यूपी में प्राकृतिक खेती के लिए गठित होगा अलग बोर्ड, विश्व बैंक के साथ आयोजित लर्निंग कान्क्लेव में बोले सीएम योगी आदित्यनाथ

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश में कृषि रोजगार का सबसे बड़ा साधन है। कृषि के बाद प्रदेश में सर्वाधिक रोजगार एमएसएमई क्षेत्र उपलब्ध कराता है। सरकार ने एक जिला एक उत्पाद योजना को कृषि के क्षेत्र में भी बढ़ावा देना शुरू किया है।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Mon, 27 Jun 2022 11:50 PM (IST) Updated:Mon, 27 Jun 2022 11:50 PM (IST)
यूपी में प्राकृतिक खेती के लिए गठित होगा अलग बोर्ड, विश्व बैंक के साथ आयोजित लर्निंग कान्क्लेव में बोले सीएम योगी आदित्यनाथ
विश्व बैंक के साथ आयोजित लर्निंग कान्क्लेव में बोले मुख्यमंत्री, बढ़ेगी किसान की आय।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। गंगा किनारे के क्षेत्रों में प्राकृतिक खेती की योजना पर पहले से ही योगी सरकार काम कर रही है। अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि यदि जरूरत पड़ी तो प्राकृतिक खेती के लिए अलग से बोर्ड गठित किया जाएगा। विश्व बैंक के साथ आयोजित दो दिवसीय लर्निंग कान्क्लेव 'उत्तर प्रदेश : सतत और समान विकास की ओर' में सीएम योगी आदित्यनाथ ने आश्वस्त किया कि कान्क्लेव के निष्कर्षों पर एक्शन प्लान बनाकर काम करेंगे। गंगा तट के 27 और बुंदेलखंड के सात जिलों सहित कुल 34 जिलों में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। कान्क्लेव को गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने भी संबोधित किया।

ताज होटल में सोमवार को आयोजित कान्क्लेव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश में कृषि रोजगार का सबसे बड़ा साधन है। कृषि के बाद प्रदेश में सर्वाधिक रोजगार एमएसएमई क्षेत्र उपलब्ध कराता है। सरकार ने एक जिला, एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना को कृषि के क्षेत्र में भी बढ़ावा देना शुरू किया है।

उन्होंने कहा कि भारत में ऋषि और कृषि परस्पर जुड़े हुए हैं। गो और गोवंश भारत की आस्था और अर्थव्यवस्था का आधार था। गो आधारित प्राकृतिक खेती आस्था के साथ ही अर्थव्यवस्था को भी संबल दे सकती है। प्रदेश के सतत और समान विकास के कार्य को कृषि और एमएसएमई विभाग को मिलकर आगे बढ़ाना चाहिए।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विश्वास व्यक्त किया कि इस कान्क्लेव के निष्कर्षों के आधार पर एक ठोस एक्शन प्लान बनाकर प्रत्येक जिले, नौ क्लाइमेटिक जोन में कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से हर किसान तक पहुंचाया जाएगा। योगी ने कहा कि दो वर्ष पहले कानपुर के चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में गो आधारित प्राकृतिक खेती पर कार्यशाला आयोजित की गई थी, जिसमें 500 से अधिक किसान सम्मिलित हुए थे।

वह किसान हजारों हेक्टेयर क्षेत्रफल में प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मंशा विषमुक्त खेती है। इसके लिए प्राकृतिक खेती को बढ़ाना होगा। कृषि वैज्ञानिक और प्रगतिशील किसान मिलकर प्रयास करेंगे तो यह किसानों की आमदनी बढ़ाने में सहायक होगी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों के प्रयोग से उत्पादन बढ़ा, लेकिन उत्पादों की गुणवत्ता प्रभावित हुई है। कई घातक बीमारियां बढ़ रही हैं। ऐसे में हम सभी को धरती माता की रक्षा करनी होगी। इसके लिए प्राकृतिक खेती को अपनाना होगा। उन्होंने कहा कि वर्ष 2020 में गंगा यात्रा के दौरान सरकार ने प्राकृतिक खेती के प्रति जागरुकता का अभियान चलाया। इस वर्ष के बजट में बुंदेलखंड के पूरे क्षेत्र का प्राकृतिक खेती के लिए चयन किया गया है।

इस अवसर पर कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही, मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र, कृषि उत्पादन आयुक्त मनोज कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव एमएसएमई एवं सूचना नवनीत सहगल, अपर मुख्य सचिव कृषि देवेश चतुर्वेदी, विश्व बैंक के प्रैक्टिस मैनेजर साउथ एशिया रीजन ओलिवर ब्रेट और प्रगतिशील किसान उपस्थित थे।

योगी भगवान श्रीराम की तरह क्रूर लोगों के खिलाफ प्रचंड : गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश को व्यवस्था एवं सुशासन का प्रदेश बनाया है। कानून-व्यवस्था को मजबूत करने के साथ ही प्रदेश को सतत विकास की राह पर आगे बढ़ाया है।

उन्होंने योगी की तुलना भगवान श्रीराम से की। कहा कि मुख्यमंत्री भगवान श्रीराम की तरह पीड़ितों, शोषितों, वंचितों के प्रति संवेदनशील तथा क्रूर लोगों के प्रति वज्र के समान प्रचंड हैं, इसीलिए देश-प्रदेश के लोग कहते हैं कि मुख्यमंत्री हो तो योगी आदित्यनाथ जैसा। आचार्य देवव्रत ने कहा कि यह कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की समृद्धि के लिए आयोजित किया गया है। प्राचीन भारत में एमएसएमई का क्षेत्र अत्यंत व्यावहारिक था। प्राचीन भारतीय ग्रामीण व्यवस्था परस्पर निर्भर थी। भारतीय गांव पूर्णत: स्वावलंबी थे।

जीवन की आवश्यकताओं से जुड़ी सभी वस्तुएं एमएसएमई के माध्यम से उत्पादित होती थीं। भारत का सामान पूरी दुनिया में निर्यात होता था, लेकिन आयात नहीं होता था। उन्होंने कहा कि भारत ऋषियों और मुनियों के ज्ञान के कारण आध्यात्मिक रूप से समद्ध था, इसलिए प्राचीन भारत विश्व गुरु था। आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ देश को उसी दिशा में ले जा रहे हैं।

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