दस में दो अनुदेशक, उद्देश्य में विफल आइटीआइ

राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान सेवरही शो पीस बनकर रह गया है। संसाधनों की कमी से जूझ रहे इस संस्थान की दशा बदतर हो गई है। अपने मकसद से कोसों दूर खड़े इस तकनीकी संस्थान के प्रति जिम्मेदारों की उदासीनता जाहिर होने लगी है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 05 Dec 2019 11:28 PM (IST) Updated:Thu, 05 Dec 2019 11:28 PM (IST)
दस में दो अनुदेशक, उद्देश्य में विफल आइटीआइ
दस में दो अनुदेशक, उद्देश्य में विफल आइटीआइ

कुशीनगर : राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान सेवरही शो पीस बनकर रह गया है। संसाधनों की कमी से जूझ रहे इस संस्थान की दशा बदतर हो गई है। अपने मकसद से कोसों दूर खड़े इस तकनीकी संस्थान के प्रति जिम्मेदारों की उदासीनता जाहिर होने लगी है।

आइटीआइ 1989 में स्थापित हुआ। निजी भवन के अभाव में 28 वर्षों तक तमकुही स्टेट परिसर में किराए पर संचालित होता रहा। 2017 में कस्बा के समीप दुदही विकास खंड के तिवारी पट्टी में संस्थान का निजी भवन बनकर तैयार हुआ तब उम्मीद जगी कि संस्थान की बदहाली दूर होगी और यह युवाओं को रोजगारपरक प्रशिक्षण प्रदान कर इन्हें स्वावलंबी होने में मदद करेगा, लेकिन स्थापना के 30वें वर्ष में प्रवेश कर चुके संस्थान की स्थिति चिताजनक है। यहां सृजित दस अनुदेशकों में फीटर, इलेक्ट्रीशियन, ट्रैक्टर मैकेनिक, इलेक्ट्रानिक्स, वेल्डर, कंप्यूटर, मैकेनिक, रेफ्रीजरेशन एंड एयरकंडीशनिग, स्वीइंग टेक्नोलाजी व बेसिक कास्मेटिक के स्थान पर महज इलेक्ट्रानिक्स व ट्रैक्टर मैकेनिक के अनुदेशक की तैनाती है। स्वीइंग टेक्नोलाजी व बेसिक कास्मेटिक के अनुदेशक ही नहीं है।

प्रत्येक ट्रेड में 20 का नामांकन होता है। इस समय सिर्फ 185 नामांकन है। बिजली का प्रबंधन बेहतर नहीं है। एक वर्ष पूर्व संस्थान के 16.63 लाख रुपये जमा करने के बावजूद बिजली विभाग की लापरवाही से आज तक कनेक्शन नहीं मिल सका है। परिसर में महज एक इंडिया मार्का हैंडपंप है, पेयजल की समुचित व्यवस्था नहीं है।

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यहां का अतिरिक्त प्रभार मिला है। मौजूदा व्यवस्था से विभाग को अवगत कराया गया है। शीघ्र व्यवस्था बेहतर होने की उम्मीद है।

शरदचंद्र सबरवाल, प्रधानाचार्य, आइटीआइ पडरौना

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