Raju Srivastav Death: संघर्ष के दिनों में भी मदद करने में पीछे नहीं थे राजू, कानपुर में खूब रोईं पड़ोसी रजेश्वरी और फूलजहां

Comedian Raju Srivastav Death News Update राजू श्रीवास्तव के निधन की सूचना के बाद किदवई नगर के नयापुरवा मोहल्ले में शोक है। यहां रहने वाले लोगों की आंखों में आंसू हैं और उनके साथ बिताए हर एक पल को याद कर रहा है। वह हमेशा लोगों की मदद करते थे।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Wed, 21 Sep 2022 01:11 PM (IST) Updated:Wed, 21 Sep 2022 01:11 PM (IST)
Raju Srivastav Death: संघर्ष के दिनों में भी मदद करने में पीछे नहीं थे राजू, कानपुर में खूब रोईं पड़ोसी रजेश्वरी और फूलजहां
राजू को याद करके रोया किदवई नगर का नयापुरवा।

कानपुर, जागरण संवाददाता। Raju Srivastav Death News : मशूहर कामेडियन राजू श्रीवास्तव Comedian Raju Srivastav के निधन की सूचना के बाद किदवई नगर के नयापुरवा मोहल्ले में शोक की लहर है। उनके निधन की खबर मिलते ही यहां लोगों की आंखों से आंसू बह पड़े। राजू को यहां के लोगों से गहरा लगाव था और बुंदलियों पर पहुंचने के बाद राजू ने कभी लोगों को पराया नहीं किया। वह जब कानपुर अपनों के बीच आते तो लोगों की खूब मदद करते थे।

मोहल्ले में रहने वाली राजेश्वरी निधन की खबर पर खूब रोईं। वह बताती हैं कि राजू भइया Raju Srivastav का अहसान कभी नहीं भूल सकती। पिछले साल पति को कैंसर हो गया था। राजू भइया को पता चला तो उन्होंने लखनऊ में भर्ती करवाया और इलाज के लिए रुपये भी दिए थे, लेकिन पति नहीं बच सके। लाकडाउन में भी उन्होंने राशन से लेकर आर्थिक मदद की थी।

राजू श्रीवास्वत Raju Srivastav के निधन की जानकारी पर फूलजहां की आंखों में भी आंसू थे। वह बताती हैं कि जब भी राजू भइया घर आते तो मोहल्ले में चाय, बिस्किट आदि बंटवाते थे। जब वापस जाते थे तो अपने भाई या अन्य किसी एक को कुछ रुपये देकर सभी को बंटवाते थे। राजू भइया का व्यवहार बहुत अच्छा था और वह जरूरतमंदों की मदद करते थे।

मोहल्ले में गमगीन लोग बताते हैं कि इतनी ऊंचाई पर पहुंचने के बाद भी राजू भइया में बिल्कुल भी बदलाव नहीं आया था। वह जब भी यहां आते थे तो सभी से बात करते और घर पर बुलाते थे। अगर कोई मुसीबत में होता तो हर तरह से मदद करते थे। वह लोगों को अलग-अलग नाम से पुकारते और खूब हंसी-मजाक करते थे।

अमन बताते हैं कि राजू चाचा गणेश महोत्सव पर जरूर आते थे। यहां लोगों को रोक-रोककर हालचाल पूछते और मदद करते थे। जब राजू चाचा अपने घर आते हैं तो कारों की लाइन लग जाती थी। सरसौल के कस्बा रामपुर में मुहबोली ममेरी बहन रीता श्रीवास्तव उर्फ गुड्डन बताती हैं कि राजू भइया तीन बार उनसे मिलने सरसौल आए थे। अभी 31 अक्टूबर 2021 को कानपुर से फतेहपुर जाते समय भी वह सरसौल में उनके घर आधा घंटा रुके थे। वह खूब हंसी-मजाक करते थे।

chat bot
आपका साथी