बिजली की राहत में लगेंगे एक महीने

कानपुर, जागरण संवाददाता : महानगर की बड़ी आबादी को राहत मिलने में अभी एक महीने और लगेंगे। बिजनेस प्लान

By Edited By: Publish:Sat, 30 May 2015 03:45 AM (IST) Updated:Sat, 30 May 2015 03:45 AM (IST)
बिजली की राहत में लगेंगे एक महीने

कानपुर, जागरण संवाददाता : महानगर की बड़ी आबादी को राहत मिलने में अभी एक महीने और लगेंगे। बिजनेस प्लान से बनकर तैयार हो चुके तीन सबस्टेशनों को चालू होने का मुहूर्त काफी करीब आ चुका है। जीआईसी, फजलगंज और के ब्लाक किदवई नगर सबस्टेशन यदि चालू हो जाएं तो इसमें कोई दो राय नहीं कि जनता को फाल्ट का दंश कम से कम झेलना पड़ेगा।

सितंबर 2014 में 75 करोड़ रुपये के बिजनेस प्लान को पावर कारपोरेशन ने स्वीकृति दी थी, इसमें केस्को को 40 करोड़ के आसपास मिल भी चुके हैं। इसमें 11 नए सबस्टेशन बनाए जाने थे, चिड़ियाघर बिजलीघर को छोड़ दें तो 10 सबस्टेशन निर्माण की प्रक्रिया चल रही है। नमक फैक्ट्री चौराहा, एकता पार्क यशोदा नगर, खाड़ेपुर जरौली, मछरिया व सिंहपुर सबस्टेशन बनाने का काम प्रगति पर है। जबकि राजकीय इंटर कालेज चुन्नीगंज, फजलगंज व के ब्लाक किदवई नगर में सबस्टेशन का ढांचा बनकर तैयार हो चुका है। यह सब स्टेशन मामूली काम की वजह से रूके पड़े हैं। जीआईसी के लिए 33 केवीए की लाइन आरपीएच तक बिछाने का काम चल रहा है, यह लगभग पूरा हो चुका है। फिर भी ब्रेकर व एबीसी केबिल बिछाने में पखवारे भर से ज्यादा समय लग सकता है। अगर यह बिजलीघर चालू हो जाए तो साइकिल मार्केट सबस्टेशन को सबसे ज्यादा राहत मिलेगी। कारण कि मुस्लिम बाहुल्य करीब 200 इलाके ओवरलोड बिजली आपूर्ति के चलते प्रतिदिन परेशानी झेलने को विवश हैं। सामान तो पूरे हैं लेकिन काम थोड़ा सुस्त चल रहा। उधर गुमटी डिवीजन का लोड हल्का करने वाला फजलगंज बिजली घर निर्माण का काम भी पूरा हो चुका है, मगर 33 केवीए का ब्रेकर न होने से परेशानी खड़ी हो गई है। इसी तरह के ब्लाक किदवई नगर की लाइनें बिछ चुकी हैं, सब स्टेशन भी छत बनकर तैयार हो चुका है। स्विच गियर, ट्रांसफार्मर व केबिल समेत कई बिजली उपकरण न होने से काम अधर पर लटका है, अफसरों की मानें तो इन्हें पूरी तरह से चालू होने में एक माह का वक्त और लग सकता है।

पिन इंसुलेटर का टोटा : केस्को के स्टोर में पिन इंसुलेटर एक हजार के करीब होना चाहिए लेकिन यह आंकड़ा सौ के पार भी नहीं कर पा रहा। इसकी कमी रोड चौड़ीकरण को आईआईटी से पालीटेक्निक तक चल रहे पोल शिफ्टिंग में आसानी से देखी जा सकती है। 400 से 500 इंसुलेटर की डिमांड होने के बाद भी इंसुलेटर न होने से काम प्रभावित हो रहा है।

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