बिटिया न कोई कैद हो निर्भया गा सके , बुझती हुई ...' सुनाकर बयां किया बेटियों का दर्द Kanpur News
कवि अशोक चक्रधर जब कविता पढ़ी तो तालियों से वातावरण गूंज उठा।
कानपुर, जेएनएन। ' बादल से बोली बदली, यह उतावली नहीं भली, मुझे छोड़ भागा जाता है किस रास्ते अंजान गली..' कवि अशोक चक्रधर जब यह कविता पढ़ी तो तालियों से वातावरण गूंज उठा। मौका था कानपुर फर्टिलाइजर एंड सीमेंट लिमिटेड कंपनी के स्वर्ण जयंती समारोह पर आयोजित कवि सम्मेलन का।
अशोक चक्रधर ने 'मैं नभ में ले जाऊंगा, फिर धरती पर लाऊंगा। जिसको सुन खूब हंसोगे, ऐसा गाना गाऊंगा..' , 'आसुओं के दलदल में दुनिया नाहक बबूला है जो भी पथ से भटक गया है जो भी रास्ता भूला है..' सुनाकर वाहवाही लूटी। कवियित्री मधु मोहिनी उपाध्याय ने 'बिटिया न कोई कैद हो निर्भया गा सके , बुझती हुई ..' सुनाकर बेटियों के उत्पीड़न को बयां किया।
ओम रायजादा ने 'सुना है आ रहे हैं इस तरफ कुछ रोशनी वाले, मशाले हाथ में है फिक्र है बस्ती का क्या होगा..' सुनाया तो तालियां गूंज उठीं। सुदीप ने 'इस तरह से दवाएं हुई बेअसर सब दुआएं हुई, पहले पेड़ों को काटा गया फिर चुनावी सभाएं हुई..' गाकर वर्तमान राजनीति पर करारा प्रहार किया। चिराग जैन ने भी कविता पाठ किया। इस अवसर पर कार्यक्रम की शुरुआत सासद सत्यदेव पचौरी, महापौर प्रमिला पाडेय ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कंपनी के डायरेक्टर सुनील जोशी, महाप्रबंधक एचआर एंड लीगल एसएल मुखर्जी, डीजीएम स्टोर राकेश सिंह, लाइजन अफसर अविनाश कुमार रॉय आदि रहे।