शिवालयों में बंदिशों के बीच जलाभिषेक करेंगे भक्त

श्रावण मास के पहले सोमवार को शिवालयों में भक्त जलाभिषेक कर सुख-समृद्धि मांगेंगे।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 26 Jul 2021 01:46 AM (IST) Updated:Mon, 26 Jul 2021 01:46 AM (IST)
शिवालयों में बंदिशों के बीच जलाभिषेक करेंगे भक्त
शिवालयों में बंदिशों के बीच जलाभिषेक करेंगे भक्त

जागरण संवाददाता, कानपुर : श्रावण मास के पहले सोमवार को शिवालयों में भक्त जलाभिषेक कर सुख-समृद्धि की कामना करेंगे। इस बार श्रावण मास में चार सोमवार हैं। संक्रमण को देखते हुए मंदिर प्रबंधन ने कोरोना प्रोटोकाल का सख्ती से पालन करते हुए दर्शन व जलाभिषेक कराने की व्यवस्था बनाई है।

रविवार को श्रावण मास के पहले दिन शिवालयों में भक्त पहुंचे। बाबा आनंदेश्वर मंदिर में जूना अखाड़े के व्यवस्थापक इच्छागिरी महाराज ने बैरीकेडिग लगवाकर भक्तों को दर्शन कराए। मंदिर की ओर से गंगा की ओर जाने वाले मार्ग व भक्तों को लाइन से दर्शन कराने के लिए बैरीकेडिग लगाई गई। गर्भ गृह में भीड़ को व्यवस्थित करने के लिए पुजारी तैनात रहे। हालांकि मंदिर परिसर में संक्रमण के लिए जरूरी नियमों का कुछ लोग ही पालन करते हुए दिखे। वहीं, नवाबगंज स्थित जागेश्वर महादेव मंदिर में 50 भक्तों को एक बार में प्रवेश देकर भक्तों को दर्शन कराए गए। पिछले वर्ष की तरह इस बार भी जाजमऊ स्थित सिद्धनाथ धाम में मंदिर के पट बंद रखे गए। दर्शन को पहुंचे भक्तों ने खिड़की से दर्शन कर सुख-समृद्धि की कामना की।

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परमट में टनल से होगा जलाभिषेक

बाबा आनंदेश्वर मंदिर परमट में प्रशासन के निर्देशानुसार रविवार व सोमवार को भक्तों को गर्भ गृह में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। टनल के जरिए भक्त जल व दूध बाबा पर अर्पित करेंगे। मुख्य द्वार से ही भक्तों को मास्क लगाकर सीमित संख्या में प्रवेश दिया जाएगा। देर रात दो बजे से मंदिर के पट भक्तों के लिए खुल जाएंगे। नवाबगंज स्थित जागेश्वर महादेव मंदिर में भी सख्ती से कोविड नियमों का पालन करते हुए दर्शन कराए जाएंगे। मंदिर कमेटी के महामंत्री प्राण श्रीवास्तव ने बताया कि प्रशासन के सभी नियमों का पालन भक्तों से कराया जाएगा। मंदिर परिसर में सीमित भक्तों को ही एक बार में प्रवेश मिलेगा। भोर आरती के बाद सायंकाल तक मंदिर के पट भक्तों के लिए खुले रहेंगे।

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हर-हर महादेव से गूंजा वातावरण

श्रावण मास के पहले दिन शिवालयों में पहुंचे सैकड़ों भक्तों ने पूजन अर्चन कर बाबा को दूध, गंगाजल, चंदन, शहद, दही, अक्षत, बेल पत्र अर्पित किया। मंदिरों में ओम नम: शिवाय और हर हर महादेव का जयकारा गूंजता रहा।

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