कोरोना योद्धा के रूप में डटी रहीं आशा कार्यकर्ता नेहा

कोरोना वायरस के खिलाफ अग्रिम मोर्चे पर लड़ाई लड़ रहे मेडिकल स्टाफ में आशा क

By JagranEdited By: Publish:Thu, 21 Jan 2021 10:31 PM (IST) Updated:Thu, 21 Jan 2021 10:31 PM (IST)
कोरोना योद्धा के रूप में डटी रहीं आशा कार्यकर्ता नेहा
कोरोना योद्धा के रूप में डटी रहीं आशा कार्यकर्ता नेहा

लखीमपुर : कोरोना वायरस के खिलाफ अग्रिम मोर्चे पर लड़ाई लड़ रहे मेडिकल स्टाफ में आशा कार्यकर्ता की अहम भूमिका रही है। संक्रमण काल में जब लोग घर से भी बाहर निकलने से डरते थे, तब कोरोना योद्धा के रूप में नकहा के बड़ागांव की आशा नेहा परवीन घर-घर जाकर अपनी सेवाएं दे रही थीं। मुस्लिम बाहुल्य ग्राम पंचायत में बाहर से आने वाले लोगों की सूची तैयार कर उन्हें घर में ही क्वारंटाइन करना था। साथ ही लोगों को संक्रमण से बचाव के लिए जागरूक भी करना था। क्वारंटाइन लोगों को मास्क लगाने, सैनिटाइजर का उपयोग करने और बार-बार साबुन से हाथ धोने की सलाह भी दी गई।

परिवारजन की भी खरी-खोटी सुनी

स्वास्थ्य सेवाओं के साथ घर की जिम्मेदारियों को निभाना कितना मुश्किल था, जिसका सामना नेहा परवीन को हर दिन करना पड़ता था। ड्यूटी से घर वापस आने पर नेहा को परिवारजन की खरी-खोटी सुननी पड़ती थी। बाहर से आई हो अलग रहो, खुद भी बीमार होगी और दूसरों को भी बीमार करोगी। आएदिन प्रसव के लिए गर्भवती महिलाओं को जिला महिला अस्पताल तक पहुंचाने की जिम्मेदारी भी निभाई। इसके लिए कभी-कभी 20-20 घंटे भी मरीज के साथ अस्पताल में बिताने पड़े। आशा कार्यकर्ता ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा की वो महत्वपूर्ण इकाई हैं, जिनकी बदौलत प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर उस समय भी मरीज पहुंच रहे थे।

हर चेहरे पर थी दहशत कोरोना वायरस की दहशत नेहा के ही नहीं, स्वास्थ्य विभाग की सेवा में लगे हर चेहरे पर साफ दिखती थी। जिला अस्पताल में जब कोई मरीज अपने को कोरोना संक्रमित बताता तो सारे लोग गायब हो जाते। अस्पतालों तक में सन्नाटा पसर गया था। ऐसे हालातों में आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर ऐसे मरीजों की पहचान करने में जुटी थीं, जिन्हें थोड़ी बहुत खांसी, जुखाम, बुखार और गले में दर्द है। पता लगते ही ये ऐसे मरीजों को तुरंत अस्पताल पहुंचा रही थीं, जिससे इनमें बीमारी बढ़ न सके। बुनियादी सुविधाओं को घर-घर पहुंचा रहीं ग्रामीण महिलाओं और बच्चों की सेहत की देखभाल के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन ने वर्ष 2005 में आशा कार्यकर्ता का पद सृजित किया था। ग्रामीण स्तर पर इन आशाओं की यह जिम्मेदारी है कि ये गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं की देखरेख करें। बुनियादी प्राथमिक चिकित्सा सुविधाओं को भी घर-घर पहुंचाना इनकी जिम्मेदारी है। कोरोना संक्रमण काल में नेहा परवीन रोजाना की तरह अपनी धुन में घर-घर जाकर ग्रामीणों को साफ-सफाई और घर में रहने की नसीहत दे रही थीं।

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