और रिपोर्ट के इंतजार में शुरुआत का सबसे कीमती वक्त जाया हो रहा है। ऐसे में मरीज का इलाज व ऑपरेशन समय पर नहीं हो पा रहा है। जिससे कई मरीजों को अपनी जान भी गंवानी पड़ रही है। विशेषज्ञों के अनुसार मरीज को हृदयाघात होने की स्थिति में उसकी ज‍िंदगी बचाने के लिए शुरुआत के आधे से एक घंटे तक का वक्त सबसे अहम होता है।

'हृदयाघात के मरीजों को त्वरित उपचार उपलब्ध कराने के लिए हमारे यहां विशेष इकाई गठित की गई है। जिस मरीज की कोरोना रिपोर्ट नहीं होती, उसे डाक्टर कोविड प्रोटोकॉल के तहत पीपीई किट में डील करते हैं।' -डाॅॅ. सुधीर स‍िंह, प्रवक्ता केजीएमयू

हृदयाघात के मरीजों को कोविड पॉजिटिव मानकर ही उनका प्राथमिक उपचार किया जाता है। ऐसे मरीजों को तत्काल चिकित्सा मुहैया कराने के लिए अत्याधुनिक कार्डियो लैब बनाई जानी चाहिए वहां इसके लिए अलग से ओटी होनी चाहिए।  - डाॅॅ. भुवन चंद्र तिवारी, कार्डियोलॉजी के विभागाध्यक्ष (लोहिया)।

chat bot
आपका साथी