कानपुर देहात के सजायाफ्ता कैदी की फतेहगढ़ सेंट्रल जेल में ईंट से कुचलकर हत्या

हत्या के मामले में सेंट्रल जेल में उम्र कैद की सजा काट रहे गौरीशंकर (73) पुत्र हेमराज पर कल देर रात उसी की बैरक में सो रहे साथी कैदी चंद्रहास पाण्डेय ने अचानक ईंट से हमला कर दिया।

By Dharmendra PandeyEdited By: Publish:Thu, 11 Oct 2018 12:23 PM (IST) Updated:Thu, 11 Oct 2018 08:21 PM (IST)
कानपुर देहात के सजायाफ्ता कैदी की फतेहगढ़ सेंट्रल जेल में ईंट से कुचलकर हत्या
कानपुर देहात के सजायाफ्ता कैदी की फतेहगढ़ सेंट्रल जेल में ईंट से कुचलकर हत्या
कानपुर (जेएनएन)। बागपत जेल में माफिया डॉन प्रेम प्रकाश ङ्क्षसह उर्फ मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद जेलों की सुरक्षा व्यवस्था सुदृढ़ करने के दावों पर एक बार फिर खूनी खेल ने सवाल खड़े कर दिए हैं। फर्रुखाबाद की फतेहगढ़ सेंट्रल जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे बुजुर्ग कैदी की बुधवार रात ईंट से कुचलकर हत्या कर दी गई। सुरक्षा में लापरवाही की यह स्थिति तब है जबकि मुन्ना बजरंगी के हत्यारोपित सुनील राठी को भी यहां रखा जा चुका है।
कानपुर देहात के थाना अकबरपुर के गांव मुबारकपुर लाटा, हरीरामपुरवा निवासी गौरीशंकर (73) सेंट्रल जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे थे। बुधवार देर रात करीब तीन बजे बैरक में सोते वक्त साथी कैदी उम्रकैद की सजा काट रहे फतेहपुर के थाना अशोक नगर के गांव कुसमी निवासी चंद्रहास पांडेय (40) ने ईंट से हमला कर दिया। इससे गौरीशंकर गंभीर रूप से घायल हो गए।
अन्य कैदियों के चीख-पुकार मचाने पर बंदीरक्षकों ने कैदी को लहूलुहान देख जेल अधिकारियों को सूचना दी। जेल चिकित्सक के निर्देश पर घायल कैदी को बंदीरक्षक केशराम, श्रवण गुरुवार तड़के चार बजे लोहिया अस्पताल लेकर पहुंचे। हालत गंभीर होने पर उन्हें कानपुर के लिए रेफर कर दिया गया। रास्ते में जनपद कन्नौज से गुजरते समय कैदी की हालत और बिगड़ गई। उन्हें वहां के जिला अस्पताल ले जाया गया। जहां चिकित्सक ने उसे मृत घोषित कर दिया।
फर्श की ईंट निकालकर किया हमला
डीआइजी जेल, कानपुर परिक्षेत्र और सेंट्रल जेल फतेहगढ़ के प्रभारी वरिष्ठ अधीक्षक वीपी त्रिपाठी ने बताया कि दोनों कैदी सर्किल नंबर एक की बैरक नंबर एक में करीब एक सैकड़ा बंदियों के साथ निरुद्ध थे। पूछताछ में बंदियों ने बताया कि रात करीब तीन बजे सीट नंबर 164 पर सो रहा चंद्रहास सोते से उठकर जय माता दी के नारे लगाने लगा। बैरक के अन्य कैदी भी शोर सुनकर जाग गए। इसी दौरान चंद्रहास ने बैरक की कच्चे गारे से जुड़ी फर्श की एक ईंट निकालकर उसे पास ही सीट नंबर 165 पर लेटे वृद्ध कैदी गौरीशंकर के सिर पर मार दिया। अन्य कैदियों ने चंद्रहास को काबू किया। शोर सुनकर पहुंचे बंदी रक्षकों ने घटना की सूचना अधिकारियों को दी।
हाई सिक्योरिटी जोन में रखा गया आरोपित, होगा मुकदमा
जेलर पीके ङ्क्षसह ने बताया कि चंद्रहास को फिलहाल जेल अस्पताल के हाई सिक्योरिटी जोन में रखा गया है। मामले में चंद्रहास के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई जाएगी हालांकि उसके मानसिक रोग की कोई हिस्ट्री नहीं है फिर भी यदि उसमें मानसिक रोग के लक्षण पाए गए तो उसे इलाज के लिए भेजा जाएगा।
दोहरे हत्याकांड में हुई थी उम्रकैद
गौरी शंकर दोहरे हत्याकांड में दोषी सिद्ध हुए थे, उन्हें 4 सितंबर 2004 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। यह डबल मर्डर वर्ष 1974 में हुआ था। गौरी शंकर के साथ उनके भाई किशन चंद्र और भतीजा रमाशंकर भी जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। हत्यारोपित चंद्रहास पत्नी की हत्या के मामले में सजायाफ्ता है।
जेल प्रशासन पर लगाए आरोप, कन्नौज में हंगामा
कन्नौज स्थित जिला अस्पताल में आकस्मिक चिकित्साधिकारी ने बुजुर्ग कैदी को मृत घोषित कर दिया। इस पर शव को वहीं मॉच्र्युरी में रखवा दिया गया। कैदी गौरीशंकर की पत्नी बिटोली, पुत्र रोहित, लल्लन, आलोक व बेटी सोनी रिश्तेदारों के साथ रोते-बिलखते हुए पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे। सोनी तो पिता का शव देख बेहोश हो गई। परिजन ने जेल प्रशासन पर सुरक्षा और इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा किया।
रोहित का कहना था कि पिता की मौत के बाद डिप्टी जेलर ने उन्हें फोन कर सूचना दी जबकि रात में घटना के बाद भी जानकारी दे सकते थे। चाचा किशनचंद्र को तीमारदारी के लिए साथ क्यों नहीं भेजा गया। उन्होंने घटना की जांच कराने की मांग की है। परिजन फर्रुखाबाद में पोस्टमार्टम कराने की बात पर अड़े थे। इस पर ज्वाइंट मजिस्ट्रेट/सदर एसडीएम शैलेष कुमार व सीओ सिटी श्रीकांत प्रजापति पहुंच गए। उन्होंने परिजन को समझाया। तब वह पोस्टमार्टम के लिए तैयार हुए। चिकित्सकों के विशेष पैनल से वीडियोग्राफी के बीच पोस्टमार्टम कराया गया। सीओ ने बताया कि रिपोर्ट मिलने के बाद मौत की वजह स्पष्ट होगी।
जेल में मिला था बेटा, रिहाई के चल रहे थे प्रयास
गौरीशंकर के पुत्र रोहित ने बताया कि करीब दस दिन पहले पिता व चाचा से मिलाई की थी। उस समय उसने रिहाई के बारे में जेल प्रशासन से भी बात की थी। वहां बताया गया कि 14 साल सजा काटने की रिपोर्ट शासन को भेजी गई है।
लगाए भ्रष्टाचार के आरोप
रोहित ने जेल प्रशासन पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए बताया कि हर मिलाई में करीब पांच हजार रुपये खर्च होते थे। रिहाई के लिए भी उससे 50 हजार रुपये मांगे गए थे। 
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