Ayush College Admission Scam: आयुष कालेजों में फर्जी दाखिले का धंधा 4 साल पुराना, निदेशालय बुलाकर की गई वसूली

Ayush Colleges Fake Admission मीरजापुर के संतुष्टि आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज सत्र वर्ष 2018-19 और वर्ष 2019-20 में बैचलर आफ आयुर्वेदिक एंड मेडिसिन सर्जरी कोर्स में दाखिला लेने वाले छात्र करियर बचाने के लिए दौड़-भाग कर रहे हैं। उन्होंने इसकी एसटीएफ से शिकायत की है।

By Ashish Kumar TrivediEdited By: Publish:Wed, 30 Nov 2022 07:58 PM (IST) Updated:Wed, 30 Nov 2022 07:58 PM (IST)
Ayush College Admission Scam: आयुष कालेजों में फर्जी दाखिले का धंधा 4 साल पुराना, निदेशालय बुलाकर की गई वसूली
Ayush Colleges Fake Admission: धंधेबाजों ने निदेशालय बुलाकर की वसूली, मेरिट वाले छात्रों से धोखा।

लखनऊ, राज्य ब्यूरो। उत्तर प्रदेश के आयुष कालेजों में 891 फर्जी छात्रों के दाखिले के मामले की जांच जैसे-जैसे जोर पकड़ रही है, नए-नए कारनामे सामने आ रहे हैं। गिरफ्तार किए जा चुके पूर्व आयुर्वेद निदेशक डा. एसएन सिंह की सरपरस्ती में आयुर्वेद निदेशालय ही नहीं बल्कि यूनानी निदेशालय में भी धंधेबाज खुलकर सीटें बेचने लगे। प्राइवेट कालेजों के प्रबंधक सीटें भरने के लिए मुंहमांगी रकम देने लगे। प्राइवेट कालेजों की रैंकिंग ऊपर दिखाई और बिना मान्यता वाले कालेजों में नीट यूजी मेरिट के छात्रों को दाखिला देकर उनका भविष्य दांव पर लगा दिया।

आयुर्वेद निदेशालय में तैनात प्रभारी अधिकारी (शिक्षा) डा. उमाकांत यादव व दो लिपिक राजेश सिंह और कैलाश भाष्कर भी गिरफ्तार किए जा चुके हैं। मीरजापुर के संतुष्टि आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज सत्र वर्ष 2018-19 और वर्ष 2019-20 में बैचलर आफ आयुर्वेदिक एंड मेडिसिन सर्जरी (बीएचएमएस) कोर्स में दाखिला लेने वाले छात्र करियर बचाने के लिए दौड़-भाग कर रहे हैं। यही नहीं उन्होंने मामले की एसटीएफ से लिखित शिकायत की है।

अगर वर्ष 2021 में 891 फर्जी दाखिले के आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो इसमें से 473 फर्जी दाखिले प्राइवेट आयुर्वेदिक मेडिकल कालेजों में और 363 फर्जी दाखिले प्राइवेट यूनानी मेडिकल कालेज में कराए गए। यानी कुल 836 फर्जी दाखिले प्राइवेट आयुर्वेदिक व यूनानी कालेजों में कराए गए। लगभग ज्यादा फर्जी दाखिले इन्हीं प्राइवेट कालेजों में हुए। अब बीते वर्षों की फाइलें खंगाली जा रही हैं तो गड़बड़ियां सामने आ रही हैं।

नीट यूजी में शामिल न होने वाले और कम अंक हासिल करने वाले छात्रों से प्राइवेट आयुर्वेदिक मेडिकल कालेजों में पहले साढ़े तीन-तीन लाख रुपये वसूले गए और बाद में भीड़ बढ़ने पर यह रेट पांच लाख रुपये तक पहुंचा। इसी तरह प्राइवेट यूनानी कालेजों में दाखिले के लिए ढाई से तीन लाख रुपये तक वसूले गए।

आयुर्वेद निदेशालय में तैनात एक बिहार के रहने वाले बाबू ने भी खेल किया है जो लंबी छुट्टी पर चल रहा है। वहीं वर्ष 2012 में राजकीय तकमील-उत्त-तिब कालेज, लखनऊ से यूनानी निदेशालय संबद्ध किए गए दो लैब टेक्नीशियन व एक बाबू पर भी जल्द शिकंजा कस सकता है।

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