Flood In UP: बांदा में यमुना पौने दो मीटर और केन 30 सेमी. उतरीं, औरैया में अभी भी खतरे के निशान पर पानी

UP Flood News यूपी के कई जिले इस समय नदियों में आई बाढ़ से जलमग्न हैं। यमुना बेतवा चंबल केन और गंगा नदी उफान पर हैं। कई जिलों से अभी तक पानी नहीं उतरा है। जिससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

By Abhishek VermaEdited By: Publish:Mon, 29 Aug 2022 06:45 PM (IST) Updated:Mon, 29 Aug 2022 06:45 PM (IST)
Flood In UP: बांदा में यमुना पौने दो मीटर और केन 30 सेमी. उतरीं, औरैया में अभी भी खतरे के निशान पर पानी
उत्तर प्रदेश में कई नदियाें में पानी बढ़ने से सटे इलाकों में बाढ़ आ गई है।

कानपुर, जागरण टीम। औरैया में यमुना खतरे के निशान पर है। जिससे दुश्वारियां कम नहीं हो रही हैं। हालांकि बांदा में यमुना पौने दो मीटर और केन 30 सेंटीमीटर उतरीं हैं जिससे लोगों को राहत मिली है। इटावा में चंबल खतरे के निशान से ढाई मीटर उतरी हैं। फतेहपुर में यमुना का जलस्तर घटा है लेकिन पानी अभी भी खतरे के निशान से ऊपर है। हमीरपुर में पानी उतरा है जिसके बाद कीचड़ से दुश्वारियां बढ़ीं हैं। वहीं, उरई में बाढ़ का पानी घटा है। जिसके बाद ग्रामीण स्वयं विद्यालय व गलियों की सफाई कर रहे हैं।

औरैया में खतरे के निशान पर यमुना, दुश्वारियां कम नहीं 

खतरे और चेतावनी बिंदु को पार कर चुकी यमुना नदी में अब धीरे-धीरे पानी कम हो रहा। 23 गांवों में 16 सौ से ज्यादा परिवार प्रभावित हुए हैं। जिन्हें बाढ़ के पानी से बाहर निकालते हुए ऊंचाई वाले स्थानों पर बने कैंप में ठहराया गया है। बदलते हालात के साथ उनकी वापसी भी शुरू होने लगी है। उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती गृहस्थी को दोबारा सुरक्षित करना है। इसके लिए वह मेहनत करते नजर आए। दो दिन में पानी 118 मीटर तक पहुंच गया था।कोटा बैराज राजस्थान से पांच दिन पहले पानी छोड़ा गया था। चंबल नदी से होते हुए पहुंचे पानी से यमुना उफान पर रही। खतरे के बिंदु को पार कर नदी में पानी का बहाव तेजी से होता रहा। कटान होने की वजह से सिकरोड़ी, गोहनी कलां, गोहानी खुर्द, अस्ता, जुहीखा, बड़ी गूंज, छोटी गूंज सहित तकरीबन 23 गांव चपेट में रहे। सोमवार को खतरे के निशान 113 पर यमुना नदी का पानी जा टिका। इसके बाद भी राहत नहीं दिखी। कारण, बहाव से आई मिट्टी से हुआ कीचड़ रहा। सिकरोड़ी सहित अन्य मार्गों की दशा बिगड़ जाने से आवागमन भी बाधित होना शुरू हुआ है। परिषदीय स्कूलों में रसोइयाें ने कक्षा और परिसर में हुए कीचड़ को हटाने का कार्य किया। 

बांदा: यमुना पौने दो मीटर और केन 30 सेंटीमीटर उतरीं, मिली राहत

यमुना और केन नदी का जल स्तर उतरने से सप्ताह भर से बाढ़ का दंश झेल रहे ग्रामीणों को सोमवार को बड़ी राहत मिली। सोमवार को दोपहर दो बजे यमुना करीब एक मीटर उतर गई। इसका जल स्तर 101.78 मीटर रहा। जबकि केन नदी भी 30 सेंटीमीटर नीचे उतरी है। यह 102.25 मीटर पर पहुंच गई। केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक 12 घंटे में यमुना करीब पौने दो मीटर उतरी है। उधर, बाढ़ उतरने के बाद पैलानी और बबेरू क्षेत्र के 60 गांवों में बीमारियों का कहर शुरू हो गया है। डीएम ने स्वास्थ्य विभाग की टीमें लगाई हैं और राहत सामग्री लेकर खुद प्रभावित क्षेत्र में पहुंचे हैं। वहीं बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि अभी उनके घरों में पानी भरा है। चार दिनों से ऊंचे टीले में डेरा डाले हैं। उनके खुद और जानवरों के खाने की कोई सुविधा नहीं है। राहत पैकेट से उनका पेट नहीं भरेगा। राशन और रोशनी का इंतजाम कराया जाए। सर्वे कराकर बर्बाद हुई खरीफ की फसलों का मुआवजा दिलाया जाए।

इटावा में खतरे के निशान से ढाई मीटर उतरी चंबल

तीन दिन में तेजी से जलस्तर में गिरावट से चंबल नदी खतरे के निशान 120.80 मीटर से 2.47 मीटर नीचे बह रही है। सोमवार को दाेपहर 12 बजे जलस्तर 118.33 मीटर दर्ज किया गया। इसी प्रकार यमुना नदी का जलस्तर भी खतरे के निशान 121.92 मीटर से 1.32 मीटर नीचे आ गया है। जलस्तर 120.60 मीटर दर्ज किया गया। दोनों नदियों में जलस्तर लगातार गिर रहा है। डाउन स्ट्रीम में चंबल के दबाव से यमुना का जलस्तर बढ़ा था। तीन दिन पहले शुक्रवार को चंबल का जलस्तर सर्वाधिक 129.91 मीटर और यमुना का जलस्तर अधिकतम 122.92 मीटर दर्ज किया गया था। बाढ़ के बाद अब सैकड़ों प्रभावित गांवों में जीवन यापन पटरी पर लौटने में लंबा अरसा लगेगा। बाढ़ की विभीषिका का भयावह मंजर तबाही की कहानी कह रहा है। ग्रामीणों के सामने सिर छिपाने ही नहीं, दो वक्त की रोटी का भी संकट खड़ा हुआ है। प्रशासनिक मदद ऊंट के मुंह में जीरा के समान प्रतीत हो रही है।

फतेहपुर में यमुना का जलस्तर घटा, खतरे के निशान से ऊपर पानी

फतेहपुर में यमुना का जलस्तर कहर बरपाने के बाद स्थिर होने लगा है। सोमवार को सुबह छह बजे तक यमुना खतरे के निशान 100.00 मीटर के सापेक्ष 102. 08 मीटर पर रही। गांवों और ललौली कस्बे की गलियों से पानी उतरने से लोगों ने राहत की सांस ली है। दुर्गंध और कीचड़ ने जीना मुहाल कर दिया है। प्रशासन बचाव और राहत कार्य में जुटा रहा है। लोगों को भोजन और दवाएं निश्शुल्क बांटी गई। समाजसेवी भी मदद करने के लिए आगे आए हैं। गंगा भी उफान पर है, लेकिन खतरे के निशान से नीचे 99.410 मीटर पर बह रही हैं।

हमीरपुर में नदियों का उतरा पानी, दुश्वारियां बढ़ीं

यमुना और बेतवा का जलस्तर अब धीरे धीरे घटने लगा है। जिससे बाढ़ पीड़ितों के साथ साथ प्रशासन ने भी राहत की सांस ली है। वहीं यमुना अभी भी चेतावनी बिंदु से दो मीटर व बेतवा कुछ सेंटीमीटर में बह रही है।  सोमवार दोपहर तीन बजे यमुना का जल स्तर 105.200 मीटर व बेतवा का 104.670 मीटर दर्ज किया गया। वहीं बाढ़ का पानी कम होने के बाद अब लोगों की परेशानी दिखाई दी। गोवंशियों के लिए भूसे-चारे की कमी हो गई है। साथ ही सड़क किनारे टेंट बनाकर रहने वालों को भोजन के अलावा गंदगी आदि का सामना करना पड़ रहा है। प्रशासन व समाजसेवी राहत सामग्री देने में लगे हैं।

उरई : बाढ़ का पानी घटा, ग्रामीण स्वयं कर रहे विद्यालय व गलियों की सफाई

यमुना नदी की बाढ़ का पानी घट जाने से बाढ़ प्रभावित गांव के लोगों ने राहत महसूस की है लेकिन यमुना नदी अभी भी खतरे के निशान से एक मीटर ऊपर बह रही है। जलस्तर 109.20 मीटर पर रिकार्ड किया गया है। वहीं रामपुरा क्षेत्र में भी सिंध व पहुज नदी का जलस्तर घट गया है लेकिन अभी भी लोगों की मुश्किलें कम नहीं हुई हैं। हालत यह है कि जो लोग गांवों से पलायन कर ऊपरी इलाकों में चले गए थे वह अब वह लौटने लगे हैं लेकिन जिंदगी को पटरी पर लाने के लिए अभी उन्हें और जिद्दोजहद करनी होगी। साथ उन तक जो राहत पहुंची है वह नाकाफी साबित है और कई गांवों तो लोगों को कुछ भी नहीं मिला है। एक सप्ताह से यमुना नदी बाढ़ पर चल रही है। पिछले चार दिनों में तेजी से बढ़े जलस्तर की वजह से खतरे का निशान पार करके 112.93 पर पहुंच गया था जिससे कालपी नगर के कुछ मोहल्ले सहित महेबा ब्लाक के करीब 30 गांव पानी से घिर गए थे। जहां दुर्घटना से बचने के लिए भूख प्यास त्यागकर ग्रामीण रात दिन जागते रहे। बाढ़ के पानी से हर गांव में भारी नुकसान हुआ है। घरों में भरा भूसा, अनाज, खेतों में बोई गई फसल डूबकर नष्ट हो गई। रामपुरा क्षेत्र के बिलौड़, जखेता, हुकुमपुरा, कूसेपुरा में अब बाढ़ का पानी उतर जाने से मलबा भरा हुआ है। इन गांवों में बाढ़ के नाम पर एक पैकेट भी वितरित नहीं किया गया है। 

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