अब सीजेएम अदालत में होगी केंद्रीय मंत्री की सुनवाई

लखनऊ। केंद्रीय मानव संसाधन राज्यमंत्री रामशंकर कठेरिया को फर्जी प्रमाण-पत्र मामले में आज अदालत

By Edited By: Publish:Wed, 26 Nov 2014 10:53 AM (IST) Updated:Wed, 26 Nov 2014 10:53 AM (IST)
अब सीजेएम अदालत में होगी केंद्रीय मंत्री की सुनवाई

लखनऊ। केंद्रीय मानव संसाधन राज्यमंत्री रामशंकर कठेरिया को फर्जी प्रमाण-पत्र मामले में आज अदालत से बड़ी राहत मिल गई। दो साल पहले सत्र न्यायालय से खारिज किया गया रिवीजन आगरा के एडीजे प्रथम हसनैन कुरैशी की अदालत ने अब स्वीकृत कर दिया। सुनवाई अब मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) की अदालत में होगी।

आगरा के हरीपर्वत थाने में वर्ष 2010 में बसपा नेता कुंवरचंद वकील ने सांसद रामशंकर कठेरिया के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया था। इसमें उनके शैक्षिक अंक-पत्र, जाति प्रमाण-पत्र और अनुभव प्रमाण-पत्र फर्जी होने के आरोप लगाए थे। मामले में 2011 में तत्कालीन सीओ हरीपर्वत असीम चौधरी ने विवेचना कर चार्जशीट दाखिल की। इसके खिलाफ कठेरिया उच्च न्यायालय चले गए। वहां से मामला स्थानीय अदालत में सुनवाई के लिए भेज दिया। इसके बाद सीजेएम ने रिवीजन को खारिज करते हुए यह कह दिया कि कठेरिया के खिलाफ साक्ष्य हैं।

सीजेएम के आदेश के खिलाफ कठेरिया के अधिवक्ताओं ने जिला जज की अदालत में 2012 में रिवीजन दाखिल किया। यहां से रिवीजन खारिज कर दिया गया। ऐसे में उनकी ओर से उच्च न्यायालय में रिवीजन दाखिल कर कहा कि प्रतिवादी के वकील की अनुपस्थिति में स्थानीय अदालत में रिवीजन को खारिज किया गया। उच्च न्यायालय के निर्देश पर यहां मामले में दोनों पक्षों को सत्र न्यायालय में सुना गया। इसके बाद बसपा नेता कुंवरचंद वकील उच्च न्यायालय चले गए। पिछले दिनों वहां से सत्र न्यायालय को मामले की सुनवाई के निर्देश दिए। मंगलवार को केंद्रीय राज्य मंत्री प्रो. कठेरिया के रिवीजन प्रार्थना पत्र पर एडीजे हसनैन कुरैशी की अदालत में सुनवाई हुई। अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद रिवीजन स्वीकृत कर लिया। केंद्रीय राज्यमंत्री के अधिवक्ता विजय आहुजा के मुताबिक अदालत ने आदेश दिया है कि मामले की सुनवाई के लिए अविलंब पत्रावली सीजेएम की अदालत में भेज दी जाए। वरिष्ठ अधिवक्ता का कहना है कि यह उनके लिए बड़ी राहत है। अग्रिम विवेचना में पहले ही केंद्रीय राज्य मंत्री के सारे प्रमाण-पत्र सही पाए गए थे। सुनवाई के बाद अदालत की भी इस पर मोहर लग सकती है। मामले में अगली सुनवाई की तिथि अभी निर्धारित नहीं हुई है।

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