बीएसए बलिया पर अवमानना के आरोप तय, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने खारिज की शीघ्र सुनवाई की अर्जी

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जुलाई 1994 से मृतक आश्रित कोटे में नियुक्त जूनियर हाईस्कूल के सहायक अध्यापक को वेतन भुगतान आदेश की अवमानना याचिका की शीघ्र सुनवाई से इनकार कर दिया है।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Wed, 09 Sep 2020 06:48 PM (IST) Updated:Wed, 09 Sep 2020 06:48 PM (IST)
बीएसए बलिया पर अवमानना के आरोप तय, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने खारिज की शीघ्र सुनवाई की अर्जी
बीएसए बलिया पर अवमानना के आरोप तय, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने खारिज की शीघ्र सुनवाई की अर्जी

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जुलाई 1994 से मृतक आश्रित कोटे में नियुक्त जूनियर हाईस्कूल के सहायक अध्यापक को वेतन भुगतान आदेश की अवमानना याचिका की शीघ्र सुनवाई से इनकार कर दिया है। हाई कोर्ट ने कहा कि आदेश की अवहेलना पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) बलिया संतोष कुमार राय के खिलाफ आरोप तय किया गया है। कोविड-19 के प्रकोप को देखते सामान्य स्थिति होने पर सुनवाई की मांग में दोबारा अर्जी दाखिल की जाय। 

यह आदेश न्यायमूर्ति वीके बिड़ला ने लक्ष्मण प्रसाद कुशवाहा की अवमानना याचिका पर दाखिल अर्जी को निरस्त करते हुए दिया है। याचिका पर अधिवक्ता बीएन सिंह ने बहस की। याची अधिवक्ता का कहना है कि याची दो जुलाई 1994 से जूनियर हाईस्कूल बलिया में बिना वेतन के पढ़ा रहा है। वह भुखमरी के कगार पर है। उसकी नियुक्ति मृतक आश्रित कोटे में की गयी है। हाई कोर्ट ने 22 अप्रैल, 2002 को याचिका मंजूर करके बीएसए को नियमित वेतन भुगतान का निर्देश दिया। साथ ही नौ प्रतिशत ब्याज के साथ बकाये वेतन का भुगतान तीन माह में करने का निर्देश दिया है। लेकिन, उसका पालन नहीं किया गया है।

इस पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की गयी है। कोर्ट ने आदेश पालन का समय दिया गया। इसके बाद भी आदेश का पालन नहीं किया गया, तब कोर्ट ने आदेश की जानबूझकर अवहेलना करने का आरोप निर्मित किया और जवाब मांगा है। 23 जुलाई, 2019 को याचिका की सुनवाई नहीं हो सकी। इसके बाद लॉकडाउन के कारण सुनवाई नहीं हुई। याची ने कोर्ट से शीघ्र सुनवाई की गुहार लगाई। अदालत ने नार्मल कार्रवाई सुचारु रूप से चलने पर कोर्ट आने की सलाह देते हुए अर्जी खारिज कर दी।

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