ख़्ाराब सिग्नल नहीं बनेगा ट्रेन की रफ्तार में बाधा

लोगो जागरण एक्सक्लूसिव ::: - एक डिवाइस ख़्ाराब हुई तो दूसरी अपने आप चालू हो जाएगी - ते़ज गति

By JagranEdited By: Publish:Mon, 08 Feb 2021 01:56 AM (IST) Updated:Mon, 08 Feb 2021 01:56 AM (IST)
ख़्ाराब सिग्नल नहीं बनेगा ट्रेन की रफ्तार में बाधा
ख़्ाराब सिग्नल नहीं बनेगा ट्रेन की रफ्तार में बाधा

लोगो जागरण एक्सक्लूसिव

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- एक डिवाइस ख़्ाराब हुई तो दूसरी अपने आप चालू हो जाएगी

- ते़ज गति से चल रहीं ट्रेन में नहीं लगाने होंगे आपातकालीन ब्रेक

झाँसी : उत्तर-मध्य रेलवे में रेल सुरक्षा व संरक्षा को तरजीह देते हुए सिग्नल सिस्टम को भी अपग्रेड किया जा रहा है। इसकी शुरूआत झाँसी मण्डल से की जा रही है। पुरानी वार्म स्टैण्डबाई प्रणाली के साथ स्वचालित हॉट स्टैण्डबाई प्रणाली स्थापित की जा रही है। इसका लाभ यह होगा कि यदि एक सिग्नल में कोई खराबी आई तो दूसरी डिवाइस अपने आप चालू हो जाएगी। इससे सिग्नल अचानक लाल नहीं होगा और ट्रेन पहले से निर्धारित ट्रैक पर चलती रहेगी।

दरअसल, उत्तर-मध्य रेलवे में अभी तक तमाम जगह पर वार्म स्टैण्डबाई सिग्नल प्रणाली है। इसमें समस्या यह आ रही है कि सिस्टम में कोई तकनीकी खामी आती है तो पूरे रेलखण्ड के सिग्नल लाल हो जाते हैं। अचानक सिग्नल लाल होने पर अप-डाउन लाइन पर ट्रेन जहाँ होती हैं, वहीं खड़ी हो जाती है। इसके साथ ही सिग्नल ठीक करने में समय लगने के चलते ट्रेन संचालन मानवीय तौर पर करना पड़ता है। यह प्रक्रिया काफी समय लेती है। जब सिग्नल में ख़्ाराबी आती है तो इसकी सूचना चालक को कण्ट्रोल रूम को देनी होती है। फिर कण्ट्रोल रूम से सूचना स्टेशन के ऑपरेशन कक्ष को दी जाती है। तब मेमो (लिखित अनुमति पत्र) लेकर एक कर्मी ट्रेन के चालक तक जाता है। इसके बाद जाकर ट्रेन चल पाती है। इसी समस्या को देखते हुए अब वार्म स्टैण्डबाई प्रणाली के साथ ही मण्डल के सिग्नल पर स्वचालित हॉट स्टैण्डबाई सिस्टम की स्थापना की जा रही है। यानी, अब तकनीकी खामी आती है तो ग्रीन सिग्नल रेड नहीं होंगे।

ऐसे काम करेगी तकनीक

सिग्नल पर पुरानी तकनीक के साथ ही आधुनिक तकनीक को भी स्थापित किया जा रहा है। यहाँ एक संयन्त्र के फेल होने पर दूसरा सिस्टम ऑटो रीसेट हो जाएगा। रेलवे के अधिकारी के मुताबिक इस प्रोजेक्ट को आरडीएसओ (रिसर्च डि़जाइन ऐण्ड स्टैण्डर्ड ऑर्गनाइ़जेशन) ने तैयार किया है। रेलवे डुअल सिस्टम पर वर्क कर रहा है जिसमें न्यू टेक्नॉलजि के साथ अण्डर ग्राउण्ड केबल बिछाकर एक्सल काउण्टर के साथ डिवाइस लगाई गई है। यह ब्लॉक पॉइण्ट और स्टेशन को आपस में जोड़ेगा। इससे एक डिवाइस फेल होने पर दूसरी पूरे सिस्टम को ऑटो रीसेट कर देगी।

डिवाइस ऐक्टिव होने में लगेंगे 5 मिनट

नई तकनीक पर आधारित प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए लगातार काम किया जा रहा है। इसमें एक सिग्नल के फेल होने पर उसको रीसेट होने व दूसरे सिग्नल के ऐक्टिव होने में महज 5 मिनट लगेंगे। इस दौरान रेलवे की मेण्टनन्स टीम पहुँच कर खराब हुए सिग्नल सिस्टम को भी ठीक कर देगी।

सिग्नल के साथ लगेगा एक और सेन्सर

नई सिग्नलिंग प्रणाली के साथ ही मण्डल के सिग्नल पर एक सेन्सर भी लगाया जाएगा। यह सिग्नल के खराब होने से पहले ही कण्ट्रोल रूम को सन्देश भेज देगा। गर्मी के मौसम में सिग्नल के बॉक्स का तापमान बढ़ने पर शॉट सर्किट से सिग्नल का फ्यू़ज उड़ जाता है।

फोटो हाफ कॉलम

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इन्होंने कहा

'ट्रेन की समयपालनता में यह सेन्सर काफी कारगर सिद्ध होंगे। सिग्नल में आने वाली तकनीकी खराबी या सर्किट का तापमान बढ़ने पर तत्काल सन्देश भी दे देंगे, जिससे ट्रेन के आवागमन से पहले उसे ठीक कर लिया जाएगा।

सन्दीप माथुर

मण्डल रेल प्रबन्धक (झाँसी)

फाइल : वसीम शेख

समय : 07:45

7 फरवरी 2021

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