सेना दिवस : पीढि़यां कीं देश के नाम, यह परिवार रणबांकुरों का कुनबा

चारुतोष जायसवाल कानपुर देहात रसूलाबाद के त्रिपाठी परिवार की बात ही कुछ और है। परिवार

By JagranEdited By: Publish:Thu, 14 Jan 2021 09:12 PM (IST) Updated:Thu, 14 Jan 2021 09:12 PM (IST)
सेना दिवस : पीढि़यां कीं देश के नाम, यह परिवार रणबांकुरों का कुनबा
सेना दिवस : पीढि़यां कीं देश के नाम, यह परिवार रणबांकुरों का कुनबा

चारुतोष जायसवाल, कानपुर देहात :

रसूलाबाद के त्रिपाठी परिवार की बात ही कुछ और है। परिवार के सदस्यों का परिचय ही गर्व से सीना चौड़ा कर देता है। देश सेवा के जज्बे और संकल्प की यह परिवार मिसाल है जिसने हर पीढ़ी केवल सेना और देश के लिए समर्पित करने की ठान ली है। इस परिवार में लेफ्टिनेंट, कैप्टन से लेकर वारंट अफसर तक आपको मिल जाएंगे। सेना में भर्ती होने के लिए युवा भी यहां पहुंचकर सलाह लेते हैं और अपने सपने को पूरा करते हैं।

गहलू बक्सहा रसूलाबाद निवासी पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष रामविलास त्रिपाठी कॉलेज में शिक्षक थे। एनसीसी के लेफ्टिनेंट रहे। ऐसे में सेना के अधिकारियों से मिलना जुलना होता था। उनके मन में बहुत चाह थी कि सेना में जाकर देश सेवा करें, लेकिन यह सपना पूरा नहीं हो सका। उन्होंने अपने सपने को जिदा रखा। अपने बेटों देवेंद्र व शैलेंद्र को बचपन से ही देशसेवा की प्रेरणा दी। इसका असर यह हुआ कि पहले देवेंद्र एयरफोर्स में भर्ती हुए। वारंट अफसर पद से रिटायर हो गए। अभी छोटे बेटे शैलेंद्र वारंट अफसर है और चेन्नई में तैनात हैं। अब आगे की पीढ़ी में देवेंद्र के बेटे प्रतीक त्रिपाठी सेना में कैप्टन के पद पर हैं और पंजाब के फरीदकोट में तैनात है। इसी देशसेवा के जज्बे व कारवां को आगे बढ़ाते हुए हाल ही में शैलेंद्र के बेटे समीर सेना में लेफ्टिनेंट बनकर अपनी सेवा दे रहे। रामविलास कहते हैं कि हमने जिस मिट्टी में जन्म लिया है, उसकी सेवा से बढ़कर और क्या कोई कार्य हो सकता है। हमारे दूसरे नाती व पीढि़यां भी लगातार इसी तरह सेना में जाकर अपने देश के लिए फर्ज निभाएंगी।

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युवा लेते है सलाह

सेना भर्ती की तैयारी करने वाले यहां आकर सलाह लेते हैं कि आखिर पढ़ाई किस तरह से करें। खुद को मजबूत कैसे रखें व दौड़ समेत दूसरी जानकारी लेते हैं। वहीं सभी लोग सम्मान करते हैं कि इस परिवार के सदस्य हमारी हिफाजत के लिए सीमा पर डटे हैं।

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