ग्रह नक्षत्रों से कैसे लगता बारिश का पूर्वानुमान, विज्ञानी जुटा रहे आर्द्रा-भद्रा, हथिया और चित्रा नक्षत्र का ज्ञान

कानपुर चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में कृषि विज्ञानी अब बारिश को लेकर नक्षत्रों के आधार पर शोध कर रहे हैं। हर नक्षत्र में होने वाली बारिश के आंकड़े भी जुटाए जा रहे हैं और पूर्वानुमान का भी पता लगा रहे हैं।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Wed, 06 Jul 2022 12:57 PM (IST) Updated:Wed, 06 Jul 2022 12:57 PM (IST)
ग्रह नक्षत्रों से कैसे लगता बारिश का पूर्वानुमान, विज्ञानी जुटा रहे आर्द्रा-भद्रा, हथिया और चित्रा नक्षत्र का ज्ञान
नक्षत्र विज्ञान और मौसम विज्ञान पर शोध कर रहे कृषि विज्ञानी।

कानपुर, जागरण संवाददाता। मानसून आते ही चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसएवि) के कृषि मौसम विभाग ने नक्षत्रों के दौरान होने वाली वर्षा पर शोध शुरू कराया है। हालांकि पिछले वर्ष के जो आंकड़े सामने आए, उसके मुताबिक आर्द्रा, भद्रा, हथिया और चित्रा नक्षत्र के दौरान वर्षा का स्तर मध्यम से उच्च रहा था। बाकी नक्षत्रों में वर्षा अपेक्षाकृत कम हुई। इस वर्ष भी आंकड़े जुटाए जा रहे हैं।

सीएसए विश्वविद्यालय के कृषि मौसम विभाग के विज्ञानी डा. एसएन सुनील पांडेय ने बताया कि भारतीय मौसम विभाग ने बारिश के मुख्य महीने जून से लेकर सितंबर तक माने हैं। विभाग इसी दौरान बारिश का पूर्वानुमान भी बताता है। इसी दौरान देश में मानसून का आगमन होता है और इसकी सक्रियता, गति व परिसंचरण को लेकर भी अनुमान जारी किया जाता है। अहम बात ये है कि ज्योतिष शास्त्र में भी इन्हीं चार महीनों को बारिश के महीने बताया जाता है। यानी कि विज्ञान और ज्योतिष दोनों वर्षा के मौसम का समय लगभग एक ही बताते हैं।

डा. पांडेय ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र में भी ग्रह व नक्षत्रों की दशा और योग के आधार पर वर्षा और उसकी तीव्रता व मात्रा का पूर्वानुमान बताया जाता है। जून से सितंबर के बीच आर्द्रा, भद्रा, हथिया, चित्रा, उत्तरा, अश्लेषा, पुष्य, पूर्वाषाढ़ा व मूल नक्षत्रों में ज्यादा वर्षा होती है। इसी वजह से पिछले वर्ष विभाग में एमएससी कृषि विज्ञान के छात्र-छात्राओं विमल कुमार, गुरवान सिंह, ज्योति आदि की मदद से नक्षत्रों में वर्षा पर शोध शुरू कराया गया। विद्यार्थी हर वर्ष इन नक्षत्र के दौरान प्रतिदिन हो रही वर्षा के आंकड़े जुटा रहे हैं। शोध पूरा होने के बाद रिपोर्ट का प्रकाशन भी कराया जाएगा।

मध्यम वर्षा 20 मिमी से ज्यादा तो उच्च वर्षा 40 मिमी से ज्यादा : डा. पांडेय ने बताया कि मौसम विभाग के मुताबिक अगर किसी दिन बरसात 20 से 40 मिलीमीटर तक होती है तो उसे मध्यम वर्षा माना जाता है। इसी तरह अगर किसी दिन वर्षा 40 मिलीमीटर से ज्यादा होती है तो उसे उच्च वर्षा का स्तर माना गया है। 20 मिलीमीटर से कम होने वाली वर्षा को निम्न वर्षा की श्रेणी में रखा गया है। पिछले वर्ष के आंकड़ों के मुताबिक चार नक्षत्रों आर्द्रा, भद्रा, हथिया व चित्रा में वर्षा 20 मिलीमीटर से ज्यादा रही थी।

-ज्योतिष विज्ञान में वर्षा होने का कारण ग्रहों व नक्षत्रों के योग के आधार पर बताया गया है। इसके तहत विभिन्न नक्षत्रों में वर्षा का अलग पैमाना है। जब पृथ्वी, सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करती है तो ग्रह व नक्षत्रों का आपस में योग बनता है और यही वर्षा, अतिवृष्टि या सूखे आदि का कारण बनता है। जब ग्रह व नक्षत्र स्पर्श करते हैं तो कम वर्षा होती है और जब ग्रह व नक्षत्र आपस में मिलते हैं तो ज्यादा वर्षा होती है। -आचार्य अमरेश मिश्र, ज्योतिषाचार्य

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