Vikas Dubey News: बिकरू कांड की किसने रची थी साजिश, पुलिस की चार्जशीट ने खोला राज

पुलिस ने अदालत में दाखिल चार्जशीट में चार महिलाएं हमले के लिए उकसाने और जेसीबी चालक वारदात में सहयोग का आरोपित बनाया है वहीं पुलिस कर्मियों की हत्या में 25 हमलावर ोंों के शामिल होने की बात कही है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Sun, 04 Oct 2020 09:05 AM (IST) Updated:Sun, 04 Oct 2020 09:05 AM (IST)
Vikas Dubey News: बिकरू कांड की किसने रची थी साजिश, पुलिस की चार्जशीट ने खोला राज
एनकाउंटर में मारा जा चुका बिकरू कांड का मुख्य आरोपित विकास दुबे और उसका साथी अमर दुबे।

कानपुर, जेएनएन। बिकरू कांड में अदालत में दायर चार्जशीट में पुलिस ने सभी आरोपितों के घटना से संबंध में भी स्थापित किए हैं। चार्जशीट के मुताबिक 36 में से छह लोग साजिश करने, चार महिलाएं हमलावरों को उकसाने के आरोपित बनाए गए हैं। उधर, हमीरपुर में दुर्दांत विकास दुबे के गुर्गे अमर दुबे के एनकाउंटर में मजिस्ट्रेट जांच में साक्ष्य मांगे गए हैं।

चार्जशीट में पुलिस ने लगाए आरोप

चार्जशीट के मुताबिक पूर्व एसओ विनय तिवारी, हलका प्रभारी सब इंस्पेक्टर केके शर्मा ने पुलिस दबिश की सूचना लीक की। जय बाजपेयी और प्रशांत ने वारदात से पूर्व विकास दुबे को पैसा व कारतूस मुहैया कराए और गुड्डन त्रिवेदी और सुशील ने वारदात की व्यूह रचना की, लेकिन घटना के समय दोनों ही मौके पर मौजूद नहीं थे। पुलिस ने इन सभी छह आरोपियों को साजिशकर्ता माना है। इसके अलावा अमर दुबे की मां क्षमा दुबे, पत्नी खुशी, रेखा और शांति देवी पर आरोप है कि उन्होंने पुलिस वालों पर हमले के लिए हमलावरों का उकसाया। जेसीबी चालक भी हमले में शामिल नहीं था, लेकिन उसने जेसीबी लगाकर पुलिस वालों का रास्ता रोका और वारदात के समय भी मौके पर मौजूद रहा। चार्जशीट के इसके अलावा सभी 25 अभियुक्त पुलिस कर्मियों की हत्या में शामिल रहे।

हमीरपुर अपर जिला मजिस्ट्रेट ने दिया अंतिम समय

दुर्दांद विकास दुबे का दाहिना हाथ रहे अमर दुबे के एनकाउंटर मामले में हमीरपुर में मजिस्ट्रेट जांच के दौरान अब तक ने किसी ने आपत्ति जताई, न साक्ष्य प्रस्तुत किया गया। अब हमीरपुर के अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व विनय प्रकाश श्रीवास्तव ने साक्ष्य पेश करने के लिए आठ अक्टूबर शाम चार बजे तक का समय दिया है। बिकरू कांड में वांछित 25 हजार रुपये के इनामी और दुर्दांत विकास के भतीजे अमर दुबे के मौदहा क्षेत्र में छिपे होने पर एसटीएफ व मौदहा कोतवाली पुलिस की दबिश में मुठभेड़ हो गई, जिसमें अमर दुबे की गोली लगने से मौत हो गई थी।

जिला मजिस्ट्रेट ने दस जुलाई को मामले की जांच के लिए अपर जिला मजिस्ट्रेट को आदेश दिया। अपर जिला मजिस्ट्रेट विनय प्रकाश श्रीवास्तव ने घटना के संबंध में लिखित, मौखिक और अभिलेखीय साक्ष्य लोगों से मांगे थे। उन्होंने अंतिम अवसर देते हुए कहा कि कोई भी व्यक्ति आठ अक्टूबर तक किसी भी कार्य दिवस में सुबह दस से शाम चार बजे तक उपस्थित होकर मामले में साक्ष्य प्रस्तुत कर सकता है। इसके बाद जांच पूरी कर रिपोर्ट सौंपी जाएंगी।

सौरभ ने की 117 शिकायतें, जय पर नहीं हुई कार्रवाई

बिकरू कांड शायद नहीं हुआ होता, अगर पुलिस-प्रशासन मुख्यमंत्री और विभिन्न शिकायती पोर्टल पर शिकायतों की ईमानदारी से जांच करते। जय बाजपेयी के प्रतिस्पर्धी सौरभ भदौरिया ने पिछले तीन-चार वर्षों में 117 शिकायतें करके गिरोह के बारे में जानकारियां दीं, जिन्हें नजरंदाज कर दिया गया। जय बाजपेयी और सौरभ भदौरिया दोनों पड़ोसी हैं। इनके बीच विवाद भी चल रहा है। इस विवाद की आड़ में पुलिस और जिला प्रशासन ने जय बाजपेयी का असली चेहरा सामने नहीं आने दिया।

सौरभ के मुताबिक जय बाजपेयी की जिन संपत्तियों और गिरोह के बारे में अब जांच चल रही है, उनके बारे में वह काफी समय पूर्व सूचना दे चुके थे। हर बार स्थानीय स्तर पर यही रिपोर्ट लगाई जाती कि उनके और जय बाजपेयी के बीच विवाद है और वह वर्चस्व के लिए आरोप लगा रहे हैं। उनकी सही शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। समय रहते कार्रवाई हो जाती तो विकास दुबे से लेकर जय बाजपेयी पूरा गिरोह बेनकाब हो जाता। सौरभ ने बताया कि जनशिकायत पोर्टल पर विकास व उनके साथियों के खिलाफ हुई शिकायतों का ब्यौरा न्यायिक आयोग ने तलब किया है।

सीबीआइ संस्तुति को दबा लिया

सौरभ के मुताबिक काफी पहले जय की शिकायत मुख्यमंत्री से जनता दरबार में की थी। बाद में जब ऑनलाइन पोर्टल पर देखा तो उनकी शिकायत के निस्तारण कॉलम में लिखा था कि उक्त शिकायत सीबीआइ जांच के लिए भेज दी जाए। इसके बाद उस आदेश का क्या हुआ, अब तक पता नहीं चला।

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