चुनाव में निर्वाचित वार्ड 70 की पार्षद को अब उतारनी होगी जीत की माला, बड़ा ही अनोखा है मामला

कोर्ट ने वादिनी के खुद को विजयी घोषित करने की याचिका को अस्वीकार कर दिया है।

By AbhishekEdited By: Publish:Sun, 19 Jan 2020 05:30 PM (IST) Updated:Sun, 19 Jan 2020 05:30 PM (IST)
चुनाव में निर्वाचित वार्ड 70 की पार्षद को अब उतारनी होगी जीत की माला, बड़ा ही अनोखा है मामला
चुनाव में निर्वाचित वार्ड 70 की पार्षद को अब उतारनी होगी जीत की माला, बड़ा ही अनोखा है मामला

कानपुर, जेएनएन। बहुत ही कम देखने में आया है कि चुनाव के बाद पहनी माला उतारनी पड़ जाए। लेकिन, यहां अब वार्ड 70 की निर्वाचित घोषित की गईं पार्षद को कुछ ऐसा ही करना पड़ेगा। अपर सत्र न्यायाधीश बालकृष्ण एन रंजन ने कर्रही वार्ड 70 का चुनाव अवैध और शून्य करार दिया है, जिसके बाद इस वार्ड से पार्षद चंद्रावती का निर्वाचन स्वत: समाप्त हो गया है।

घंटी का किया था प्रचार, नाम के आगे था खड़ाऊं

नगर निगम ने पार्षद के चुनाव 22 नवंबर 2017 में सम्पन्न कराए थे। इसमें बर्रा के कर्रही वार्ड 70 से चंदा देवी प्रत्याशी थीं। चंदा देवी का आरोप था कि उन्हें घंटी चुनाव चिन्ह आवंटित किया गया था। इस पर उन्होंने प्रचार किया और वोट मांगे। मतदान के ठीक एक दिन पहले 21 नवंबर को जब वह गल्ला मंडी पहुंची तो ज्ञात हुआ कि दूसरी प्रत्याशी चंद्रावती से उनके चुनाव चिन्ह की अदला-बदली कर दी गयी है। ईवीएम मशीन में उनके नाम के आगे घंटी की बजाय खड़ाऊ अंकित कर दिया गया।

शिकायत करने पर मिला था भरोसा

चंदा देवी ने तत्काल अफसरों से शिकायत की लेकिन उन्होंने बदलाव को लेकर हाथ खड़े कर दिए। आश्वासन दिया कि उनके पक्ष में घंटी को मिले वोट गिने जाएंगे। 30 नवंबर को हुई मतगणना में 1812 वोट पाकर घंटी विजयी हुई लेकिन वोट उनके पक्ष में न गिनकर चंद्रावती को विजयी घोषित कर दिया गया। चंदा देवी ने अफसरों से शिकायत की लेकिन घंटी विजयी हुई, इसलिए उन्हें विजेता घोषित किया जाए लेकिन नियमों का हवाला देते हुए अधिकारियों ने इंकार कर दिया था।

चंदा ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया

चंदा देवी ने खुद के साथ हुई नाइंसाफी पर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। कोर्ट में उन्होंने सभी साक्ष्य प्रस्तुत किए। इतना ही चुनाव नामांकन के बाद चुनाव चिह्न आवंटन घंटी किए जाने का भी साक्ष्य प्रस्तुत किया। लॉयर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अधिवक्ता दिनेश शुक्ला ने बताया कि सुनवाई के बाद न्यायालय ने सभी आरोप सही पाते हुए चुनाव निरस्त कर दिया है। वादिनी चंदादेवी ने खुद को विजयी घोषित करने की भी याचिका की थी, जिसे न्यायालय ने अस्वीकार कर दिया है। 

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