जाली कागज बना कैदी को नाबालिग बताकर कराया रिहा, सामूहिक दुष्कर्म कर हत्या का था आरोपित

मोहनलालगंज में सामूहिक दुष्कर्म के बाद युवती की हत्या में था आरोपित। जाली दस्तावेज बनाने व न्यायालय को गुमराह करने के आरोप में पेशकार गिरफ्तार। आरोपित की मां और महिला अधिवक्ता की तलाश कर रही पुलिस।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 02 Sep 2018 04:32 PM (IST) Updated:Sun, 02 Sep 2018 04:32 PM (IST)
जाली कागज बना कैदी को नाबालिग बताकर कराया रिहा, सामूहिक दुष्कर्म कर हत्या का था आरोपित
जाली कागज बना कैदी को नाबालिग बताकर कराया रिहा, सामूहिक दुष्कर्म कर हत्या का था आरोपित

लखनऊ[ज्ञान बिहारी मिश्र]। राजधानी में कोर्ट को गुमराह कर एक सजायाफ्ता बंदी को नाबालिग बताकर उसकी रिहाई कराने का मामला सामने आया है। जाली दस्तावेज के जरिए न्यायालय के एक पेशकार और महिला अधिवक्ता ने साजिश के तहत खेल किया था। सीओ आलमबाग संजीव सिन्हा की पड़ताल में भूमिका उजागर होने के बाद पुलिस ने कोर्ट के पेशकार गौरव को गिरफ्तार किया है। आरोपित ने महिला अधिवक्ता संग मिलकर जाली दस्तावेज तैयार कर कैदी को रिहा कराया था। दरअसल, वर्ष 2012 में मोहनलालगंज में एक युवती की सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी। इस मामले में पुलिस ने पुतई और दिलीप नाम के दो युवकों को गिरफ्तार किया था। वर्ष 2014 में निचली अदालत ने पुतई को फांसी और दिलीप को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इस मामले में दिलीप की मां ने एक महिला अधिवक्ता से संपर्क कर मदद की मांग की थी। इसके बाद महिला अधिवक्ता ने दिलीप का फर्जी मार्कशीट तैयार कराया था, जिसमें उसे नाबालिग दर्शाते हुए उसकी उम्र 18 साल से छह माह कम दिखाई गई थी। अधिवक्ता ने जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के सामने मामले को रखा। बोर्ड ने दिलीप को नाबालिग मानते हुए उसे रिहा करने के निर्देश दे दिए। दिलीप पांच साल से जेल में था। पेशकार ने किया खेल :

जेल अधीक्षक ने रिहाई आदेश मिलने पर मजिस्ट्रेट से इस बाबत राय मांगी। अधीक्षक का पत्र जब न्यायालय पहुंचा तो पेशकार गौरव ने उसे मजिस्ट्रेट के समक्ष रखा ही नहीं। आरोपित ने खुद से उसका जवाब बनाकर वापस जेल अधीक्षक को भेज दिया। अधीक्षक को जब मजिस्ट्रेट के यहां पत्र प्राप्त हुआ और उसमें कोई आपत्ति नहीं मिली तो उन्होंने दिलीप को रिहा कर दिया।

हाइकोर्ट ने लिया संज्ञान तो खुला राज:

दरअसल, आजीवन कारावास की सजा मिलने पर दिलीप की ओर से सजा कम करने की अर्जी हाइकोर्ट में दी गई थी, जो अभी लंबित थी। हाइकोर्ट को जब उनकी बिना अनुमति के दिलीप की रिहाई की जानकारी मिली तो उन्होंने इसका संज्ञान लेकर संबंधित को तलब कर लिया। इसके बाद जेजे बोर्ड को भी फर्जीवाड़े की जानकारी हुई और आननफानन पारा थाने में एफआइआर दर्ज कराई गई। इसके बाद पुलिस ने दिलीप को गिरफ्तार कर वापस कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया। सीओ आलमबाग के मुताबिक इंदिरानगर निवासी महिला अधिवक्ता और आरोपित की मां की तलाश की जा रही है। जल्द ही दोनों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

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