PositiveIndia : देश की मासूम बेटी के जज्बे को सलाम, बड़े-बड़ों के लिए प्रेरणा बना उसका काम

कोरोना वायरस के संकट से जूझ रहे देश के लोगों के लिए राष्ट्रपित के गृहनगर में रहने वाली सात साल की मासूम ने अपनी गोलक आगे कर दी।

By AbhishekEdited By: Publish:Mon, 30 Mar 2020 08:06 PM (IST) Updated:Tue, 31 Mar 2020 08:09 AM (IST)
PositiveIndia : देश की मासूम बेटी के जज्बे को सलाम, बड़े-बड़ों के लिए प्रेरणा बना उसका काम
PositiveIndia : देश की मासूम बेटी के जज्बे को सलाम, बड़े-बड़ों के लिए प्रेरणा बना उसका काम

कानपुर, जेएनएन। आज जब देश कोरोना वायरस जैसे संकट से जूझ रहा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी लोगों से अपील कर रहे हैं। वहीं स्थानीय स्तर पर प्रशासन भी संपन्न लोगों से जरूरतमंदों की मदद करने का आह्वान कर रहा है, इन सबके बीच कानपुर देहात की सात साल की मासूम ने ऐसा काम कर दिया, जो बड़े-बड़ों को प्रेरणा देने वाला है।

राष्ट्रपति के गृहनगर में रहती है देश की बेटी

देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का गृहनगर झींझक हैं, इस कस्बे की रहने वाले शिक्षक विनय सिंह सिकरवार की सात साल की बेटी अग्रिमा कक्षा एक में पढ़ती है। सोमवार को वह सुबह से कह रही थी कि पापा मुझे भी कुछ करना है। देश में लोग बहुत परेशान हैं, मैं भी कुछ करना चाहती हूं। विनय सिंह ने उसे समझाते हुए कहा कि तुम अभी छोटी क्या कर सकती हो। दोपहर तक मासूम सोचती रही और फिर पापा के सामने ऐसी पेशकश रख दी कि वह भी उसकी मासूमियत देखकर कुछ कह न सके। आखिर में उन्होंने उसकी जिद पूरी कर दी।

पुलिस अंकल, ये ले लो हमारी गोलक

दरअसल, अग्रिमा अपनी गोलक लेकर पापा विनय सिंह के पास पहुंची आैर बोली पापा ये लो इसे जरूरतमंद लोगों के लिए दे दो। इसपर विनय सिंह उसे बाहर लेकर दरवाजे पर निकले तो गश्त कर रहे चौकी इंचार्ज अनिल कुमार यादव आ गए। अग्रिमा सीधे उनके पास पहुंची और बोली-पुलिस अंकल, यह ले लो हमारी गोलक, इससे कोरोनावायरस के खिलाफ जंग में लगा दो। इस मासूम उम्र में उसकी इतनी बड़ी बात सुनकर चौकी इंचार्ज भी अवाक रह गए। विनय सिंह का इशारा मिलने पर चौकी इंचार्ज गोलक हाथ में ले ली और खोलने पर उसमें 3500 रुपये निकले। इसपर चौकी इंचार्ज समेत पुलिस कर्मियों ने उसका उत्साह बढ़ाया और शाबासी देते हुए बोले यह हमारे देश की बेटी।

कई दिनों से कोरोनावायरस की खबरों से हो रही थी विचलित

विनय सिंह ने बताया कि अग्रिमा घर पर कभी कभी बड़ी गंभीर बातें करती है, जिसे सुनकर वह अक्सर चौंक जाते हैं। वह पूछती है कोरोनावायरस से लोगों को बचाने के लिए कुछ करना है, पापा देश में सब लोग ठीक रहें किसी को कुछ न हो। उन्होंने कहा कि समाचार पत्र और टीवी पर भूखे प्यासे लोगों को पैदल घर जाते देखकर वह दुखी होती है। वह उनकी मदद के लिए भी कहती है, उसकी बातें सुनकर समझाते हैं। टीवी पर सुनती है कोरोनावायरस के लिए उसने इतने करोड़ दिए, फलां हस्ती ने इतने लाख दिए तो पूछती हम कुछ क्यों नहीं दे सकते। सोमवार सुबह जब उसने अपनी गोलक देने की बात कही तो एकबारगी वह भी सोच में पड़ गए। खेलने कूदने की इस उम्र में वह इतना सोच रही है। उसे अपनी बेटी पर बड़ा गर्व महसूस हुआ।

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