धातु उद्योग पर आया संकट, कानपुर में उद्यमियों को आर्डर वापस करने की मजबूरी

धातुओं के दाम में 30 फीसद से अधिक उछाल के कारण लघु उद्यमियों को उत्पाद बनाने की लागत निकालना भी मुश्किल हो रहा है। कोरोना की बदहाली के दौर में संकट बढ़ने से उद्यमी अब आर्डर ही वापस करने लगे हैं।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Sun, 29 Nov 2020 01:57 PM (IST) Updated:Sun, 29 Nov 2020 01:59 PM (IST)
धातु उद्योग पर आया संकट, कानपुर में उद्यमियों को आर्डर वापस करने की मजबूरी
कानपुर में बड़े पैमाने पर धातु उद्योग है।

कानपुर, जेएनएन। कोरोना को लेकर लॉकडाउन के बाद से बदहाली की मार झेल रहे धातु उत्पाद उद्योग का संकट और बढ़ गया है। लोहा, एल्युमिनियम और स्टील के कच्चे माल में 30 फीसद से अधिक का उछाल आने से उद्यमी उत्पाद तक नहीं बना पा रहे हैं। मिले हुए ऑर्डर वापस करने पड़ रहे हैं। इससे कई औद्योगिक इकाइयों पर बंदी का संकट है।

लोहा और स्टील के दाम बढऩे से धीरे-धीरे उससे निर्मित चीजों का उत्पादन बंद होने लगा है। स्टेनलेस स्टील और माइल्ड स्टील, सरिया, एंगल, चद्दर व स्क्वायर चैनल के दाम आसमान छू रहे हैं। उद्यमियों का कहना है कि अगर यही स्थिति रही तो हार्डवेयर, मशीनरी, आयरन व स्टील गुड्स बनाने वाली कई इकाइयों में ताला बंद हो जाएगा। स्पंज आयरन, कच्चा लोहा व माइल्ड स्टील की किल्लत सर्वाधिक है।

धातु उद्योग से जुड़ी खास बातें

30 से अधिक हार्डवेयर के उत्पाद बनाने वाली इकाइयां शहर में हैं। 100 करोड़ रुपये से अधिक का प्रतिवर्ष का कारोबार है। दो माह में कच्ची धातुओं के दाम 10 से 30 फीसद बढ़ गए। उत्पाद तैयार करने के बाद औसत 15 फीसद का मार्जिन होता है, जबकि कच्चे माल के दाम इससे दोगुने हैं। कच्चे लोहे के दाम जहां पहले 30 से 40 रुपये प्रति किलो थे, वो अब 50 से 60 रुपये प्रतिकिलो हो गए हैं। स्टेनलेस स्टील के दाम 140 से 150 रुपये के स्थान पर 200 रुपये प्रतिकिलो तक पहुंच गए हैं। कच्चे एल्युमिनियम के दाम 80 से 100 रुपये की जगह 120 से 140 रुपये प्रतिकिलो हो गए हैं। ब्रास की कीमत 360 से बढ़कर 450 रुपये किलो पहुंच गई है। कॉपर के दाम 450 रुपये से बढ़कर 575 रुपये प्रतिकिलो हैं। जिंक 180 रुपये से बढ़कर 235 रुपये किलो की दर पर है। स्पंज आयरन, मिनी स्टील व रोलिंग में भी तेजी आई है।

उद्यमियों ने बयां किया दर्द

पुराने दाम में ऑर्डर मिले थे, जबकि अब उत्पाद बनाने का खर्च बढ़ गया है। फिनिशिंग गुड्स तैयार करने के लिए महंगा कच्चा माल खरीदना पड़ रहा है। - अजय गुप्ता, डिफेंस व रेलवे के लिए धातु के उत्पाद बनाने वाले उद्यमी। माइल्ड स्टील के दाम 10 से 12 रुपये किलो बढ़े हैं। इससे लागत निकालना भी मुश्किल हो रहा है। - मनोज अग्रवाल, मशीनरी पार्ट उद्यमी मिले आर्डर पूरा करने में दिक्कतें हैं। स्टील आइटम बनाने में मुश्किलें आ रही हैं। फैक्ट्री आठ घंटे नहीं चल पा रही है। - मुकुल गुप्ता, डिफेंस के उत्पाद बनाने वाले उद्यमी। धातु के कच्चे माल के बढ़ते दामों पर सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए। करीब 75 फीसद औद्योगिक इकाइयों पर इसका प्रभाव पड़ा है। ऐसी ही स्थिति रही तो तमाम उद्योग बंद हो जाएंगे। - हरेंद्र मूरजानी, अध्यक्ष लघु उद्योग भारती
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