..जब उग्रवादियों के बीच फंस गए थे 18 जवान

जागरण संवाददाता, कानपुर : दुश्मन सामने थे और हमारे लोगों की जान संकट में। हमने ठान लिय

By JagranEdited By: Publish:Mon, 18 Dec 2017 12:17 AM (IST) Updated:Mon, 18 Dec 2017 12:17 AM (IST)
..जब उग्रवादियों के बीच फंस गए थे 18 जवान
..जब उग्रवादियों के बीच फंस गए थे 18 जवान

जागरण संवाददाता, कानपुर : दुश्मन सामने थे और हमारे लोगों की जान संकट में। हमने ठान लिया था कि देश के जवानों को बचाना है। हमारे हेलीकॉप्टर में गोली भी लग गई, लेकिन परवाह नहीं की और असोम में उग्रवादियों के बीच फंसे 18 सीआरपीएफ जवानों को सकुशल निकाल लाए।

शौर्य चक्र विजेता ग्रुप कैप्टन वत्सल कुमार ¨सह ने जब यह संस्मरण साझा किया तो वहां मौजूद हर शख्स के रोंगटे खड़े हो गए और जांबाजों की बहादुरी सुनकर सीना गर्व से चौड़ा हो गया। यही नहीं, एक-एक कर सैनिकों ने भारतीय सेना की शौर्य गाथा सुनाई तो उनके सम्मान में सभी के हाथ सलाम को उठे। यह मौका ही शौर्य, वीरता और विजय की बात करने का था। दरअसल, पूर्व सैनिक सेवा परिषद ने श्याम नगर में रविवार को विजय दिवस का आयोजन किया था। पूर्व सैनिकों का कहना था कि भारत-पाक के बीच हुआ 1971 का युद्ध देश के जवानों के लिए किसी शौर्य गाथा से कम नहीं है। आज भी विजय दिवस को याद कर सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। मुख्य अतिथि नगर आयुक्त अविनाश ¨सह ने कहा कि यह युद्ध ऐतिहासिक था और 13 दिन के अंदर पाकिस्तान के बड़े भूभाग पर भारत की सेना ने कब्जा किया था। सरहद पर सैनिक तैनात हैं, तभी देश के लोग चैन से घरों में सो रहे हैं।

परिषद के प्रदेश अध्यक्ष एयर कमोडोर गिरीश चंद्र मिश्र ने पूर्व सैनिकों से एकजुटता के साथ देश व समाज सेवा में जुटने का आह्वान किया। प्रांत अध्यक्ष ग्रुप कैप्टन आरके यादव ने युद्ध के कई संस्मरण लोगों से साझा किए। कार्यक्रम में 14 जिलों से पूर्व सैनिक शामिल हुए। राष्ट्रीय मंत्री प्रहलाद ¨सह, ¨वग कमांडर आरएस भदौरिया, मास्टर वारंट अफसर महेंद्र पाल शर्मा, सुबोध रंजन वर्मा, अवधेश नारायण, प्रमोद मिश्र, कैप्टन राधेश्याम, पुष्पेंद्र ¨सह व मेहताब ¨सह रहे।

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द्वितीय विश्वयुद्ध के सेनानी का किया सम्मान

द्वितीय विश्वयुद्ध के गौरव सेनानी 95 वर्षीय सिपाही सोनेलाल का समारोह में अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया। परिजनों ने बताया कि उस समय अंग्रेजी हुकूमत ने उन्हें लड़ने के लिए विदेश भेजा था। योद्धा देवनारायण दीक्षित का भी सम्मान हुआ।

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