परिवार की लड़ाई सड़क पर, सांसद अनुप्रिया पटेल पैदल

लखनऊ। सूबे में अपना दल में मची पारिवारिक जंग थमने के बजाए बढ़ती ही जा रही है। अब राष्ट्रीय अध्यक्ष क

By Edited By: Publish:Tue, 28 Oct 2014 10:23 AM (IST) Updated:Tue, 28 Oct 2014 10:23 AM (IST)
परिवार की लड़ाई सड़क पर, सांसद अनुप्रिया पटेल पैदल

लखनऊ। सूबे में अपना दल में मची पारिवारिक जंग थमने के बजाए बढ़ती ही जा रही है। अब राष्ट्रीय अध्यक्ष कृष्णा पटेल ने पलटवार करते हुए मीरजापुर की सांसद और अपना दल की राष्ट्रीय महासचिव की पद से छुंट्टी कर दी है। परिवार की लड़ाई सड़क पर आने के बाद से मां कृष्णा पटेल ने बेटी अनुप्रिया पटेल को पैदल कर दिया है।

पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कानपुर में बताया कि अनुप्रिया मेरी बेटी हैं किंतु कुछ नजदीकी लोग उन्हें गुमराह कर रहे हैं। जिन लोगों ने उन्हें सिर पर बैठाया और विधायक तथा सांसद तक बनाया अब वह उन्हीं का विरोध करने पर उतर आई हैं, यह ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि अनुशासनहीनता और पद की गरिमा का ध्यान न रखने पर उन्हें महासचिव पद से हटा दिया गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अधिकार न होने के बाद भी अनुप्रिया पटेल ने उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाने की घोषणा कर दी, जो असंवैधानिक है। उन्होंने बताया कि अपना दल को शीघ्र ही चुस्त दुरुस्त किया जाएगा। मालूम हो पिछले दिनों अपना दल की राष्ट्रीय अध्यक्ष ने अपनी दूसरी बेटी पल्लवी पटेल को उपाध्यक्ष बनाया था जिसका अनुप्रिया विरोध कर रही हैं।

वाराणसी में कृष्णा पटेल ने बताया कि रोहनिया उप चुनाव में दामाद आशीष कुमार चुनाव लड़ना चाहते थे, इसके लिए दबाव बनाया गया लेकिन कार्यकर्ताओं की इच्छानुसार उन्होंने खुद चुनाव लड़ा। आरोप है कि उन लोगों ने भितरघात किया। परिणाम हार के रूप में सामने आया। आरोप यह भी है कि 20 को असंवैधानिक ढंग से बैठक कर राष्ट्रीय अध्यक्ष के अधिकार अनुप्रिया पटेल ने खुद में समाहित कर लिए। केंद्रीय कार्यालय में रखे अभिलेखों के साथ छेड़छाड़ की गई और कुछ को गायब भी कर दिया गया जिसकी सूचना पुलिस को भी दी गई है। उन्होंने कहा कि अनुप्रिया पटेल विधायक बनते ही तानाशाही रवैया अपनाने लगीं।

मनमाने तरीके से पार्टी चलाना चाहती हैं अध्यक्ष

अपना दल के राष्ट्रीय महासचिव पद से हटाये जाने के बाद अनुप्रिया पटेल ने मां व पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष कृष्णा पटेल के खिलाफ जमकर आग उगली। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष पार्टी संविधान के सभी नियमों को ताक पर रखकर मनमाने तरीके से संगठन चलाना चाहती हैं जिससे वह असहमत हैं। परिवार और अपना दल के कुछ स्वार्थी और महत्वाकांक्षी लोग पांच वर्षों के मेरे परिश्रम को भुनाने तथा भाजपा के साथ पार्टी के गठबंधन को तोड़कर अपना हित साधने में लगे हैं। इस षड्यंत्र को किसी भी कीमत पर कामयाब नहीं होने दिया जाएगा। प्रेस विज्ञप्ति जारी कर अनुप्रिया ने अपने पति पर लगाये जा रहे आरोपों को भी खारिज किया। यह कहते हुए कि उनके पति की भूमिका सिर्फ उन्हें उनके चुनाव के समय नैतिक समर्थन देने तक सीमित है। संगठन की बैठकों और अन्य कार्यक्रमों में वह कभी शिरकत नहीं करते हैं। बकौल अनुप्रिया, गुजरे पांच वर्षों के दौरान उन्होंने परिवार और अपना दल को कभी कोई नुकसान नहीं पहुंचाया बल्कि 2012 का विधानसभा व 2014 में लोकसभा चुनाव जीतकर पार्टी का सम्मान बढ़ाया है। उन्हें चुनाव लड़ाने का फैसला भी पार्टी का रहा है। उन्होंने कहा गठबंधन वार्ता के दौरान भाजपा की ओर से अपना दल के विलय का प्रस्ताव रखा गया जिसे उन्होंने पार्टी हित में ठुकरा दिया और अपना दल के चुनाव चिन्ह पर ही चुनाव लड़ा। वह और पार्टी कार्यकर्ता चाहते थे कि रोहनिया उपचुनाव में किसी स्थानीय कार्यकर्ता को ही प्रत्याशी बनाया जाए लेकिन जब राष्ट्रीय अध्यक्ष ने वहां से खुद चुनाव लड़ने का फैसला किया तो पूरी पार्टी एकजुट होकर उनके पीछे खड़ी रही।

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