भाजपा विधायक व पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष समेत तीन को पांच-पांच साल की सजा, अयोध्‍या में 28 साल बाद आया फैसला

भाजपा विधायक इंद्रप्रताप तिवारी उर्फ खब्बू साकेत महाविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष फूलचंद यादव व चाणक्य परिषद के अध्यक्ष कृपानिधान तिवारी को पांच-पांच साल जेल की सजा सुनाई है। तीनों को न्यायिक हिरासत मे लेकर जेल भेज दिया गया।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Mon, 18 Oct 2021 06:56 PM (IST) Updated:Tue, 19 Oct 2021 07:21 AM (IST)
भाजपा विधायक व पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष समेत तीन को पांच-पांच साल की सजा, अयोध्‍या में 28 साल बाद आया फैसला
मामला फर्जी अंक पत्र के आधार पर अयोध्‍या के साकेत महाविद्यालय में प्रवेश लेने का है।

अयोध्या, जागरण संवाददाता। फर्जी अंक पत्र के आधार पर महाविद्यालय में प्रवेश लेने के मामले में विशेष न्यायाधीश (जनप्रतिनिधि) पूजा सि‍ंह ने गोसाईंगंज से भाजपा विधायक इंद्रप्रताप तिवारी उर्फ खब्बू, साकेत महाविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष फूलचंद यादव व चाणक्य परिषद के अध्यक्ष कृपानिधान तिवारी को पांच-पांच साल जेल की सजा सुनाई है। सभी पर छह-छह हजार रुपये का जुर्माना भी किया गया है। सजा सुनाने के बाद तीनों को न्यायिक हिरासत मे लेकर जेल भेज दिया गया। यह फैसला करीब 28 साल बाद आया है।

साकेत महाविद्यालय के तत्कालीन प्राचार्य यदुवंश राम त्रिपाठी ने 18 फरवरी 1992 को रामजन्मभूमि थाने में एफआइआर दर्ज कराई थी। प्राथमिकी के मुताबिक खब्बू तिवारी ने 1990 में बीएससी द्वितीय वर्ष की परीक्षा अनुत्तीर्ण होने पर फर्जी अंकपत्र के आधार पर अगली कक्षा में प्रवेश ले लिया। इसी तरह फूलचंद यादव ने 1986 में बीएससी प्रथम वर्ष की परीक्षा अनुत्तीर्ण होने पर तथा कृपानिधान तिवारी ने 1989 में विधि प्रथम वर्ष की परीक्षा में फर्जी अंकपत्र के आधार पर अगली कक्षा में प्रवेश ले लिया।

1992 में दर्ज मामले की चार्जशीट 13 साल बाद अदालत भेजी गई। अदालत में मुकदमे की पत्रावली से कई मूल दस्तावेज भी गायब हो गए। अदालत में सभी दस्तावेजों की द्वितीय प्रतियां तैयार कराकर सुनवाई आगे बढ़ाई गई। वादी यदुवंशराम त्रिपाठी की मृत्यु भी केस परीक्षण के दौरान हो गई। साकेत महाविद्यालय के तत्कालीन अधिष्ठाता महेंद्र कुमार अग्रवाल, गोपनीय कार्यालय के रामबहादुर सि‍ंह व अन्य गवाहों ने अदालत में गवाही दी। अदालत ने तीनों अभियुक्तों को कूटरचना के आरोप में पांच-साल की जेल व आठ-आठ हजार रुपये जुर्माना तथा धोखाधड़ी के मामले में तीन-तीन साल की जेल व छह-छह हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई है।

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