ऐसे तो पड़िया खा-खा कर कानपुर-उन्नाव के जंगल में ही विचरण करेगा बाघ

लखनऊ। पिछले कई माह से उत्तर प्रदेश के लोगों को छका रहे बाघ ने एक बार फिर कानपुर-उन्नाव में दस्तक दे

By Edited By: Publish:Wed, 17 Dec 2014 10:22 AM (IST) Updated:Wed, 17 Dec 2014 10:22 AM (IST)
ऐसे तो पड़िया खा-खा कर कानपुर-उन्नाव के जंगल में ही विचरण करेगा बाघ

लखनऊ। पिछले कई माह से उत्तर प्रदेश के लोगों को छका रहे बाघ ने एक बार फिर कानपुर-उन्नाव में दस्तक दे दी है। कल देर रात बाघ ने वन विभाग, वन वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट आफ इंडिया और व‌र्ल्ड वाइल्ड विंग द्वारा बांधे गए चौपाया को खा गया। बाघ की दस्तक के बाद टीमें सतर्क हैं, देर रात तक बाघ के दोबारा उस स्थल पर आने का इंतजार होता रहा। कानपुर-उन्नाव के जंगल में बाघ पकड़ने को लगाई गई वन विभाग की टीम की कारगुजारियां देख कर बाघ पकड़े जाने की संभावनाएं क्षीण हैं। हालात यही रहे तो बाघ इसी तरह पड़िया खाकर जाता रहेगा। दरअसल, बाघ को पकडऩे के लिए दो स्थानों पर पडिय़ा तो बाध दी लेकिन पिंजरा लगाना भूल गए। नतीजा बाघ आया और पडिय़ा खाकर चला गया। बाघ तो पकड़ा नहीं जा सका बल्कि पडिय़ा की बलि चढ़ गई। वन टीम ने अब काबिंग शुरू कर दी है।

लखनऊ मंडल के छह जिलों से विचरता हुआ बाघ 25 दिन पहले उन्नाव में गंगा की तलहटी में बसे गांवों में आ गया था। सनी सराय गांव में एक गाय को जब बाघ ने अपना शिकार बनाया तो उसे पकड़ने के लिए वन विभाग और व‌र्ल्ड वाइल्ड विंग द्वारा चारा के रूप में एक चौपाया को पहाड़ीपुर गांव में बांधा गया था। बाघ के कन्नौज और फिर फर्रुखाबाद में जाने की सूचना के बाद टीमें थोड़ा सुस्त हुई। इसी बीच कल बाघ एक बार फिर गांव में आ गया। स्थानीय लोगों ने जब इसकी सूचना संबंधित अधिकारियों को दी तो फिर से गांव में डेरा जमा लिया गया है। देर रात तक टीमें बाघ के दोबारा आने का इंतजार कर रही थीं वहीं दूसरी ओर पुलिस ने क्षेत्र में गश्त बढ़ा दी है।

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