LDA की फाइलों के रखरखाव का मामला : फाइलें न मिलने से नामांतरण और फ्री होल्ड का काम प्रभावित, आवंटी परेशान

LDA की फाइलों के रखरखाव का मामला छह संपत्तियों में घोटाला करने वाले बाबू पुलिस की गिरफ्त से दूर। फाइलों का रखरखाव रखने वाली कंपनी ने एक लाख फाइलें नहीं दी। एलडीए ने वर्ष 2016 में पीएन राइटर कंपनी को फाइलों को स्कैनिंग करने का काम दिया था।

By Divyansh RastogiEdited By: Publish:Mon, 23 Nov 2020 11:05 AM (IST) Updated:Mon, 23 Nov 2020 11:05 AM (IST)
LDA की फाइलों के रखरखाव का मामला : फाइलें न मिलने से नामांतरण और फ्री होल्ड का काम प्रभावित, आवंटी परेशान
LDA की फाइलों के रखरखाव का मामला : छह संपत्तियों में घोटाला करने वाले बाबू पुलिस की गिरफ्त से दूर।

लखनऊ, जेएनएन। LDA की फाइलों के रखरखाव का मामला : लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) ने फाइलों का रखरखाव करने वाले पीएन राइटर कंपनी के खिलाफ दस नवंबर को मामला दर्ज कराया था। आज तक न एक लाख फाइलों का रिकॉर्ड एलडीए को मिला और न पुलिस ने विशेष रुचि ली। इसका खामियाजा आवंटियों को भुगतना पड़ रहा है। आवंटियों का फ्री होल्ड, नामांतरण जैसे काम रुके पड़े हुए हैं। फाइलें जब मिलेंगी तब विभागीय बाबू उन पर काम कर सकेंगे। यही हाल गोमती नगर स्थित वास्तु खंड में छह संपत्तियों से जुड़ा है। यहां संपत्तियों में हेरफेर करने वाला बाबू कई सप्ताह से गायब है।

 
एलडीए भी नहीं पता कर सकी और मुकदमा दर्ज होने के बाद भी गोमती नगर पुलिस आरोपी बाबू को खोज नहीं पा रही है। ऐसे में एलडीए द्वारा दर्ज करवाई गई बिल्डर दिलीप सिंह बाफिला के खिलाफ एफआईआर में क्या गिरफ्तार होगी‌? 
 
गौरतलब हो कि एलडीए ने वर्ष 2016 में पीएन राइटर कंपनी को फाइलों को स्कैनिंग करने का काम दिया था। इसके लिए संबंधित कंपनी ट्रांसपोर्ट नगर स्थित अपने गोदामों में फाइलों रखने का काम भी देख रही थी और फाइलें भी जरूरत पड़ने पर मुहैया कराती थी। एलडीए के तहसीलदार राजेश शुक्ला ने आरोप लगाया है कि जरूरत पड़ने पर भी संबंधित कंपनी फाइलें नहीं देती, इससे आवंटियों के काम लंबित होते जा रहे हैं। उधर, वास्तु खंड में छह संपत्तियों में हुए हेरफेर को लेकर बाबू के कॉकस का आज तक पर्दाफाश नहीं हो सका। एलडीए ने जब से मुकदमा दर्ज कराया है, तब से बाबू गायब है। 
 
विजिलेंस जांच में परते खुलने की उम्मीद 
एलडीए ने गोमती नगर थाने में छह भूखंडों का मामला दर्ज करवाने के बाद साइबर एक्सपर्ट एसीपी विवेक रंजन को भी यह मामले सौंप दिए हैं। साइबर एंगल से भी पचास संपत्तियों के साथ वास्तु खंड वाली संपत्तियों की जांच शुरू हो गई है। माना जा रहा है बाबू अजय प्रताप वर्मा के साथ जिस कर्मचारी व अफसर की भूमिका संदिग्ध होगी, उसको भी जांच के   दायरें  में लिया जाएगा।
 
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