सेल्फ हेल्प : हर बात में हामी मत भरिए, मुश्किल होगा मैनेजमेंट; इन्कार करना भी है जरूरी

कई बार दूसरों को बुरा लगेगा यह सोचकर हम वे काम भी करते हैं जिनका खामियाजा हमें उठाना पड़ता है। इसलिए मन में यह संकल्प लें कि आप ऐसा कोई कार्य नहीं करेंगी जिसके लिए आपका मन इजाजत न दे।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Thu, 14 Oct 2021 07:57 PM (IST) Updated:Thu, 14 Oct 2021 08:00 PM (IST)
सेल्फ हेल्प : हर बात में हामी मत भरिए, मुश्किल होगा मैनेजमेंट; इन्कार करना भी है जरूरी
अपनी बात को मजबूती से सबके सामने रख पाना इतना मुश्किल भी नहीं...

कीर्ति सिंह, कानपुर। किसी सहेली ने आपको अपने साथ कहीं चलने को कहा, आपकी तबियत ढीली थी और मन में बिल्कुल इच्छा नहीं थी वहां जाने की, पर आपकी सहेली को बुरा लग जाएगा, यह सोचकर आप मना नहीं कर पाईं। सहेली के साथ जाने पर अच्छा महसूस करना तो दूर, उल्टा वहां से घर लौटने पर तबियत और बिगड़ गई। ऐसी उहापोह से अक्सर हम लोग दो-चार होते हैं, जब वाकई इच्छा नहीं करती किसी बात के लिए हामी भरने की, पर दूसरों को हमारे इन्कार करने से बुरा लगेगा, यह सोचकर हम हामी भर देते हैं, जबकि ऐसा करना हमारे लिए ही तकलीफ का सबब बन जाता है।

आमतौर पर यह देखा गया है कि महिलाओं के साथ यह दिक्कत अधिक होती है कि वे जल्दी किसी बात के लिए इन्कार नहीं कर पातीं। उन्हें लगता है कि इससे रिश्ते खराब होंगे, पर यहां यह समझना चाहिए कि अपनी इच्छाओं का मान रखना भी बेहद जरूरी है। यह संभव है कि हमारे इन्कार से कुछ समय के लिए स्वजनों को अप्रिय महसूस हो, पर यकीन मानिए कि आपका यह मुखर रवैया लंबे समय के लिए न सिर्फ आपके रिश्तों, बल्कि आपकी खुद की शख्सियत को भी मजबूत बनाएगा। बस आपको यह समझना होगा कि इस इन्कार का तरीका क्या हो।

जब स्पष्ट न हों किसी बात पर

कई बार किसी मुद्दे पर हम तत्काल राय नहीं बना पाते। ऐसे में उस बात पर सकारात्मक या नकारात्मक प्रतिक्रिया देना भी संभव नहीं होता। ऐसी परिस्थिति में बेहतर होगा कि विनम्र लहजे में स्पष्ट कहें कि अभी मेरे लिए इस विषय में हां या नहीं में से कुछ भी कह पाना संभव नहीं है। मुझे संबंधित विषय पर सोचने के लिए कुछ समय चाहिए। सोच-विचार कर ही मैं अपनी राय दे सकती हूं। इस मामले में किसी भी तरह के दबाव के आगे झुकने की गलती कतई न करें।

अपने फैसले में सहज हों

हम सभी की परिस्थितियां अलग होती हैं जो बात आपके दोस्त या स्वजनों के लिए सही हो, यह जरूरी नहीं कि आपके लिए भी वह सही साबित हो। इसलिए अपनी परिस्थितियों के अनुसार ही सही-गलत का निर्णय लेना ठीक होता है। किसी बात के लिए हामी भरने या इन्कार करने से पहले गहराई से यह विचार करें कि अपनी उस प्रतिक्रिया में आप कितनी सहज हैं। अगर दूसरों के लिए कोई बात सहजता से स्वीकार कर पाना मुमकिन है, पर आप उसमें सहज महसूस नहीं करतीं तो इन्कार कर दें। इसमें कुछ भी गलत नहीं है।

इन्कार के हों अपने तर्क

किसी बात के लिए इन्कार के पीछे आपके अपने कारण होने चाहिए। हामी भरने या इन्कार करने से आप पर क्या असर पड़ेगा, इसे लेकर स्पष्ट होना जरूरी है। आपके इन्कार की वजह भी वही बात होनी चाहिए। अपने इन्कार के लिए किसी और व्यक्ति को आधार न बनाएं। हो सकता है कि इन्कार के कारण आपको आलोचनाओं का सामना करना पड़े। अगर ऐसा होता है तो आपको व्यथित नहीं होना चाहिए।

प्रतिक्रिया से न हों परेशान

एक बार फैसला लेने के बाद उस पर सामने वाले की प्रतिक्रिया को लेकर बिल्कुल परेशान न हों। अगर आप अपने आफिस की व्यस्तता के कारण दूसरे शहर में आयोजित सहेली की शादी की सालगिरह की पार्टी में शिरकत करने में असमर्थ हैं तो उसे इस बारे में बता दें। हो सकता है कि आपकी सहेली को आपकी बात सुनकर अप्रिय महसूस हो। इन्कार करने के पीछे आपके अपने कारण हैं, उन वजहों को गिनवाते हुए सामने वाले की प्रतिक्रिया बदलने की कोशिश न करें, क्योंकि उनके मन में उठने वाले भावों को एकाएक बदल पाना आपके लिए संभव नहीं होगा। हो सकता है कि बाद में बात-बात पर इसके लिए उलाहना भी मिले, पर उससे आपको विचलित नहीं होना चाहिए। आपको पता है कि आपने सही फैसला लिया और यही बात सबसे महत्वपूर्ण है।

फिजूल हैं बचाव के तर्क

आमतौर पर लोग किसी बात पर इन्कार करने के बाद खुद को सही साबित करने के लिए सामने वाले के सामने लंबे-चौड़े तर्क रखते हैं, लेकिन ऐसा करना वास्तव में गैर जरूरी है। सीमित शब्दों में अपनी बात सामने रखने के बाद इस बात की चिंता न करें कि लोग आपको स्वार्थी समझेंगे। यहां किसी वाद-विवाद से भी बचने की कोशिश करें, क्योंकि उससे कोई हल नहीं निकलता। नाराज शख्स को अपनी बात समझाना भी मुश्किल साबित होता है। याद रखें कि जो व्यक्ति आपको समझता है और आप पर विश्वास करता है उसे आपके लंबे-चौड़े तर्कों की आवश्यकता ही नहीं होगी।

खुद को शांत रखें

अपनी बात स्पष्ट रूप से कहने के बाद संयम बनाए रखना जरूरी है। जब मनचाही प्रतिक्रिया न मिले तो हमें स्वाभाविक रूप से बुरा लगता है। ऐसे में लोग तीखी प्रतिक्रिया देने लगते हैं। यहां आपको धैर्य से काम लेना चाहिए। गुस्से से बातें बनने के बजाय बिगड़ती अधिक हैं। जब आप शांत रहेंगी तो धीरे-धीरे सामने वाले का गुस्सा भी शांत हो जाएगा।

अपने फैसले की जिम्मेदारी

हम जो भी फैसला लेते हैं उसकी जिम्मेदारी भी स्वयं लेनी चाहिए। इसके लिए किसी दूसरे को आधार बनाना ठीक नहीं है। अगर आपके आर्थिक हालात ऐसे नहीं कि स्वजनों को भव्य पार्टी या महंगे उपहार दे सकें तो उनके बार-बार कहने पर भी आपका जवाब स्पष्ट होना चाहिए। इसके लिए ऐसा कोई तर्क देना गलत होगा कि हमें उपरोक्त बात को लेकर कोई दिक्कत नहीं, लेकिन इसके लिए घरवालों ने इजाजत नहीं दी।

जुड़ाव कायम रखें

कुछ रिश्ते हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। उनकी नाराजगी और खुशी हमारे लिए काफी मायने रखती है। ऐसे प्रियजन को किसी बात के लिए इन्कार करने के बाद उनकी नाराजगी हमें आहत करती है, पर यहां जरूरी है कि उनसे जुड़ाव बनाए रखें। हो सकता है कि वे तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करें, लेकिन इस डर से उनसे दूरी बना लेना भी ठीक नहीं है। आत्मीय रिश्तों की यही खूबी है कि कुछ बातों को लेकर उनके बीच मतभेद हो सकते हैं, लेकिन उससे रिश्ते की मधुरता खत्म नहीं होती।

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