फर्जी पतों पर लिए गए 84 शस्त्र लाइसेंस निरस्त

चुनाव से पहले सत्यापन में सामने आई गड़बड़ी। एडीएम टीजी ने सभी लाइसेंस निरस्त करने के दिए निर्देश।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Fri, 22 Mar 2019 09:28 PM (IST) Updated:Sat, 23 Mar 2019 08:53 AM (IST)
फर्जी पतों पर लिए गए 84 शस्त्र लाइसेंस निरस्त
फर्जी पतों पर लिए गए 84 शस्त्र लाइसेंस निरस्त

लखनऊ, जेएनएन। चुनाव से पहले शस्त्र लाइसेंस जमा कराने की पहल के बीच प्रशासन को 84 ऐसे शस्त्र लाइसेंसों की जानकारी मिली, जिनके पते सही नहीं थे। शस्त्र लाइसेंसों के सत्यापन के दौरान गड़बड़ी सामने आने पर प्रशासन ने इसे गंभीर अपराध मानते हुए निरस्त करने की कार्रवाई शुरू कर दी है। जांच के बाद आगे कार्रवाई की जाएगी। 

एडीएम ट्रांसगोमती अनिल कुमार के मुताबिक, जांच के दौरान इन शस्त्र धारकों के पते तस्दीक नहीं हुए। गंभीर बात है कि इन लोगों ने अपना पता बदलवाने के लिए आवेदन भी नहीं किया है। इसे गंभीर अपराध मानते हुए सभी के लाइसेंस निरस्त करने को कहा गया है। साथ ही पुलिस को जांच करने के लिए भी कहा गया है।

पुलिस इस बात की जांच करेगी कि क्या वाकई लाइसेंस गलत पते पर बनाए गए हैं या फिर लाइसेंस धारक दूसरी जगह शिफ्ट हो गया, लेकिन इसकी जानकारी शस्त्र अनुभाग को नहीं दी। राजधानी में करीब 58 हजार के करीब शस्त्र लाइसेंस जिनको 31 मार्च तक जमा कराना है। एडीएम के मुताबिक केवल पुलिस, सेना, सुरक्षा  और बैंक से जुड़े लोगों को ही कमेटी की संस्तुति के आधार पर शस्त्र जमा करने से छूट मिलेगी। डीएम की अध्यक्षता में गठित कमेटी की संस्तुति के बाद ही प्रशासन असलहा जमा करने से छूट देगा।

सबसे अधिक मामले गाजीपुर थाना क्षेत्र के

गलत पते पर शस्त्र लाइसेंस के मामले में गाजीपुर थाना सबसे आगे है। यहां पर कुल 76 मामले ऐसे सामने आए हैं, जिनका रिकॉर्ड नहीं मिल रहा है। गोमतीनगर और मडिय़ांव में दो-दो, अलीगंज, चिनहट, इंदिरानगर और गुडंबा में एक-एक लाइसेेंस निरस्त किया जा रहा है। 

डीएम ने कहा इलाके के एसओ की तय होगी जिम्मेदारी

राजधानी के प्रमुख अस्पतालों के बाहर अतिक्रमण और जाम से लगातार हो रही मरीजों की मुश्किलों को जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने संज्ञान में लिया है। डीएम ने कहा कि वह पुलिस अधिकारियों से इस बारे में जवाब-तलब करेंगे।  जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने जागरण से बातचीत में कहा कि वह शनिवार को पुलिस अधिकारियों के साथ होने वाली बैठक में इस पर जवाब-तलब करेंगे। जब एक बार अतिक्रमण हटाया जा चुका है तो फिर दोबारा कैसे लगा।

संबंधित एसओ की जवाबदेही तय की जाएगी। अस्पताल के बाहर अतिक्रमण वाकई बहुत गंभीर बात है। गौरतलब है कि इस महीने ही बलरामपुर अस्पताल के सामने ही अतिक्रमण के चलते जाम में फंसने से दो मरीजों की मौत हो चुकी है।

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