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औद्योगिक गलियारे में सौ से अधिक किसानों का 50 करोड़ का बकाया, अब तक 513 किसानों की जमीन का हो चुका बैनामा

पूर्वांचल एक्सप्रेसवे किनारे बन रहे औद्योगिक गलियारे के लिए जमीन का बैनामा करने वाले करीब एक सौ से अधिक किसानों का 50 करोड़ का बकाया है। भुगतान की रफ्तार धीमी होने से किसान परेशान हैं। दस दिन की बजाय किसानों को एक माह पर रजिस्ट्री का पैसा मिल रहा है। यूपीडा ने चार जनवरी से पूर्वांचल एक्सप्रेसवे किनारे औद्योगिक विकास के लिए जमीन का बैनामा शुरू किया है।

By Shivanand Rai Edited By: Abhishek Pandey Published: Sun, 28 Apr 2024 03:59 PM (IST)Updated: Sun, 28 Apr 2024 03:59 PM (IST)
औद्योगिक गलियारे में एक सौ से अधिक किसानों का 50 करोड़ का बकाया

जागरण संवाददाता, गाजीपुर। पूर्वांचल एक्सप्रेसवे किनारे बन रहे औद्योगिक गलियारे के लिए जमीन का बैनामा करने वाले करीब एक सौ से अधिक किसानों का 50 करोड़ का बकाया है। भुगतान की रफ्तार धीमी होने से किसान परेशान हैं। दस दिन की बजाय किसानों को एक माह पर रजिस्ट्री का पैसा मिल रहा है।

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यूपीडा (उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस वेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण) ने चार जनवरी से पूर्वांचल एक्सप्रेसवे किनारे औद्योगिक विकास के लिए जमीन का बैनामा शुरू किया है। अब तक करीब एक सौ हेक्टेयर जमीन की रजिस्ट्री हो चुकी है।

शासन का निर्देश है कि दस दिनों में किसानों की जमीन के बैनामे का मुआवजा दे दिया जाए, लेकिन यहां महीना बीतने पर मिल रहा है। किसान जगजीतन राय, श्रीभगवान राजभर, गोपाल राय ने करीब 15 दिन पहले बैनामा किया था, लेकिन आज तक पैसा नहीं मिला। ऐसे करीब एक सौ से अधिक किसान हैं, जिनका करीब 50 करोड़ का भुगतान रुका है। मुआवजा की राशि जमीन के हिसाब से अलग-अलग है।

उधर, सीआरओ आशीष कुमार मिश्रा का कहना है कि किसानों का भुगतान किया जा रहा है। किसी भी तरह की परेशानी होने पर किसान उनसे संपर्क कर सकते हैं। वह तहसील के अधिकारियों से लगातार संपर्क कर पत्रावली मंगवाते रहते हैं।

तहसील में सुविधा शुल्क लेने के बाद आगे भेजी जाती फाइलें मुहम्मदाबाद तहसील में जमीन बैनामा से लेकर पत्रावली भेजने का कोई क्रम नहीं है। पहले के बैनामें की फाइल बाद में भेजी जाती है। सभी कागजात लगाने के बावजूद कोई न कोई कमी दर्शा दी जाती है।

किसानों का कहना है कि तहसील में राजस्वकर्मी बैनामा से लेकर भुगतान में मनमानी करते हैं। बैनामा उन्हीं किसान का कराते हैं, जो उनकी जेब गर्म करते हैं। अन्यथा लटकाए रहते हैं। यहीं हाल पत्रावली जिला मुख्यालय भेजने का भी हाल है। जब तक तहसील से पत्रावली सीआरओ के यहां नहीं जाएगी, तब तक भुगतान नहीं होगा।

415.22 हेक्टेयर का बैनामा प्रस्तावित

393.23 हेक्टेयर निजी संपत्ति

21.989 सरकारी संपत्ति

3,21,11, 37, 363 रुपये किसानों के भुगतान के लिए प्रस्तावित धनराशि

2, 52,89,16,832 रुपये किसानों को भुगतान की गई धनराशि

16,48,16,570 स्टांप शुल्क में खर्च

3.49,27,793 रुपये निबंधन शुल्क

99.17851 हेक्टेयर अब तक क्रय भूमि (23.89 प्रतिशत)

185 बैनामा (513 किसानों की जमीन)हुए

136 फाइलों का भुगतान हो गया है

50 फाइलों का भुगतान लंबित(करीब 100 से अधिक किसान)


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