ओमिक्रोन से ठीक हुए मरीजाें को घेर रही नई बीमारी, जीएसवीएम मेडिकल कालेज की उप प्राचार्य कर रहीं रिसर्च

कोरोना संक्रमण के नए वैरिएंट ओमिक्रोन से ठीक होने के बाद भी मरीज नई बीमारी लेकर एलएलआर अस्पताल में इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। मरीजों की संख्या देखकर जीएसवीएम मेडिकल कालेज की उप प्राचार्य ने उनपर अध्ययन शुरू किया है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Sat, 22 Jan 2022 09:42 AM (IST) Updated:Sat, 22 Jan 2022 09:42 AM (IST)
ओमिक्रोन से ठीक हुए मरीजाें को घेर रही नई बीमारी, जीएसवीएम मेडिकल कालेज की उप प्राचार्य कर रहीं रिसर्च
शरीर के दूसरे अंगों पर असर डाल रहा ओमिक्रोन।

कानपुर, [ऋषि दीक्षित]। कोरोना का नया वैरिएंट ओमिक्रोन भले ही हल्के लक्षण के साथ संक्रमण कर रहा है लेकिन उसके दूरगामी परिणाम घातक देखने को मिल रहे हैं। इसलिए कोरोना वायरस को हल्के में लेने की भूल न करें। कोरोना वायरस के वर्तमान वैरिएंट (ओमिक्रोन) से उबरने वाले मरीज गुर्दे (किडनी) की समस्या लेकर इलाज के लिए आने लगे हैं।

केस-1 : मैनपुरी की किसनी निवासी 42 वर्षीय महिला को 15 दिन पहले कोरोना का संक्रमण हुआ था। सात दिन में उन्हें राहत मिल गई। उसके बाद उन्हें यूरिन कम होने लगी। दोबारा बुखार आने पर स्वजन ने पहले स्थानीय डाक्टर को दिखाया। आराम नहीं मिलने पर मंगलवार को एलएलआर अस्पताल (हैलट) लाए। जांच में पता चला कि उन्हें एक्यूट किडनी इंजरी की समस्या हो गई है। उन्हें भर्ती कर इलाज किया जा रहा है।

केस-2 : कोरोना संक्रमण होने के बाद कन्नौज निवासी 54 वर्षीय पुरुष ठीक हो गए। उसके बाद उन्हें मूत्र त्याग में दिक्कत होने लगी। उनके एक तरफ के अंग में कमजोरी महसूस होने लगी। स्वजन ने डाक्टर को दिखाया। उन्होंने जिला अस्पताल रेफर कर दिया। वहां के डाक्टरों को भी उनकी परेशानी समझ नहीं आई। ऐसे में एलएलआर अस्पताल भेज दिया। जांच में उन्हें भी एक्यूट किडनी इंजरी की समस्या हुई है। बुधवार को यहां भर्ती हुए हैं।

जीएसवीएम मेडिकल कालेज के मेडिसिन विभाग में अब तक मरीज आ चुके हैं। कोरोना संक्रमण से उबरने के 10 दिन बाद किडनी में दिक्कत हो रही है। ऐसे में उन्हें भर्ती करने की जरूरत पड़ रही है। कोरोना के नए वैरिएंट में ऐसे बदलाव से मेडिकल कालेज के विशेषज्ञ भी हैरान हैं। ऐसे संक्रमितों की पूरी हिस्ट्री लेकर उसकी वजह जानने को मेडिकल कालेज की उप प्राचार्य एवं मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रो. रिचा गिरि रिसर्च कर रहीं हैं।

खून की छोटी नलिकाओं में थक्के

प्रो. गिरि का कहना है कि कोरोना वायरस शरीर के अंदर जाकर रक्त नलिकाओं में खून के थक्के बनाता है। कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन के लक्षण भले ही हल्के हों, लेकिन वह कोरोना वायरस ही है। वायरस अपनी प्रकृति नहीं छोड़ता है। इसलिए वह खून की नलिकाओं में जाकर खून के छोटे-छोटे थक्के बना रहा है। किडनी की नलिकाएं बहुत की छोटी व पतली होती हैं। वहां थक्के बनने से किडनी की कार्यक्षमता प्रभावित हो रही है। इस वजह से किडनी इंजरी हो रही है।

इन्हें पहले नहीं थी कोई समस्या

प्रो. गिरि का कहना है कि कोरोना के नए वैरिएंट से उबरने वाले मरीजों को पहले कोई समस्या नहीं थी। न ही उन्हें ब्लड प्रेशर की समस्या और न ही मधुमेह से पीडि़त थे। ऐसे में कोरोना के बाद किडनी प्रभावित हुई है। इसलिए उनके केस को लेकर उसका अध्ययन किया जा रहा है।

ब्रेन और हार्ट पर भी पड़ रहा असर

प्रो. गिरि का कहना है कि किडनी के अलावा ब्रेन और हार्ट की धमनियों पर भी असर पड़ रहा है। इससे उन्हें ब्रेन स्ट्रोक एवं हार्ट अटैक की शिकायत भी हो रही है। कोरोना से उबरने के बाद खून गाढ़ा होने और थक्के बनने की समस्या हो रही है। ऐसी शिकायतें नई हैं, इसलिए अभी अध्ययन की जरूरत है।

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