ढाई दशक बाद बिकरू में हो रहे चुनाव, दस उम्मीदवार मैदान में, देखते हैं कैसी होती इस बार की जंग

वर्ष 2000 में घिमऊ से जिला पंचायत का चुनाव जीतने के बाद बिकरू की आरक्षित सीट से नौकर की पत्नी गायत्री देवी को ग्राम प्रधान बनाया। वर्ष 2005 में भाई दीप प्रकाश की पत्नी अंजली दुबे को निर्विरोध निर्वाचित कराया

By Akash DwivediEdited By: Publish:Fri, 09 Apr 2021 07:45 AM (IST) Updated:Fri, 09 Apr 2021 09:52 AM (IST)
ढाई दशक बाद बिकरू में हो रहे चुनाव, दस उम्मीदवार मैदान में, देखते हैं कैसी होती इस बार की जंग
गांव वाले बिना डर के प्रत्याशियों को समर्थन दे रहे हैं

कानपुर (नरेश पांडेय)। पंचायत चुनाव में इस बार बिकरू गांव में आजादी जैसा जश्न है। ढाई दशक बाद यहां वास्तव में चुनाव होने जा रहे हैं, अन्यथा इससे पहले गैैंगस्टर विकास दुबे के खौफ से कभी उसके परिवार के सदस्य तो कभी गुर्गे प्रधान बनते आए थे। इस बार आरक्षित सीट पर 10 उम्मीदवार चुनाव मैदान में है, जो बेखौफ चुनाव प्रचार कर रहे हैं। 

बीते साल दो जुलाई को आठ पुलिसकर्मियों के जघन्य हत्याकांड के बाद सुर्खियों में आए बिकरू गांव में विकास दुबे ने लोकतंत्र भी बंधक बना रखा था। ढाई दशक से उसकी मर्जी से ही प्रधान चुने जाते रहे। विकास और उसके पांच गुर्गों के मारे जाने के बाद खौफ पूरी तरह खत्म हो चुका है। इस बार के बिकरू ग्राम पंचायत में प्रधान पद के लिए अनुसूचित जाति के 10 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। गांव की गलियों में चहल पहल है। गांव की मस्जिद के पास एक किराना दुकान पर युवा व बुजुर्ग चुनाव पर चर्चा कर रहे थे। 80 वर्ष के बुजुर्ग खुदाबख्श, मेहंदी हसन व राम किशन बोले कि बिकरू में अब सब आजाद हैं। 25 बरस बाद अबकी बार परधानी के वोट डालेंगे। यहा बैठे जिब्रील, सानू, मुन्नू व कल्लू खंडहर की ओर इशारा करते हुए बोले कि बड़ा खौफ था दिलों में। कोई चुनाव लड़वे की हिम्मत तो दूर सोच भी नही पाता था। जिसे खड़ा कर देते वही चुन लिया जाता था।

कुछ आगे बढऩे पर मकान की मरम्मत करा रहे मोहनलाल ने पूछने पर बताया कि चुनाव नहीं हुए यह अलग बात है लेकिन गांव में विकास कार्य बहुत हुआ। आगे घर के बाहर बैठी कलावती, राधिका व शिव देवी बोलीं कि गांव में चुनाव तो हो रहे हैं,  लेकिन किसी को दिलचस्पी नहीं है। आगे की गली में पेड़ की छांव के नीचे खड़ी चांद बीबी, नजीरा बेगम, छोटी बिटिया ने कहा कि अबकी बार मनमाफिक प्रधान चुनेंगे। गांव वाले बिना डर के प्रत्याशियों को समर्थन दे रहे हैं।

निर्विरोध चुने जाते थे प्रधान : बिकरू ही नहीं आसपास के 10 ग्राम पंचायतों में कुख्यात विकास की दखलंदाजी थी जिसे चाहता प्रधान बनवा देता था। वर्ष 1995 में बिकरू गांव के प्रधान राम सिंह यादव को पीटने के बाद वह प्रधान का चुनाव जीता फिर वर्चस्व ऐसा बढ़ा कि गांव में कोई सामने टिका ही नहीं। वर्ष 2000 में घिमऊ से जिला पंचायत का चुनाव जीतने के बाद बिकरू की आरक्षित सीट से नौकर की पत्नी गायत्री देवी को ग्राम प्रधान बनाया। वर्ष 2005 में भाई दीप प्रकाश की पत्नी अंजली दुबे को निर्विरोध निर्वाचित कराया और फिर वर्ष 2010 पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित सीट पर करीबी रजनेश कुशवाहा औक 2015 में अंजली दुबे को फिर निर्विरोध प्रधान बनवाया था।  

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