रमियाबेहड़ के गोवंश आश्रय केंद्र हो गए बेसहारा

खेतों में तैयार खड़ी लहलहाती फसलों को तबाह कर रहे बेसहारा पशु। किसानों के लिए यह एक अत्यंत चिता का विषय बना हुआ है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 29 Aug 2020 11:01 PM (IST) Updated:Sat, 29 Aug 2020 11:01 PM (IST)
रमियाबेहड़ के गोवंश आश्रय केंद्र हो गए बेसहारा
रमियाबेहड़ के गोवंश आश्रय केंद्र हो गए बेसहारा

लखीमपुर : बेसहारा पशुओं के लिए लाखों रुपये की लागत से तैयार रमियाबेहड़ के गोवंश आश्रय केंद्र आज प्रशासनिक उपेक्षा के चलते खुद बेसहारा हो गए हैं। जिस कारण क्षेत्र में दिन पर दिन बढ़ती बेसहारा पशुओं की संख्या से जहां रोड पर दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं तो वहीं फसल रखवाली के लिए किसान काफी चितित हैं। खेतों में लगी लहलहाती किसानों की फसलें बेसहारा पशुओं के द्वारा बर्बाद हो रही है। जोकि किसानों के लिए यह एक अत्यंत चिता का विषय बना हुआ है।

किसानों को बेसहारा पशुओं की समस्या से निजात मिले इसलिए प्रदेश सरकार द्वारा गौशालाओं का निर्माण कराया गया। इसके साथ ही कई अन्य योजनाएं संचालित की गई। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में बेसहारा पशुओं की समस्या खत्म होने के बजाय दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही है। आलम यह है कि एक तरफ बंदरों के द्वारा किसानों की फसलें बर्बाद की जा रही हैं तो वही दिन पर दिन बढ़ती बेसहारा पशुओं की संख्या भी किसानों के लिए काफी सिरदर्द बनी हुई है। खून पसीना एक कर खेतों में तैयार फसल की रखवाली के लिए किसान अब दिन-रात खेतों में डेरा डालने को मजबूर हो हैं और उधर लाखों की लागत से बनी गोशालाएं प्रशासन की देखरेख के अभाव में खुद बेसहारा हो गई हैं। जिस कारण क्षेत्रीय किसानों में काफी मायूसी छाई हुई है। बेसहारा पशुओं की समस्या से जूझ रहे झिन्नापुरवा के कृषक राजीव मिश्रा, नौवापुर के कृषक अवधेश मिश्रा, बैरिया के कृषक बृजेंद्र दीक्षित, अमरनाथ मिश्रा, ढखेरवा से कृषक अनिल वर्मा और चंद्र मोहन वर्मा, जमहौरा से यज्ञ प्रकाश मौर्य, सुजानपुर से जग प्रताप श्रीवास्तव, तेलियार से मित्तल श्रीवास्तव आदि सैकड़ों किसानों ने इस ओर मुख्यमंत्री का ध्यान आकर्षित करते हुए बेसहारा पशुओं की समस्या से निजात दिलाने की गुहार लगाई है।

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