तार-तार होते सपने, जार-जार रोती जरूरतें

का कार्य चल रहा था। नगला भारा निवासी हरिश्चंद्र गांव नगला पासा निवासी संतोष कुमार का गेहूं और बोरे खेत पर ही भीग गए। वहीं ठठिया के गांव उमरन निवासी प्रमोद के गठ्ठर खेत से तेज आंधी के कारण उड़ गए। नरई खेत में दूर-दूर तक बिछ गई। वहीं ओले गिरने से बालियां क्षतिग्रस्त हो गईं। कुछ किसानों ने सुबह तो कु

By JagranEdited By: Publish:Mon, 27 Apr 2020 11:28 PM (IST) Updated:Tue, 28 Apr 2020 06:10 AM (IST)
तार-तार होते सपने, जार-जार रोती जरूरतें
तार-तार होते सपने, जार-जार रोती जरूरतें

जागरण संवाददाता, कन्नौज: एक तरफ कोरोना के कहर से जनमानस परेशान है। वहीं बेमौसम बारिश ने अन्नदाताओं की उम्मीदों की फसल पर बर्बादी का पानी फेर दिया। इससे न सिर्फ गेहूं की फसल प्रभावित हुई, बल्कि मक्का, तरबूज, कद्दू, मूंगफली, मूंग, उड़द, तोरई, लौकी आदि फसलों को नुकसान हुआ है। इससे पहले फरवरी और मार्च में कई बार बेमौसम बारिश हुई थी। उस मार से किसान अभी उभर नहीं पाया था कि 26 मार्च को आई आंधी, बारिश व ओलावृष्टि ने बची उम्मीदों की फसल पर भी पानी फेर दिया है। जिले में सबसे ज्यादा कटाई व मढ़ाई के लिए खेतों पर रखी गेहूं की फसल बर्बाद हुई है। सैकड़ों की संख्या में बंधे गट्ठे और भूसा खेत से उड़ गया। खेतों पर रखे गेहूं के बोरे भीग गए। इसी तरह जायद मक्का के पौधे गिरने से फसल को काफी नुकसान पहुंचा है। सब्जियां भी बर्बाद हुई हैं। किसानों की आर्थिक स्थिति के साथ खाने-पीने का भी संकट बढ़ेगा। साथ की गेहूं खरीद पर असर पड़ा है। बारिश से थ्रेसिंग का कार्य भी रुक गया है।

शनिवार को किसान खेतों में गेहूं की मड़ाई का कार्य कर रहा था। इसी बीच तेज आंधी के साथ बारिश और ओलावृष्टि शुरू हो गई। नादेमऊ के गांव मधुपुरी निवासी सूरज प्रकाश का 13 बीघा गेहूं की मड़ाई का कार्य चल रहा था। नगला भारा निवासी हरिश्चंद्र, गांव नगला पासा निवासी संतोष कुमार का गेहूं और बोरे खेत पर ही भीग गए। वहीं ठठिया के गांव उमरन निवासी प्रमोद के गठ्ठर खेत से तेज आंधी के कारण उड़ गए। नरई खेत में दूर-दूर तक बिछ गई। वहीं ओले गिरने से बालियां क्षतिग्रस्त हो गईं। कुछ किसानों ने सुबह तो कुछ ने रात में ही खेत की मेड़ काट कर पानी निकाला। वहीं खेतों में खड़ी बसंती मक्का की खेती तेज आंधी के चलते गिर गई। इससे फसल में भुट्टे न आने से किसान चितित है।

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किसानों का दर्द छह बीघा खेत है। जिसमें मक्का, गेंहू की फसल थी। ओले गिरने से फसल बर्बाद हो गई। इससे पहले भी बारिश से नुकसान हुआ था। जैसे तैसे कुछ बची भी थी तो अब बर्बाद हो गई।

-प्रमोद कुमार, उमरन

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13 बीघे में गेहूं की फसल है। जिसमें 10-12 बोरा ही मड़ाई हो पाई थी कि आंधी-पानी आ गया। इससे बोरों में भरा गेहूं भीगने के साथ ही भूसा उड़ गया। गठ्ठर भीग गए। जब फसल बीमा के बारे में जानकारी की तो बताया गया क्रेडिट कार्ड है। बीमा हर फसल का किया जाता, लेकिन आज तक बीमा का लाभ नहीं मिला।

-सूरज प्रकाश, मधुपुरी

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10 बीघे में गेहूं और 5 बीघे मक्का की फसल तैयार खड़ी थी। पके गेहूं को काट कर गठ्ठर बांध लिए थे। रविवार शाम को आई आंधी-पानी ने फसल तबाह कर दी। मक्का की फसल तो पहले से ही बीमारियों से घिरी थी। किसी तरह कीटनाशक दवाइयों के प्रयोग से फसल को बचा पाए। अब बारिश और तेज हवाओं के चलते तैयार फसल जमीन में गिर चुकी है। जिसमे भुट्टे आने की संभावना कम ही है।

-रामशरण, महाबलीपुरवा

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जनप्रतिनिधि बोले

आंधी-पानी में किसानों को नुकसान हुआ है। इसमें किसानों की 80 फीसद फसलें बर्बाद हो गई है। किसान तबाह हो गया है। हम समाजवादी लोग देश के अन्नदाता के लिए सरकार से मांग करते हैं कि किसानों की फसलों का अधिक से अधिक मुआवजा दिया जाए। जिससे उनके घावों पर मरहम लग सके।

-नवाब सिंह यादव, पूर्व ब्लाक प्रमुख सपा।

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