इटावा की सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी में जूनियर डॉक्टरों ने हंगामे के बाद बंद कीं इमरजेंसी सेवाएं

मरीज की कोविड रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद हो गई थी मौत। तीमारदारों के आरोप लगाने के बाद भड़के जूनियर डॉक्टर्स। डॉक्टरों पर आरोप लगाया कि उन्होंने मरीज को गला दबाकर मार डाला। इस पर वाद विवाद इतना बढ़ गया कि उन्होंने डॉक्टरों के साथ मारपीट कर दी।

By ShaswatgEdited By: Publish:Mon, 14 Dec 2020 09:45 PM (IST) Updated:Mon, 14 Dec 2020 09:45 PM (IST)
इटावा की सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी में जूनियर डॉक्टरों ने हंगामे के बाद बंद कीं इमरजेंसी सेवाएं
उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के ट्रामा सेंटर के बाहर धरना देते हुए जूनियर डॉक्टर।

इटावा, जेएनएन। उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के जूनियर डॉक्टरों के साथ मरीज के संग आए स्वजन ने सोमवार की शाम को मारपीट कर दी। इससे गुस्साए जूनियर डॉक्टरों ने इमरजेंसी सेवाएं ठप कर दीं और गेट पर ही धरना शुरू कर दिया। 

भरथना निवासी जयराम सिंह उम्र 72 वर्ष को दिल का दौरा पडऩे पर स्वजन उन्हें यूनिवर्सिटी में लेकर आए थे। जहां पर डॉक्टरों ने उसका कोविड-19 सैंपल लेकर ओपीडी के तीन नंबर फ्लोर पर भर्ती करा दिया था। जयराम सिंह डॉ. सुशील कुमार के अंडर में भर्ती थे और जूनियर डॉ. विक्रम गौतम अपनी टीम के साथ ड्यूटी पर थे। शाम को जयराम सिंह की कोविड रिपोर्ट निगेटिव आने से 10 मिनट पहले मौत हो गई। पर जयराम सिंह के परिवार के करीब एक दर्जन लोग वहां पहुंच गए और डॉक्टरों पर आरोप लगाया कि उन्होंने मरीज को गला दबाकर मार डाला। इस पर वाद विवाद इतना बढ़ गया कि उन्होंने डॉक्टरों के साथ मारपीट कर दी। 

जूनियर डॉक्टरों ने बंद की सेवाएं 

मारपीट का खबर जैसे ही अन्य डॉक्टरों को हुई तो सभी जूनियर डॉक्टर एकत्रित होकर इमरजेंसी के ट्रामा सेंटर पहुंच गए और इमरजेंसी सेवाओं को बंद करा दिया। वे बाहर धरना प्रदर्शन बैठ गए। गुस्साए डॉक्टरों ने दो लोगों को पकड़ भी लिया और पुलिस के हवाले कर दिया। हंगामा की सूचना मिलने पर थाना प्रभारी वीरेंद्र बहादुर सिंह पुलिस बल के साथ ट्रामा सेंटर पहुंचे। आसपास के थानों का फोर्स भी बुलाया गया। जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाएंगी तब तक इमरजेंसी सेवाएं बहाल नहीं की जाएंगी। उनकी मांग है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन पिछले दो वर्ष से इमरजेंसी में बाउंसर तैनात करने की बात कह रहा है जो अभी तक तैनात नहीं किए गए। जिससे उनकी सुरक्षा के इंतजाम हो सकें। जो आरोपित भाग गए हैं उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज की जाए। 

अधिकारियों ने स्वीकार की मांगें 

देर रात प्रतिकुलपति डॉ. रमाकांत यादव, कुल सचिव सुरेश चंद शर्मा व चिकित्साधीक्षक डॉ. आदेश कुमार के समझाने पर जूनियर डॉक्टर मान गए और उन्होंने इमरजेंसी सेवाएं शुरू कर दीं। अधिकारियों ने उनकी मांगों को शीघ्र पूरा करने का भरोसा दिया है। 

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