Arun Jaitley : जब आइपीएल मैच के दौरान महाना के साथ दाल रोटी खाने लगे थे जेटली Kanpur News

सतीश महाना के आग्रह पर उनकी गाड़ी में बैठ गए थे वित्तमंत्री भाजपाइयों को याद आ रहा जेटली की सादगी और मिलनसार स्वभाव।

By AbhishekEdited By: Publish:Sat, 24 Aug 2019 11:51 PM (IST) Updated:Sun, 25 Aug 2019 10:18 AM (IST)
Arun Jaitley  : जब आइपीएल मैच के दौरान महाना के साथ दाल रोटी खाने लगे थे जेटली Kanpur News
Arun Jaitley : जब आइपीएल मैच के दौरान महाना के साथ दाल रोटी खाने लगे थे जेटली Kanpur News

कानपुर, जेएनएन। पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली कानपुर में ऐसे नेता के रूप में जाने जाते हैं जो संबंधों में बिल्कुल बेतकल्लुफ थे, मिलनसार थे, राष्ट्र के प्रति समर्पित थे और सादगी से भरपूर थे। वित्त मंत्री बनने के बाद जब वे कानपुर आए तो उनके बेहद करीबी विधायक सतीश महाना ने आग्रह किया कि उनकी गाड़ी में बैठें। उन्होंने एक बार भी नहीं सोचा और अपनी गाड़ी छोड़कर विधायक की गाड़ी में जाकर बैठ गए।

यह उनकी सादगी की एक मिसाल है। प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री सतीश महाना बताते हैं कि ऐसे न जाने कितने किस्से उनसे जुड़े हैं। जब कानपुर में आइपीएल का मैच था तो वहां खाने-पीने का भी इंतजाम था। जेटली जी बोले, चलो खाना खाया जाए। इस पर मैंने कहा, खाना तो मैं घर का लाया हूं। बस फिर क्या था, जेटली ने उनके साथ घर की बनी मूंग की दाल और लौकी की सब्जी के साथ रोटी खाई। महाना बताते हैं कि 1997 में जेटली जी केंद्रीय मंत्री थे। एक काम के सिलसिले में उनसे मुलाकात हुई।

यहीं से संबंधों की डोर मजबूत होती गई। इसके बाद उनके हर विधानसभा चुनाव में प्रचार के लिए आते रहे। जब वह उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सदस्य बने तो महाना उनके एजेंट थे और खुद सर्टिफिकेट लेकर दिल्ली गए थे। महाना कहते हैं कि उन्हें पद की लालसा नहीं है, लेकिन 2017 में विधानसभा चुनाव की जीत के बाद जेटली जी ने उन्हें मुख्यमंत्री पद के काबिल नेता बताया था। एक कार्यक्रम में कहा था कि महाना जैसे कम लोग होते हैं। यह शब्द मेरे जीवन का सबसे बड़ा अवार्ड है।

भाजपा जिलाध्यक्ष सुरेंद्र मैथानी ने बताया कि अरुण जेटली वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में चार्टर्ड प्लेन से शहर आए थे। जब उन्हें पता चला कि यहां से प्राइवेट फ्लाइट नहीं हैं तो उन्होंने एयरपोर्ट के निदेशक व स्टाफ से बात की। कहा कि सारे डाक्यूमेंट्स तैयार कर मुझे भेजिए। मैंने सारे दस्तावेज उन्हें दिल्ली ले जाकर दिए। 2014 में भाजपा सरकार बनी तो इसका फायदा मिला। मीडिया प्रभारी अनूप अवस्थी कहते हैं कि वह इतनी सादगी से मिलते थे कि हमें छोटा कार्यकर्ता होने का अहसास नहीं होता है। उनका व्यक्तित्व बड़प्पन से भरपूर था।

'देश मुझे नहीं मोदी को पीएम चाहता है'

2012 के विधानसभा चुनाव के दौरान जब अरुण जेटली कानपुर आए तो यूपी पंजाबी अकादमी के सदस्य गुरविंदर सिंह छाबड़ा विक्की के साथ मोतीझील चौराहे पर चाय पीने गए। युवा नेता ने चर्चा करते हुए कहा कि उन्हें देश का प्रधानमंत्री बनना चाहिए। तब जेटली बोले, देश उन्हें नहीं मोदी जी को पीएम देखना चाहता है। वही इस देश को चला सकते हैं। गुरविंदर सिंह कहते हैं कि इस छोटी सी मुलाकात के बाद उन्हें मेरा नाम याद हो गया। जब 2016 में वह एक कार्यक्रम में आए तो उन्होंने सार्वजनिक तौर पर मुझे जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं। यह मेरे लिए यादगार पल बन कर रह गया।

चुटकी लेने से नहीं चूकते थे

2011 में अरुण जेटली भाजपा के नवीन मार्केट स्थित कार्यालय पहुंचे। उस वक्त वहां जिलाध्यक्ष विजय सेंगर, महामंत्री नीलिमा कटियार और सुरेंद्र मैथानी, सुनील बजाज आदि मौजूद थे। कार्यालय की हालत अच्छी नहीं थी और कुर्सियां भी टूटी थीं। जिस कुर्सी पर वह बैठे उसका हत्था भी टूटा था। ऐसे में उन्होंने सुनील बजाज व पूनम कपूर को संबोधित कर मजाकिया लहजे में पंजाबी में कहा 'तेरी कुर्सी भी टुट्टी तेरी जमीन भी टुट्टी, बचा अपने नूं'

अंतिम बार 22 मई 2016 को आए थे शहर

विधायक सतीश महाना जब अपने 25 वर्ष के विधानसभा के कार्यकाल को सेवा उत्सव के तौर पर मना रहे थे तो उस कार्यक्रम में 22 मई 2016 को अरुण जेटली अंतिम बार कानपुर आए थे। इस दौरान वह एक अन्य कार्यक्रम में भी शरीक हुए थे।

जेल में साथ रहने का मिला सौभाग्य

कोलकाता से लालचौक के लिए चली भाजपा की तिरंगा यात्रा में भाजयुमो के तत्कालीन महानगर अध्यक्ष प्रमोद विश्वकर्मा भी थे। प्रमोद बताते हैं कि वे लोग जम्मू-कश्मीर में प्रवेश करते ही गिरफ्तार हो गए। कठुआ जेल में उन्हें लाया गया, जहां शाम को ही अरुण जेटली और सुषमा स्वराज भी गिरफ्तार कर लाए गए। वहां उन्हें करीब से देखा तो उनकी मिलनसार स्वभाव से निहाल हो गए।

भाजपा के सारे कार्यक्रम स्थगित

पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली के निधन पर भाजपा ने अपने सारे कार्यक्रम रद कर दिए हैं। जिलाध्यक्ष सुरेंद्र मैथानी ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर यह जानकारी दी।

उनका हर शब्द नोट करती थी : नीलिमा

कल्याणपुर से विधायक और प्रदेश की राज्यमंत्री नीलिमा कटियार कहती हैं कि अरुण जेटली जैसे बड़े व्यक्तित्व का जाना पूरे देश की क्षति है। मेरे जैसे छोटे कार्यकर्ताओं के लिए वह ज्ञान कोष थे। विभिन्न विषयों पर उनकी अद्भुत पकड़ थी। जब मैं बतौर भाजयुमो कार्यकर्ता काम कर रही थी तो उन्हें सुनने को आतुर रहती थी। जिस विषय पर वे बोलते थे, उसमें डूब जाते थे। उनके भाषण के हर शब्द को नोट करती थी। उनमें सहजता और सरलता का संगम था। मुझे याद है कि जब मैं भाजयुमो प्रदेश मंत्री थी तो वह लखनऊ में एक बैठक लेने आए। वक्तव्य के दौरान पीछे के कार्यकर्ता के पास तक जाते थे ताकि सभी से संवाद स्थापित कर सकें। वह छोटे-बड़े का भेद नहीं रखते थे। राज्यसभा चुनाव में बतौर विधायक उन्हें वोट देकर मुझे बेहद खुशी मिली थी। उनके निधन से बेहद दुखी हूं।

प्रखर अर्थशास्त्री व उदारवादी नेता थे जेटली : सांसद

सांसद सत्यदेव पचौरी ने पूर्व वित्त मंत्री के निधन पर शोक जताया। कहा कि देश ने एक बड़ा अर्थशास्त्री खो दिया है। वह अच्छे अधिवक्ता थे और उनके कार्यकाल में नोटबंदी, जीएसटी से लेकर काले धन को काबू करने की दिशा में महत्वपूर्ण काम हुए हैं। 

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