लाइन में फाल्ट फिर भी गुल नहीं होगी बिजली

कानपुर, जागरण संवाददाता : बिजली उपभोक्ताओं के लिए खुशखबरी है। ट्रांसमिशन के सबस्टेशन से आ रही लाइन म

By Edited By: Publish:Mon, 26 Sep 2016 01:01 AM (IST) Updated:Mon, 26 Sep 2016 01:01 AM (IST)
लाइन में फाल्ट फिर भी गुल नहीं होगी बिजली

कानपुर, जागरण संवाददाता : बिजली उपभोक्ताओं के लिए खुशखबरी है। ट्रांसमिशन के सबस्टेशन से आ रही लाइन में फाल्ट होने के बाद भी इलाके की बिजली गुल नहीं होगी। फाल्ट होने पर दूसरे सबस्टेशन से बिजली की सप्लाई शुरू हो जाएगी।

जी हां, केस्को कानपुर के सभी 82 सबस्टेशनों को ¨रग मेंस सिस्टम से जोड़ने जा रहा है। इसके लिए सर्वे का काम पूरा हो गया है। केस्को एमडी ने ¨रग मेंस सिस्टम की लाइन बनाने का प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश दिया है। इसका इस्टीमेट बनाया जा रहा है। इस सिस्टम में जुड़ने के बाद जिले के सभी सबस्टेशन एक लूप में होंगे। इससे मेन लाइन में फाल्ट के बाद भी सप्लाई पर असर नहीं पड़ेगा। एक मिनट से भी कम समय में ¨रग मेंस सिस्टम से सप्लाई चालू कर दी जाएगी।

केस्को कानपुर में आजाद नगर, विकास नगर और बिठूर सबस्टेशन को आरएमएस सिस्टम से जोड़कर ट्रायल कर रहा है। इसके अलावा शहर के सभी सबस्टेशन सिंगल लाइन पर चल रहे हैं। इन्हें 11 ट्रांसमिशन सबस्टेशनों से सप्लाई मिल रही है। ट्रांसमिशन की सप्लाई लाइन में फाल्ट होने पर पूरे सब स्टेशन क्षेत्र में बिजली कटौती झेलने के अलावा कोई चारा नहीं है। ऐसी समस्या आए दिन होती है। इस समस्या से निपटने के लिए केस्को प्रबंधन ने सभी सबस्टेशनों को आरएमएस से जोड़ने के आदेश दिए हैं। -------------

क्या है आरएमएस

¨रगमेंस सिस्टम यानी आरएमएस एक ही लाइन में सभी सबस्टेशनों को वैकल्पिक सप्लाई देने की तकनीक है। इसके तहत अतिरिक्त ट्रांसमिशन पावर सप्लाई लाइन पर एक मेन सिस्टम बनाकर अंगूठी की शक्ल में सभी सबस्टेशनों को जोड़ दिया जाता है। क्षमता और लोड को देखते हुए स्थानीय स्तर पर तीन से चार सबस्टेशनों को एक लूप में जोड़ लेते हैं और फाल्ट के बाद भी बिजली सप्लाई सुचारू रखी जाती है।

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कार्डियोलॉजी व जेके कैंसर की नई लाइन बहुत जल्द

कार्डियोलॉजी व जेके कैंसर संस्थान को जल्द ही निर्बाध बिजली आपूर्ति मिल सकती है। इससे जुड़ी फाइल आगे बढ़ने लगी है। इससे जुड़ा सर्वे हो चुका है। अब इस्टीमेट तैयार किया जा रहा है। बता दें कि करीब छह किमी. लाइन रिवर साइड पॉवर हाउस ट्रांसमिशन तक बनाया जाना है। अभी तक दोनों संस्थानों की बिजली आपूर्ति हैलट फीडर से हो रही है जो पहले से ही ओवरलोड है।

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