बच्चों! एपीजे एट द रेट..पर भेजो सुझाव

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, कलाम काका के नाम से विख्यात थे। चाचा नेहरू के बाद काका कलाम ही थे जिन्होंने अपनी शख्सियत से बड़ों को विस्मित, युवाओं को प्रेरित और बच्चों को रोमांचित कर रखा था।

By Dharmendra PandeyEdited By: Publish:Tue, 28 Jul 2015 09:25 AM (IST) Updated:Tue, 28 Jul 2015 10:40 AM (IST)
बच्चों! एपीजे एट द रेट..पर भेजो सुझाव

लखनऊ (जितेंद्र उपाध्याय)। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू बच्चों के बीच चाचा नेहरू के रूप में तो पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अबुल पाकिर जैनुलआब्दीन अब्दुल कलाम(डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम) कलाम काका के नाम से विख्यात थे। चाचा नेहरू के बाद काका कलाम ही थे जिन्होंने अपनी शख्सियत से बड़ों को विस्मित, युवाओं को प्रेरित और बच्चों को रोमांचित कर रखा था।

लखनऊ ने तो उनको इस कदर अपना बना लिया था कि तकरीबन हर दूसरे वर्ष वह लखनऊ खिंचे चले आते और लखनऊ उनका बेसब्री से इंतजार करता। खासतौर पर बच्चे। डॉ. एपीजे लखनऊ में तकरीबन आधा दर्जन स्कूलों में गये। पुस्तक मेले में आए और उन्होंने ही दीक्षांत समारोह में पहनी जाने वाली परंपरागत पोशाक का विरोध लखनऊ में किया था।

डॉ. कलाम आठ अक्टूबर, 2010 को बाबा साहब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए थे। जब उन्होंने दीक्षांत भाषण की शुरूआत की तो गाउन को अंग्रेजियत का प्रतीक बताकर उसे ही निशाने पर ले लिया। उनका कहना था कि स्थानीय वेषभूषा जैसे कुर्ता पैजामा व धोती कुर्ता को भी दीक्षांत पोशाक बनाया जा सकता है। इसके बाद गाउन के विरोध के स्वर देश भर में कई जगह उठे और आज भी उठते रहते हैं। कलाम की नजर किसी एक दायरे में नहीं ठहरती थी। वह 'आउट आफ बाक्स थिंकिंग' को बढ़ावा देते थे। डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जन संचार विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ.गोपाल सिंह का कहना है कि दीक्षांत समारोह के दौरान उन्होंने न केवल मेधावियों को मेडल दिए थे बल्कि पौधरोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दिया था।

दीक्षांत समारोह के दौरान उन्होंने बच्चों का कल्पनाओं को हकीकत में बदलने का आह्वान किया था। मंच से ही अपना निजी ईमेल (एपीजे एट द रेट ऑफ अब्दुल कलाम डाट काम) देकर उनके सुझाव मांगे थे। डॉ. कलाम ने मेधावियों से कहा कि था कि स्नातक के बाद अब आपके कार्य करने का पन्ना खुल गया है। 24 घंटे या 1440 मिनट या 86400 सेकेंड उड़ान भरो। समय आगे बढ़ रहा है और तुम्हें भी अपने लक्ष्य को लेकर आगे बढऩा है। उन्होंने वैश्विक भारत में पर्यावरण संरक्षण के साथ ही बीस बिलियन पौधे लगाने का आह्वान किया था। अपनी लखनऊ यात्र के दौरान वह बच्चों को विकसित भारत के सूत्र दिया करते थे। उनका कहना था कि ग्रामीण व शहरी के बीच की लाइन खत्म हो, सभी को समान विद्युत की आपूर्ति और स्वच्छ जल की आपूर्ति हो, मेधावियों को शिक्षा के अधिक अवसर देने के लिए उनकी आर्थिक मदद होनी चाहिए और सभी को शिक्षा का अधिकार मिले। भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने के प्रति सभी को संकल्प लेना होगा। निरक्षरता को दूर कर महिलाओं की सुरक्षा के साथ ही अपराध मुक्त भारत बने। कलाम अब नहीं रहे, उनके बताए सूत्र हमेशा रहबरी करेंगे।

chat bot
आपका साथी