पेट्रोल की कमी को पूरा करेगा चीनी, शीरा व एल्कोहल का सही अनुपात

80 फीसद जूस से चीनी व 20 फीसद से एल्कोहल बनाने की तैयारी पूरे दाम देने के लिए खाद्य व पेट्रोलियम मंत्रालय को भेजा प्रस्ताव

By Edited By: Publish:Thu, 30 May 2019 01:55 AM (IST) Updated:Thu, 30 May 2019 09:50 AM (IST)
पेट्रोल की कमी को पूरा करेगा चीनी, शीरा व एल्कोहल का सही अनुपात
पेट्रोल की कमी को पूरा करेगा चीनी, शीरा व एल्कोहल का सही अनुपात
कानपुर, जेएनएन। पेट्रोल में दस फीसद एल्कोहल मिलने का लक्ष्य चीनी के प्रचुर उत्पादन के साथ पूरा किया जा सकता है। नॉर्थ इंडियन शुगरकेन एंड शुगर टेक्नोलॉजिस्ट्स एसोसिएशन (निस्टा) ने चीनी, शीरे व एल्कोहल के उत्पादन का एक ऐसा मॉडल बनाया है जो पेट्रोल की कमी को पूरा करने के साथ किसानों को भी मालामाल करेगा। इस मॉडल का प्रस्ताव खाद्य व पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के पास भेज दिया गया है। राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एनएसआइ) व निस्टा के संयुक्त तत्वावधान में हुए वार्षिक सम्मेलन के दौरान यह बात सामने आई।
इस मॉडल के अनुसार जूस का 80 फीसद भाग चीनी बनाने में इस्तेमाल किया जाना चाहिए। शेष 20 फीसद हिस्से से एल्कोहल बनाया जाए। इससे हम देशभर में 260 लाख टन चीनी की खपत की जरूरत को पूरा कर सकते हैं। जबकि अभी चीनी का उत्पादन इससे अधिक हो रहा है जिससे बची हुई चीनी यूं ही रखी रह जाती है। एनएसआइ के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया कि अगर हम चीनी का उत्पादन प्रचुर मात्रा में करने के बाद शेष एल्कोहल बना लें तो पेट्रोल में इसके दस फीसद मिलाने का लक्ष्य पूरा किया जा सकता है। अभी 240 करोड़ लीटर एल्कोहल का उत्पादन होता है। जिससे यह पेट्रोल में साढ़े सात फीसद ही मिलाया जा रहा है। चीनी, शीरे व एल्कोहल के उत्पादन के इस नए मॉडल से 330 करोड़ लीटर एल्कोहल का उत्पादन किया जा सकता है।
सही दाम मिले तो बने बात
धामपुर चीनी मिल्स लिमिटेड के ग्रुप चेयरमैन विजय गोयल ने बताया कि पूरी चीनी व एल्कोहल उत्पादन के नया मॉडल अच्छा है। अगर इस मॉडल के अंतर्गत एल्कोहल का सही दाम मिले तो गन्ना किसानों के साथ चीनी मिल को भी लाभ होगा और वह रिसर्च एंड डेवलपमेंट की ओर भी काम करेंगी।
शुगर रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑस्ट्रेलिया से आए प्रो. रास ब्राडफुट ने कम ऊर्जा की खपत व कम श्रम से अच्छी गुणवत्तापूर्ण चीनी के उत्पादन का मॉडल पेश किया। शुगर रिसर्च इंस्टीट्यूट श्रीलंका के निदेशक एपी कीर्तिपाल ने चीनी के मूल्य निर्धारण का फार्मूला पेश किया। इस दौरान प्रो. नरेंद्र मोहन के अलावा विभिन्न शर्करा संस्थानों व शुगर इंडस्ट्री से आए डॉ. जीएससी राव, एसबी भड, एनवी थेटे, डॉ. एडी पाठक व डॉ. विष्णु प्रभाकर श्रीवास्तव को पुरस्कृत किया गया।
ट्रक व सामान का वजन बताएगा मोबाइल वेब्रेज
एनएसआइ में लगाई गई प्रदर्शनी में मेनलेस पोर्टेबल वेब्रेज का मॉडल आकर्षण का केंद्र रहा। यह मशीन सौ टन क्षमता के वजन का रिकॉर्ड ऑटोमैटिक दर्ज करने के साथ उसे ऑनलाइन ट्रांसफर कर सकती है। चीनी उद्योग में इस मशीन का इस्तेमाल किया जा सकता है।

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