उठहु राम भंजहु भव चापा..
जागरण संवाददाता, कानपुर देहात: जनपद में बुढ़वा मंगल के मौके पर जगह जगह अखंड पाठ के सा
जागरण संवाददाता, कानपुर देहात: जनपद में बुढ़वा मंगल के मौके पर जगह जगह अखंड पाठ के साथ रामलीलाओं का मंचन हुआ। कड़री आश्रम में दिन में तो रूरा व किशुनपुर में रात में लीलाओं का मंचन हुआ। इस मौके पर जहां जनक के विलाप ने दर्शकों को भावुक किया, वहीं लक्ष्मण के क्रोध व रावण वाणासुर संवाद से दर्शक रोमांचित हुए। वहीं धनुष भंग होते ही श्रीराम के जयकारे माहौल में गूंज उठे।
रूरा शिवली मार्ग पर स्थित कड़री गांव के हनुमानगढ़ी आश्रम में मंगलवार को दिन में धनुष यज्ञ लीला का शुभारंभ हुआ। जिला पंचायत सदस्य गुड्डन त्रिवेदी ने श्री राम व लक्ष्मण की आरती उतारकर लीला का शुभारंभ कराया। इधर धनुष न टूटने से क्रोध में आकर राजा जनक ने तजहु आस निज निज गृह जाहू, लिखा न विधि वैदेहि विवाहू कहकर निराशा का इजहार किया, वहीं क्रोध में राजा जनक के अब जनि कोउ माखै भटमानी, वीर विहीन मही मैं जानी कहने से लक्ष्मण क्रोधित हो गए। उन्होने कही जनक जस अनुचित वानी, विद्यमान रघुकुल मणि जानी का उल्लेख करते हुए अपना क्रोध व्यक्ति किया। इस पर श्रीराम ने उनको शांत कराया। इसके बाद ब्यास जी द्वारा उठहु राम भंजहु भव चापा मेटहु तात जनक परितापा चौपाई बोलने के बाद मुनि विश्वामित्र के आदेश पर भगवान श्रीराम द्वारा शिव धनुष का कर्षण करते ही जयकारे गूंज उठे। इसके बाद परशुराम - लक्ष्मण के विद्वतापूर्ण संवादों को सुनकर दर्शक भाव विभोर हुए। इसी तरह रूरा में रिषी भदौरिया, अभय प्रताप ¨सह, मनोज कुशवाहा की देखरेख में टंकी तालाब पर व केके बाजपेई, मनोज कुशवाहा, रमन मिश्रा की देखरेख में किशुनपुर के हनुमान मंदिर परिसर में भी धनुष यज्ञ की लीलाओं का मंचन हुआ। इस मौके पर जनक के विलाप से जहां दर्शक भावुक हुए। वहीं लक्ष्मण के क्रोध व रावण वाणासुर संवाद ने दर्शकों को रोमांचित किया।