कोचिंग और खेलने के बहाने निकले, बैराज पहुंचे और डूब गए

जागरण संवाददाता, कानपुर : किसी के परिजन समझ रहे थे बेटा कोचिंग गया है तो कोई बेटे के पार्क

By JagranEdited By: Publish:Mon, 09 Jul 2018 01:25 PM (IST) Updated:Mon, 09 Jul 2018 01:25 PM (IST)
कोचिंग और खेलने के बहाने निकले, बैराज पहुंचे और डूब गए
कोचिंग और खेलने के बहाने निकले, बैराज पहुंचे और डूब गए

जागरण संवाददाता, कानपुर : किसी के परिजन समझ रहे थे बेटा कोचिंग गया है तो कोई बेटे के पार्क में खेलने की जानकारी को लेकर निश्चिंत था लेकिन जब घर पर पुत्रों के गंगा में डूबने की सूचना आई तो मानो उनके पांव तले से जमीन ही खिसक गई। रोते-बिलखते परिजन बैराज पहुंचे। रात में ही तीन शव निकालकर अस्पताल ले जाए गए, वहां उनकी मां, बहनें और भाई बदहवास हो गए और फफककर रो पड़े।

दरअसल सभी सातों किशोर घरों से बहाना बनाकर निकले थे लेकिन एक साथ पहुंच गए गंगा बैराज। पुराना सेंट्रल पार्क निवासी पांचवीं के छात्र अभिषेक के बड़े भाई अंकित व जितेंद्र ने बताया कि उसने पिछले साल चौथी पास किया था। एक साल तक पढ़ाई नहीं की और अब फिर एडमिशन ले रहा था। दोपहर 12 बजे वह कोचिंग जाने की बात कहकर निकला था। शाम तक नहीं लौटा तो मां रानी मोहल्ले में ढूंढ रही थीं। वहीं अमन के पिता ट्रक मिस्त्री रुस्तम ने बताया कि बेटा भानु मेमोरियल स्कूल में पांचवीं में पढ़ता था। दोस्तों के साथ सेंट्रल पार्क जाने की बात कहकर निकला। बैराज पर कब पहुंच गया, पता नहीं। अमन के परिवार में मां नूरी, बहन मुस्कान व छोटा भाई अमान है।

पांचवीं में पढ़ रहा 12 साल का कैफ परिवार का इकलौता सहारा था। पिता जहीर क्राकरी का काम करते हैं। उन्होंने बताया कि बेटा सुबह 11 बजे नाश्ता करके निकला। बोला दो घंटे बाद लौट आएगा। उसका इंतजार कर रहे थे कि हादसे की खबर आई। वहीं आदित्य मां सुनीता से बाजार जाने की बात कहकर निकला था। भाई आर्यन ने बताया कि पिता मुंबई में नौकरी करते हैं। बगाही निवासी सगे भाई अंशू और बाबा के डूबने की सूचना पर उसकी मां रेखा बेसुध हो गईं। बड़े बेटे बड़का ने बताया कि पिता की तबीयत अक्सर खराब रहती है। मां पर ही पूरी जिम्मेदारी है।

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शनिवार को अंशू ने बनाया था प्लान

साहिबे आलम ने पुलिस को बताया कि गंगा बैराज पर नहाने का प्लान शनिवार शाम ही बन गया था। अंशू ने सभी दोस्तों को राजी किया था। माता-पिता को न बताने की बात हुई थी ताकि आराम से घूम-फिर सकें।

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नदी में एक नाव तक नहीं

अमूमन गंगा बैराज के आसपास नावें चलती हैं। मछुआरे भी रहते हैं लेकिन हादसे के वक्त कोई नहीं था। ग्रामीणों ने कहा कि दो दिन पूर्व प्रशासन ने नावें तोड़ दी थीं। इससे वह नदी किनारे नहीं गए वरना बच्चों को बचा लेते।

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ढाई बजे घटना, छह बजे हुई जानकारी

साहिबे आलम ने बताया कि घटना दोपहर करीब दो से ढाई बजे के बीच हुई। वह खुद दोस्तों को बचाने की कोशिश करता रहा। फिर साइकिल से घर जाकर जानकारी दी। बाकी किशोरों के परिजन को बताया। इसके बाद पुलिस को जानकारी दी गई।

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