फीस वृद्धि पर अभिभावकों का 'हल्ला बोल'

-अभिभावक संघ ने प्रदर्शन कर जताया आक्रोश -बेतहाशा फीस वृद्धि को वापस लेने तक आंदोलन जारी रखने का ऐ

By JagranEdited By: Publish:Tue, 18 Apr 2017 05:19 PM (IST) Updated:Tue, 18 Apr 2017 05:19 PM (IST)
फीस वृद्धि पर अभिभावकों का 'हल्ला बोल'
फीस वृद्धि पर अभिभावकों का 'हल्ला बोल'

-अभिभावक संघ ने प्रदर्शन कर जताया आक्रोश

-बेतहाशा फीस वृद्धि को वापस लेने तक आंदोलन जारी रखने का ऐलान

जागरण संवाददाता,लखनऊ: जिम्मेदारों की बेरुखी देख अभिभावकों ने स्कूलों के खिलाफ खुद ही मोर्चा संभाल लिया है। अभिभावक संघ ने मनमानी फीस वृद्धि व अन्य मुद्दों को लेकर इंदिरानगर स्थित स्प्रिंग डेल स्कूल के सामने नारेबाजी कर प्रदर्शन किया। अभिभावकों ने फीस वृद्धि को वापस लिए जाने तक आंदोलन जारी रखने का ऐलान किया ।

शासन से लेकर प्रशासन तक फीस वृद्धि को लेकर अब तक कोई संजीदा पहल न होने से अभिभावकों में नाराजगी है। अब अभिभावक संघ उन पैरेंट्स का हौसला बढ़ाएगा जो गोपनीयता भंग होने के भय से स्कूलों की ओर से की जा रही वसूली का विरोध जताने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे। मंगलवार को सुबह 8 बजे ही अभिभावक स्प्रिंग डेल इंटर कॉलेज पहुंच गए। अभिभावकों की ओर से शुरु किया गया आंदोलन बेतहाशा फीस वृद्धि व कॉपी किताब व यूनिफार्म की खरीद के लिए जबरन बनाए जा रहे दबाव के विरोध में था। अभिभावक संघ का कहना था कि सभी अभिभावक फीस वृद्धि से परेशान हैं। शिक्षा विभाग ने स्कूलों के छापेमारी की कार्रवाई शुरु की, मगर स्कूल संचालकों के ऊंचे रसूख के सामने विभाग ने घुटने टेक दिया। यही कारण था कि कार्रवाई महज एक-दो दिन तक ही सीमित रहे। यही कारण है कि स्कूल कैंपस में ही कॉपी-किताब बेंच जाने का धंधा फिर से सक्रिय हो गया। चाहें किताबें हों या स्टेशनरी या फिर यूनिफार्म कोई स्कूल बिल तक नहीं दे रहा। स्कूल पूरी मनमानी पर उतारू हैं। बीते वर्षो की तुलना में इस बार फीस और किताबों की कीमतों में बेलगाम वृद्धि की गई है। प्रशासन महज खानापूरी कर रहा। दो माह से खेल चल रहा, मगर कोई जिम्मेदार हरकत में नहीं आ रहा।

बॉक्स

अभिभावक संघ का कहना था कि स्प्रिंग डेल कॉलेज फीस के रूप में मोटी रकम वसूल रहा, जबकि सुविधाएं भी नहीं हैं। इसके अलावा उनका कहना था कि

-सन 2014 से 2017 तक फीस में 250 प्रतिशत की वृद्धि की गई।

-ड्रेस, जूते, स्टेशनरी के नाम पर कमीशन देने वाले दुकानदारों से खरीदने पर बाध्य करना, न लेने प र बच्चों को दंडित करना।

-छोटे बच्चों को टीन शेड में बैठने के लिए मजबूर करना।

-बिजली, पंखे एवं सफाई की उचित व्यवस्था न होना।

-एनसीईआरटी की पुस्तकों को दरकिनार कर कमीशन देने वाले प्रकाशनों की मंहगी पुस्तकें खरीदने को बाध्य करना।

-जिन अभिभावकों के 2 या 3 बच्चे एक ही स्कूल में पढ़ते हों तो उनके किसी एक बच्चे की फीस में रियायत न करना।

=स्कूल का पक्ष=

इस संबंध में स्प्रिंग डेल इंटर कॉलेज की निदेशक व प्रधानाचार्य रीता खन्ना का कहना है कि फीस को नियम के तहत ही बढ़ाया गया है। सुविधाओं की कमी को लेकर अभिभावकों की ओर से लगाए गए आरोप गलत हैं।

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