बढ़ती दुर्घटनाओं को देख सरकार का निर्णय, अब हिट एंड रन में मुआवजा होगा आठ गुना
पूर्व नियम में मृत्यु होने पर मिलते थे 25 हजार रुपये
जागरण संवाददाता, कानपुर : देश में एक्सीडेंट और उनसे होने वाली मौतों के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। हिट एंड रन के शिकार लोगों के परिजनों को राहत देने के लिए मोटर वाहन अधिनियम 1988 में प्रावधान तो है लेकिन वह नाकाफी हैं। जिसके चलते लोग अधिनियम के तहत क्षतिपूर्ति और हर्जाने का दावा नहीं करते। इससे फर्जी मुकदमों की बाढ़ आ गई है। इसे देखते हुए केंद्र सरकार ने कानून में संशोधन कर मोटर वाहन अधिनियम (संशोधन) बिल 2017 पास किया। संशोधन बिल में हिट एंड रन मामलें में हुई मौत पर परिजनों को दो लाख रुपये और घायल होने पर पीड़ित को 50 हजार रुपये दिए जाने का प्रावधान किया गया है। इससे पहले तक मृत्यु होने पर यह धनराशि 25 हजार रुपये थी जबकि घायल होने पर 12 हजार रुपये दिए जाते थे। माना जा रहा है, नए प्रावधान के बाद फर्जी मुकदमे रुकेंगे।
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सोलेटियम फंड से मिलेगा पैसा
हिट एंड रन के शिकार लोगों के परिजनों को राहत देने के लिए सरकार ने 1988 में सोलेटियम फंड की व्यवस्था की थी। जिलाधिकारी की अध्यक्षता में चार सदस्यीय कमेटी पीड़ित को इस मद से क्षतिपूर्ति देने की स्वीकृति देती है। एक्सीडेंट होने पर छह माह के भीतर पीड़ित या उसके परिजन तय प्रारूप-1 (एमवी एक्ट में वर्णित) पर प्रार्थना पत्र क्लेम जांच अधिकारी को देना होता है। प्रार्थना पत्र प्राप्त होते ही वह अधिकारी एफआइआर की प्रति, पंचायत नामा, पोस्टमार्टम रिपोर्ट या इंजरी रिपोर्ट की प्रतियां संकलित करेगा। साथ ही एक माह के भीतर अपनी रिपोर्ट कमेटी को सौंप देता है।
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679 मौतें, क्षतिपूर्ति किसी को नहीं
-वर्ष 2017 की बात करें तो जिले में 1567 हादसे हुए जिसमे 679 लोग मारे गए ,1195 लोग घायल हुए।
-वर्ष 2018 में एक जनवरी से 30 जून तक 878 हादसे हुए जिसमे 400 लोग मारे गए ,626 लोग घायल हुए। मृतकों की इतनी बड़ी संख्या के बावजूद सोलेटियम फंड से मदद का आंकड़ा शून्य है।
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यह करना है पर नहीं करती पुलिस
मोटर वाहन अधिनियम की धारा 158(6) में प्रावधान है कि दुर्घटना जिस थाना क्षेत्र में होगी, संबंधित थाना प्रभारी या एसओ उसकी पूरी रिपोर्ट बनाकर जिला जज और जिलाधिकारी को देंगे। लेकिन किसी भी दुर्घटना के बाद ऐसा नहीं होता और पीड़ित या मृतक के परिजन भारी भरकम धनराशि के लिए गलत वाहनों के नंबर देकर फर्जी क्लेम दाखिल कर देते हैं।
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'लोक सभा से पास इस बिल के लागू होने के बाद जहां मुआवजा बढ़ेगा वहीं फर्जी मुकदमे भी रुकेंगे। दो वर्ष पूर्व लखनऊ हाईकोर्ट ने प्रदेश भर में ऐसे फर्जी क्लेम मामलों पर टिप्पणी करते हुए एसआइटी का गठन किया था। इन मामलों में भारी क्लेम की धनराशि देने को जनता के पैसों की बर्बादी बताया था।'
कौशल किशोर शर्मा, वरिष्ठ अधिवक्ता
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देश भर में हुए हादसों, मौत और घायलों के आंकड़े
वर्ष हादसे मृत घायल
2012 490383 138258 509667
2013 486476 137572 494893
2014 489400 139671 493474
2015 501423 146133 500279
2016 480652 150785 494624
(सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट के आधार पर)