धान की खेती के लिए अपनाएं यह खास तरीका, कम खर्च व मेहनत में होगी अधिक पैदावार; फायदे जान लें

खर्चीले धान की रोपाई से राहत मिलेगी। किसान कम लागत व कम मेहनत कर 45 से 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन पा सकते हैं। इसके लिए किसानों को धान की खेती को नया तरीका अपनाना होगा। आइए जानते हैं नया तरीका...

By Jagran NewsEdited By: Publish:Fri, 02 Jun 2023 04:38 PM (IST) Updated:Fri, 02 Jun 2023 04:38 PM (IST)
धान की खेती के लिए अपनाएं यह खास तरीका, कम खर्च व मेहनत में होगी अधिक पैदावार; फायदे जान लें
धान की सीधी बोआई करता सीड ड्रील मशीन। -जागरण

कुशीनगर, जागरण संवाददाता। धान खरीफ की प्रमुख फसल है। बेहन गिराने तथा रोपाई कराने का काम जहां काफी खर्चीला है वहीं धान की सीधी बोआई कर किसान कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। धान की सीधी बोआई से 20 प्रतिशत पानी के साथ साथ पांच हजार रुपये प्रति हेक्टेयर उत्पादन लागत में कमी आती है। इस विधि से बोआई के लिए अनुकूल समय 15 मई से 15 जुलाई है। बोआई के लिए 25 से 30 किग्रा प्रति हेक्टेयर धान के बीज की आवश्यकता होती है। बोआई के पूर्व बीज को थीरम 2 से 2.5 ग्राम प्रति किग्रा के हिसाब से उपचारित करते हैं। इसकी बोआई सीड ड्रिल मशीन से 2.5 से 3 सेमी गहराई तक खेत में नमी बनाकर की जाती है।

इन सामग्रियों का करें उपयोग

इस विधि से बोआई के पूर्व प्रजातियों के अनुसार गोबर की खाद 20 से 25 टन, नत्रजन 120 से 180 किग्रा, फास्फोरस 60 किग्रा, पोटाश 60 किग्रा, जिंक सल्फेट 20 किग्रा प्रति हेक्टेयर उपयोग किया जाता है। वर्षा नहीं होने पर समय-समय पर फसल की सिंचाई आवश्यक है। खर-पतवार प्रबंधन के लिए बोआई के 48 घंटे के भीतर 3.3 लीटर पेंडिमेथेलीन 600 लीटर पानी में घोल तैयार कर छिड़काव कर दें। 20 से 25 दिन बाद विसपाइरी बैक सोडियम 200 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 500 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

इस विधि से औसत उपज 45 से 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होगी। नत्रजन का प्रयोग बोआई के समय, कल्ले निकलते समय एवं पुष्पन अवस्था के पूर्व आवश्यक रुप से करें। बीज की बोआई 2 से 3 सेमी गहराई से अधिक न की जाए। धान की बोआई के पूर्व 10 से 15 किग्रा ढैंचा का बीज खेत में बोएं। 35 से 40 दिन में 2 से 4 ढक्कन ईस्टर, 500 से 600 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 600 लीटर पानी में घोल तैयार कर छिड़काव करें इससे ढैंचा एवं खर-पतवार दोनों समाप्त हो जाएंगे।

क्या कहते हैं जानकार

भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान वाराणसी के निदेशक डॉ. तुषारकांत बेहेरा का कहना है कि धान का उत्पादन भूमि की किस्म व जलवायु पर निर्भर है। धान की सीधी बोआई कम लागत में अधिक उत्पादन देने वाला है। विभिन्न कृषि विज्ञान केंद्रों पर सीड ड्रील मशीन उपलब्ध है। किसान अपने निकट के केंद्रों से संपर्क कर धान की सीधी बोआई कर सकते हैं।

कृषि विज्ञान केंद्र सरगटिया के प्रभारी अधिकारी डॉ. अशोक राय कहते हैं कि धान की सीधी बोआई किसानों के लिए लाभप्रद है। जिले में निचले स्तर की जमीन में इसकी बोआई कर कम लागत में अधिक उत्पादन किसान ले सकते हैं।

नहरें सूखीं, सिंचाई के लिए किसान चिंतित

सिंचाई खंड कुशीनगर व फाजिलनगर की मठिया शाखा नहर, हरपुर रजवाहा व खजुरिया शाखा नहर में जलापूर्ति बंद होने से फसलों की सिंचाई को लेकर किसानों की चिंता बढ़ गई है। क्षेत्र के मुस्ताक खान, कमलेश, बीरबल, दुर्गा सिंह, बंटी सिंह, बांकेलाल आदि किसानों ने कहा कि फसलें बर्बाद हो रही हैं। नहरों व माइनर में पानी न आने से किसानों को काफी परेशानी हो रही है। शीघ्र नहरों में पानी छोड़वाया जाए।

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