टूटे रिश्तों को जोड़ने की 'बेदम मशक्कत'

मध्यस्थता केंद्र में आने वाले मामलों में बामुश्किल एक तिहाई में ही हो पाता समझौता

By JagranEdited By: Publish:Fri, 31 Aug 2018 01:51 PM (IST) Updated:Fri, 31 Aug 2018 01:51 PM (IST)
टूटे रिश्तों को जोड़ने की 'बेदम मशक्कत'
टूटे रिश्तों को जोड़ने की 'बेदम मशक्कत'

जागरण संवाददाता, कानपुर : पति-पत्नी के बीच विवाद की स्थिति को संभालने और टूटे रिश्तों को फिर से जोड़ने के लिए मध्यस्थता केंद्र बनाया गया था। जिसके बाद मध्यस्थ का चयन कर उन्हें प्रशिक्षित किया गया। मध्यस्थता केंद्र ने काम शुरू किया तो लगा रिश्तों को जोड़ने की परिकल्पना अब साकार होगी, लेकिन काफी प्रयास के बाद भी ऐसा नहीं हो पा रहा है।

आंकड़े बताते हैं कि मध्यस्थता केंद्र में आने वाले मामलों में बामुश्किल एक तिहाई में समझौता होता है। इनमें अधिकतर मामले आपसी सहमति से पैसा लेकर तलाक देने के हैं, जबकि कुछ ही मामलों में टूटे रिश्ते जुड़ पाते हैं। 2017 के आंकड़ों पर गौर करें तो मध्यस्थता के लिए 2,302 मामले आए। इसमें 1,853 मामलों में कोई बात नहीं बनी। जिसके बाद यह मामले अदालत भेज दिए गए। जानकार बताते हैं कि 588 मामलों में समझौता हुआ, जिसमें दो तिहाई में पति-पत्नी के बीच तलाक हो गया।

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केस एक : रामादेवी चौराहा स्थित नर्सिग होम संचालक पति-पत्नी का आपस में विवाद हुआ। दोनों डॉक्टर थे और उनका मामला मध्यस्थता केंद्र में जा पहुंचा। जिसका निष्कर्ष तलाक के रूप में सामने आया।

केस दो : साकेत नगर निवासी युवक व युवती ने प्रेम विवाह किया। इंजीनियर युवक भुवनेश्वर चला गया, जबकि लड़की को अपने माता-पिता के पास छोड़ गया। छह माह बाद ही लड़की ने तलाक दाखिल किया।

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2018 के जुलाई तक के आंकड़े

माह सफल असफल नए मामले

जनवरी 40 149 142

फरवरी 36 125 120

मार्च 42 90 155

अप्रैल 51 138 178

मई 33 201 149

जून 24 108 125

जुलाई 35 131 136

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मध्यस्थता करने वालों को चाहिए कि दोनों पक्षों से भावनात्मक रूप से जुड़ें। उनका विश्वास जीतने के बाद ही उन्हे समझाएं। जिसके बाद इन आंकड़ों में अभूतपूर्व बदलाव होगा।

-मनोज श्रीवास्तव, वरिष्ठ अधिवक्ता

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