पुराने जख्मों के लिए जीएसवीएम में होगा 'मरहम'

15 करोड़ की लागत से देश का पहला वुंड केयर सेंटर बनेगा, विदेश से तकनीक, प्रबंधन का कोर्स कर लौटे सर्जरी विभागाध्यक्ष, राज्य सरकार ने केंद्र को भेजा प्रस्ताव, जल्द मिलेगी मंजूरी

By JagranEdited By: Publish:Tue, 06 Nov 2018 01:32 AM (IST) Updated:Tue, 06 Nov 2018 01:32 AM (IST)
पुराने जख्मों के लिए जीएसवीएम में होगा 'मरहम'
पुराने जख्मों के लिए जीएसवीएम में होगा 'मरहम'

ऋषि दीक्षित, कानपुर : देश में पुराने घावों से परेशान मरीजों के कारगर इलाज के लिए अब उम्मीद की किरण फूटी है। जीएसवीएम मेडिकल कालेज में उनके घावों के लिए 'मरहम' तैयार होगा। अभी देश के किसी सरकारी संस्थान में पुराने घाव के मरीजों के इलाज की व्यवस्था नहीं है। खासकर डायबिटीज पीड़ितों के तो पैर घाव की वजह से काटने पड़ते हैं। विदेश में ऐसे मरीजों के लिए वुंड केयर सेंटर हैं। इसी तर्ज पर देश का पहला सेंटर जीएसवीएम मेडिकल कालेज में खोलने की तैयारी है। इसके लिए कालेज प्रशासन ने राज्य सरकार के माध्यम से केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा है, जिसे जल्द मंजूरी मिलने की उम्मीद है।

डायबिटीज मरीजों को डायबिटिक फुट की समस्या होती है। पुराने घावों के इलाज एवं देखभाल की अच्छी व्यवस्था न होने से 30 फीसद मरीजों के पैर काटने पड़ते हैं। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स, दिल्ली) तथा सूबे के संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआइ, लखनऊ) जैसे उत्कृष्ट चिकित्सीय संस्थानों में भी पुराने घावों के इलाज की सुविधा नहीं है। जीएसवीएम के सर्जरी विभागाध्यक्ष प्रो. संजय काला विदेश से वुंड केयर मैनेजमेंट का कोर्स कर आए हैं। डॉ. काला इंडियन पोडैट्रिक एसोसिएशन के नेशनल सेक्रेट्री भी हैं। उन्होंने यहां वुंड केयर सेंटर स्थापित करने की चर्चा कालेज की प्राचार्य डॉ. आरती दवे लालचंदानी से की तो प्रस्ताव बनाकर शासन के माध्यम से केंद्र सरकार को भेजा गया।

यह है प्रस्ताव

15 करोड़ रुपये लागत

03 मंजिला बनेगा भवन

20 प्राइवेट रूम सेंकेंड फ्लोर में होंगे

ग्राउंड फ्लोर में वुंड केयर ड्रेसिंग रूम एवं इमरजेंसी

फ‌र्स्ट फ्लोर पर कार्यालय एवं वार्ड

ये मशीनें होंगी

- हाइपर बेरिक आक्सीजन

- पैरों का दबाव मापने की मशीन

- अत्याधुनिक लेजर मशीन

- वुंड केयर की आधुनिक मशीनें

इसका होगा अलग इंतजाम

घाव की स्पेशल ड्रेसिंग, घाव की गंभीरता मापने की मशीनें, प्रेशर बेड कम ड्रेसिंग टेबिल, ऑपरेशन थियेटर।

पुराने व गंभीर घाव के कारण

- डायबिटिक फुट की समस्या

- पैरों में रक्त संचार कम होना

- लंबे समय तक खड़े होकर कार्य करने से पैरों में नस के गुच्छे बनना

- इंफेक्शन की वजह से घाव

- आपरेशन के बाद के घाव

- डायबिटीज की वजह से घाव न भरना

- रेडियोथेरेपी के बाद के घाव

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वुंड केयर सेंटर के लिए राज्य और केंद्र सरकार का पूरा सहयोग मिल रहा है। इस सेंटर के लिए स्वीकृति और बजट मिलने में कोई दिक्कत नहीं आएगी।

-डा. आरती दवे लालचंदानी

प्राचार्य, जीएसवीएम मेडिकल कालेज

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